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Thursday, 19 December, 2024
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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अरुण मिश्रा, नीरव मोदी और क्रिश्चियन मिशेल के वकील भी पेगासस टार्गेट लिस्ट में शामिल

पेगासस मामले में नया खुलासा ऐसे समय पर हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एन.वी. रमना की अगुवाई वाली दो न्यायाधीशों की पीठ इस केस की जांच की मांग करने वाली कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करने जा रही है.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अरुण मिश्रा के साथ-साथ शीर्ष अदालत में काफी अहम माने जाने वाले रिट सेक्शन में नियुक्त दो कर्मचारी भी कथित तौर पर पेगासस स्पाइवेयर का निशाना बने थे. ये खुलासा द वायर की एक रिपोर्ट में किया गया है जो पेगागस जासूसी कांड के संभावित टार्गेट बने लोगों की सूची का खुलासा करने का दावा कर रहे वैश्विक मीडिया संघ हिस्सा है.

जस्टिस मिश्रा के नाम पर ‘पूर्व में पंजीकृत’ रहे राजस्थान के एक नंबर को 2019 में डेटाबेस में शामिल किया गया था. जस्टिस मिश्रा सितंबर 2020 में सेवानिवृत्त हो गए थे और अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के प्रमुख हैं.
जस्टिस मिश्रा ने कथित तौर पर 21 अप्रैल 2014 को यह नंबर हटा दिया था.

पेगासस जासूसी मामले में संभावित शिकार बने लोगों की ताजा सूची में भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी और अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे के मामले में भारत को प्रत्यर्पित किए गए ब्रिटिश बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल का मुकदमा लड़ने वाले अधिवक्ता भी शामिल हैं.

ताजा खुलासा शीर्ष अदालत में पेगासस ‘हैकिंग’ विवाद की जांच की मांग वाली जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के एक बैच पर निर्धारित सुनवाई से एक दिन पहले बुधवार को हुआ. चीफ जस्टिस एन.वी. रमना की अगुवाई वाली दो न्यायाधीशों की पीठ गुरुवार सुबह मामले की सुनवाई करने वाली है. बेंच में शामिल दूसरे जज जस्टिस सूर्यकांत हैं.

18 जुलाई को संसद का मानसून सत्र शुरू होने की पूर्व संध्या से ही यह संघ डेटाबेस में शामिल उन नामों की सूची जारी कर रहा है जिनके फोन नंबरों के बारे में मीडिया एजेंसियों का दावा है कि इजरायली फर्म एनएसओ के स्वामित्व वाले मिलिट्र-ग्रेड स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके इनकी जासूसी की गई. एनएसओ का कहना है कि ‘कई’ देशों की सरकारें और उनकी एजेंसियां उसकी क्लाइंट हैं और यही वजह है कि विपक्षी दल इस मुद्दे पर मोदी सरकार को निशाना बना रहे हैं.

सूची में लगभग 300 भारतीय नंबर हैं, जिनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पश्चिम बंगाल की मुखर्जी ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी शामिल हैं.

केंद्र ने इस मुद्दे पर जहां अदालत की निगरानी में जांच कराने की विपक्ष की मांग ठुकरा दी है, वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने दो सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया है.

‘न्यायपालिका निशाने पर’

शीर्ष अदालत के जिन दो कर्मचारियों के नाम सूची में शामिल हैं, वे हैं एन.के. गांधी और टी.आई. राजपूत. गांधी जहां रिटायर हो चुके हैं, राजपूत अब भी रजिस्ट्री में कार्यरत हैं. कथित तौर पर उनके फोन नंबरों को ‘2019 के वसंत’ में संभावित टार्गेट के तौर पर सूचीबद्ध किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट में रिट सेक्शन संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर जनहित याचिकाओं से जुड़े दस्तावेजों के रखरखाव का जिम्मा संभालता है, जिनमें कुछ राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले होते हैं. अनुच्छेद 32 किसी के अधिकार बरकरार नहीं रखे जाने की स्थिति में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने के अधिकार से संबंधित है.

सुप्रीम कोर्ट के रोस्टर के मुताबिक, आम तौर पर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई सीजेआई के नेतृत्व वाली पीठ ही करती है जब तक कि वह इसे किसी अन्य पीठ को भेजने का विकल्प नहीं चुनती.

अधिवक्ता विजय अग्रवाल और उनकी पत्नी के फोन नंबर भी 2018 में संभावित टार्गेट के तौर पर सूचीबद्ध थे. नीरव मोदी के अलावा अग्रवाल पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में आरोपी उनके मामा मेहुल चोकसी का भी प्रतिनिधित्व करते हैं.

वहीं, मिशेल के वकील अल्जो पी. जोसेफ का नंबर भी 2019 में सूची में जुड़ा था. अगस्ता वेस्टलैंड मामले में वांछित मिशेल को दिसंबर 2018 में भारत प्रत्यर्पित किया गया था. उसके प्रत्यर्पण के तुरंत बाद जारी एक बयान में सीबीआई ने इस मामले में मिशेल की उपस्थिति सुनिश्चित करने का श्रेय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को दिया था.

पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के जूनियर एम. थंगथुराई का नंबर भी इस डेटाबेस में शामिल है. रोहतगी के शीर्ष विधि अधिकारी के पद से हटने के दो साल बाद 2019 में यह सूची का हिस्सा बना.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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