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Friday, 26 April, 2024
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‘सब तबाह हो गया’ पहले लॉकडाऊन ने और अब चक्रवाती तूफान ने झारखंड के किसानों की कमर तोड़ी

चक्रवाती तूफान यास ने झारखंड में भी भारी तबाही मचाई है. राज्य में बीते दो दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण हजारों हेक्टेयर्स खेतों में लगी सब्जियां और किसान बर्बाद हो गए हैं.

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रांची: ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भारी तबाही मचाने के बाद चक्रवाती तूफान यास में झारखंड में भी भारी तबाही मचाई हैं. राज्य में बीते दो दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण हजारों हेक्टेयर्स खेतों में लगी सब्जियां बर्बाद हो गई है.

मौसम विभाग की दी गई जानकारी के मुताबिक राज्य में बुधवार की रात करीब 12.30 बजे लगभग 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तूफान ने प्रवेश किया. जिससे कई इलाकों में भारी बारिश हो रहे हैं.

भारी बारिश की चपेट में 12 जिले हैं. भारी बारिश वाले जिलों में जमशेदपुर, चाईबासा, रांची, सरायकेला, खूंटी, लोहरदगा, लातेहार, गुमला, रामगढ़, सिमडेगा, हजारीबाग और बोकारो शामिल हैं. मध्यम में चार और हल्की बारिश से पांच जिले प्रभावित हैं.

इन सभी जिलों के सब्जी की पैदावार में जुटे किसानों की फसल को भारी नुकसान हुआ है.

इससे पहले 25 दिन से लगे लॉकडाउन की वजह से सब्जियां कहीं दो रुपए तो कहीं पांच रुपए किलो बिक रही थीं. इन जिलों में 115.0 मिलीमीटर से 204.4 मिलीमीटर तक बारिश हुई है.

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रांची जिले के मदनपुर गांव के किसान भवानी मुंडा ने बताया कि उनके दो एकड़ खेत में तरबूज और बाकि दो एकड़ में करेला, बोदी, भिंडी, नेनुआ लगा हुआ है. इस फसल के लिए उनकी लगभग डेढ़ लाख रुपए का पूंजी लगी थी. चार लाख रुपया कुल आने की उम्मीद थी. सब पानी में बह गया, कद्दू के खेत में पानी भर गया है, धूप आते ही यह पीला हो जाएगा और सड़ जाएगा.

झारखंड में तूफान के दौरान 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली. भवानी के मुताबिक, तेज हवा की वजह से बोदी, करेला की लत्ती (तना) सब नीचे गिर गई है. कितनों को ठीक करेंगे.

उन्होंने यह भी बताया, ‘लॉकडाउन में दो से पांच रुपए किलो तरबूज बेचे हैं.’ उनकी फसल कोलकाता और ओडिशा जाती थी. बीते एक महीने से एक बार भी माल बाहर नहीं गया है. उन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड के तहत 25 हजार का लोन लिया है, लेकिन वह पैसा भी अभी तक नहीं मिला है. वो कहते हैं, ‘एक तो मौसम की मार, दूसरा तेल और बिजली के दाम बढ़ाकर सरकारी मार. पता नहीं क्या करेंगे हमलोग.’


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पिछले साल दंगा और लॉकडाउन ने मारा, अबकी लॉकडाउन के साथ बारिश ने’

बेड़ो प्रखंड के किसान नीरज कुजूर ने बताया कि, ‘उनके खेत में टमाटर, कद्दू, भिंडी, फूलगोभी, पत्तागोभी, खीरा, बैंगन, फ्रेंचबीन आदि लगी हुई हैं.’ ‘सब तबाह हो गया है.’

लोहरदगा जिले के किसान गोपाल महतो की जिस वक्त दिप्रिंट से बात हुई, छाता लेकर खेत किनारे ही बैठे बर्बाद होते फसलों को देख रहे थे. उन्होंने बताया कि 12 हजार गोभी के पौधे लगे थे, इसके अलावा बैगन, टमाटर, शिमला मिर्च, खीरा लगाए हैं. बारिश के बाद धूप आई तो कुछ फसल बच जाएगा, फिर भी दो लाख रुपए से अधिक का नुकसान हो गया है.

उन्होंने बताया कि बीते साल भी पत्ता गोभी की फसल अच्छी हुई. लेकिन लोगों ने अफवाह फैला दिया कि इसको खाने के कोरोना होता है, बाद में मुझे फसल लगे खेत में ट्रैक्टर चलाना पड़ा. धनिया पत्ता का अच्छा रेट मिल रहा था. एक दिन बेचे भी, अगले ही दिन जिले में दंगा हो गया और कर्फ्यू लग गया. वो भी पूरा बर्बाद हो गया. साल 2020 में भारी नुकसान झेल चुके इस किसान ने 70 हजार रुपए का लोन भी ले रखा है. हर महीने 2300 का ब्याज भरना होता है. कहते हैं, ‘चूल्हा जलाना मुश्किल हो रहा है, लोन कहां से चुका पाएंगे. ‘

झारखंड में किसान का खेत जो फसल के साथ पानी में डूब गया/ आनंद दत्ता/दिप्रिंट
झारखंड में किसान का खेत जो फसल के साथ पानी में डूब गया/ आनंद दत्ता/दिप्रिंट

गौतम महतो, अध्यक्ष, पिठौरिया किसान संघ के अध्यक्ष ने दिप्रिंट को बताया, ‘बीते दो मई को लॉकडाउन में किसी भी तरह की यात्रा के लिए सरकार ने ई-पास को आवश्यक कर दिया. अधिकतर किसानों के पास स्मार्टफोन न होने की वजह से वह गांव से बाहर नहीं निकल पाए. ऐसे में टमाटर, तरबूज जैसे फसल को किसानों ने खेतों में ही छोड़ दिया. हाल के दिनों में तरबूज के लिए सरकार ने छोटे क्रय केंद्र जरूर बनाएं, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान साबित हुआ.’

नुकसान की भरपाई के लिए सरकार तैयार, पर समय सीमा तय नहीं

पूरे मसले पर राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख कहते हैं, चक्रवात से जितने भी किसानों के फसल का नुकसान हुआ है, सरकार उसकी भरपाई करेगी. किसान पहले ओलावृष्टि, फिर लॉकडाऊन और अब तूफान की वजह से नुकसान में हैं. सरकार को इसका पूरा अंदाजा है, हम मामले पर नजर बनाए हुए हैं.

भरपाई की जानकारी देने किसान सिस्टम के पास जाएगा या सिस्टम किसानों के पास पहुंचेगा. इस सवाल के जवाब में मंत्री ने खुलकर कुछ नहीं बताया. उन्होंने कहा, ‘इससे पहले ओलावृष्टि से हुए फसलों के नुकसान का आकलन किया गया है. जिन प्रखंडो में नुकसान की शिकायत आई, अधिकारियों ने वहां जाकर सर्वे किया है. रिपोर्ट एक-दो दिन में जारी किया जाएगा. इसी तरीके से तूफान से हुए फसलों के नुकसान का भी आकलन किया जाएगा. ‘

ऐसे में सवाल ये उठता है कि कितने किसान सरकार तक अपने नुकासन की जानकारी दे पाएंगे, अगर दे भी दिया तो कितनी शिद्दत से अधिकारी उनतक पुहंचेंगे.

झारखंड एग्रो चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष आनंद कोठारी मंत्री की बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. उन्होंने कहा, ‘इस भारी बारिश से राज्य के प्रत्येक किसान को अमूमन 25 हजार से एक लाख रुपए तक का नुकसान हुआ है.’

‘सरकार के पास नुकसान का शिकायत लेकर किसान नहीं, दलाल पहुंचेगा. खानापूर्ति भी दलालों के माध्यम से ही होगा. इससे बचने के लिए सरकार को मुखिया, पंचायत समिति, किसान मित्र, जल मित्र, उद्यान मित्र के नेटवर्क का इस्तेमाल करे और जल्द आकलन करे. साथ ही उसे सैटेलाइट सर्वे भी कराना चाहिए.’

आनंद कोठारी के मुताबिक पूरे देश में बाजार समिति के माध्यम से किसानों को फसल बेचने की सुविधा मिली हुई है. ‘लेकिन झारखंड में इसपर अवैध कब्जा है. जो भी मंडी लग रही है, वह किसानों के लिए नहीं, व्यापारियों के लिए है. सरकार तत्काल इन मंडियों को खाली कराए और किसानों के हवाले करें.’

तूफान के देखते हुए राज्य के तीन जिलों के 10 हजार से अधिक लोगों को राहंत शिविरों में पहुंचाया गया है. सबसे अधिक प्रभाव चाईबासा जिले में देखने को मिला है जहां कई घर तबाह हो गए हैं. हालांकि अभी तक जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)


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