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Friday, 22 November, 2024
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अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट का सदस्य बनना चाहता है हर संत, आपसी खींचतान में हो रही घोषणा में देरी

सरकार नहीं चाहती कि संतो की आपसी खींचतान बाहर आए यही कारण है कि ट्रस्ट की घोषणा में समय लग रहा है. सूत्रों के अनुसार ट्रस्ट 11 सदस्यों का होगा जिनमें राम मंदिर आंदोलन से जुड़े कुछ संतो को जगह दी जाएगी.

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दिल्ली/लखनऊ: अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के भीतर सरकार से ट्रस्ट बनाने की बात कही थी. उस दौरान अयोध्यावासियों को उम्मीद थी कि कुछ दिनों के भीतर ही ट्रस्ट बन जाएगा लेकिन संतों की आपसी खींचतान के कारण ट्रस्ट बनाने में सरकार को देरी हो रही है.

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर केंद्र सरकार को दी गई सुप्रीम कोर्ट की मियाद 9 फरवरी को समाप्त हो रही है. लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ट्रस्ट का निर्माण नहीं कर पाई है.

इस मामले के एक जानकार ने बताया, ‘विश्व हिंदू परिषद ने राम जन्मभूमि निर्माण मामले में राम जन्मभूमि न्यास, रामालय ट्रस्ट और दूसरे समूह निर्मोही अखाड़ा और दिगंबर अखाड़ा जैसे अन्य समूहों ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि सरकार जिसपर विश्वास करेगी उन्हें वह फैसला मंजूर होगा और वे उससे सहमत होंगे.’

‘लेकिन यह बात किसी से छुपी नहीं रह गई है कि इन सभी गुटों में बहुत अधिक विरोध हो रहा है.’

इस मामले से परिचित एक सूत्र ने आगे कहा, ‘राम मंदिर का निर्माण उन सभी के लिए विश्वास का विषय है और वे ट्रस्ट में अपना प्रतिनिधित्व चाहते हैं.’

सरकार से जुड़े सूत्र आगे बताते हैं, ‘ सरकार विभिन्न समूहों के पास उनकी चिंता को समझते हुए और मंदिर निर्माण के बड़े लक्ष्य के लिए एक साथ काम करने को लेकर मनाने के लिए सभी संतों के अखाड़ों और न्यास के पास पहुंचा है, चाहे जो भी ट्रस्ट का हिस्सा हो.

सूत्र आगे बताता है,’ सरकार यह नहीं चाहती है कि ट्रस्ट बनने के बाद अलग-अलग गुटों के बीच मतभेद खुले और सामने आ जाए.’ इसलिए गृह मंत्रालय मंदिर निर्माण ट्रस्ट में कौ- कौन शामिल होंगे इनके नामों के नोटिफिकेशन से पहले पूरी तरह तैयारी करना चाहती है .’

दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक यूपी के तमाम नामचीन संत इस ट्रस्ट का सदस्य बनना चाहते हैं. वे लखनऊ से लेकर दिल्ली तक अपनी ताकत लगा रहे हैं.


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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार नहीं चाहती कि संतो की आपसी खींचतान बाहर आए यही कारण है कि ट्रस्ट की घोषणा में समय लग रहा है.

सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार ट्रस्ट 11 सदस्यों का होगा जिनमें राम मंदिर आंदोलन से जुड़े कुछ संतो तो जगह दी जाएगी. वहीं गृह मंत्रालय के सचिव व अयोध्या के डीएम को भी शामिल किया जा सकता है. वहीं यूपी के सीएम और राज्यपाल को भी शामिल करने की चर्चाएं हैं.

अध्यक्ष पद की रेस

ट्रस्ट का अध्यक्ष बनने की रेस में रामजन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास का नाम आगे चल रहा है.मणिरामदास छावनी के महंत कमलनयन दास का कहना है कि जल्द से जल्द सरकार को ट्रस्ट बना देना चाहिए. ‘रामजन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास को ही इसका अध्यक्ष बनाना चाहिए.’

कमलनयन को महंत गोपालदास अपना उत्तराधिकारी मानते हैं. कमलनयन ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘वह भी ट्रस्ट के सदस्य बनना चाहते हैं अगर सरकार बनाए, लेकिन गुरूजी (गोपालदास) इस ट्रस्ट के अध्यक्ष बन जाएं तो अच्छा रहेगा.’

उनका ये भी कहना है कि कारसेवकपुरम में जो मंदिर माॅडल रखा है सरकार को वैसा ही भव्य राम मंदिर का निर्माण करना चाहिए.

निर्मोही अखाड़ा के सरपंच महंत दिनेंद्र दास के सहयोगी दुर्गेश शुक्ला ने बताया, ‘अखाड़ा सरकार के फैसले का इंतजार कर रहा है. ट्रस्ट में हमें शामिल किया जाएगा ये लगभग तय है. हमें भी जल्द ही ट्रस्ट बनने का इंतजार है.सरकार हमें क्या रोल देगी ये उसे तय करना है.’

दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास ने दिप्रिंट से कहा कि ट्रस्ट में दिगंबर अखाड़ा भी शामिल होना चाहिए क्योंकि हमारे महंत परमहंस दास ने 1949 से इस लड़ाई को लड़ा है.


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’70 साल की लड़ाई हमने रामलला के लिए लड़ी है. सरकार ट्रस्ट का अध्यक्ष जिसे भी बनाए हमें स्वीकार होगा. हमें उम्मीद है फरवरी के पहले सप्ताह तक ट्रस्ट बन जाएगा.’

वहीं दूसरी तरफ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने दिप्रिंट से कहा कि सरकार का जो भी फैसला होगा वो स्वीकार होगा. ट्रस्ट में शामिल होने की इच्छा तमाम संतो की है लेकिन सरकार जिसे भी शामिल करे मंजूर है.

संतो के ये बयान भी हैं वजह

अयोध्या मामले पर फैसला आने के कुछ दिन बाद ही श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा, ‘हमारी अध्यक्षता में राममंदिर बनेगा, जिसको शामिल होना होगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या सीएम योगी समेत कुछ लोग ट्रस्ट में आ जाएंगे. नया ट्रस्ट बनाने की कोई जरूरत नहीं है.’

हालांकि बाद में उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार का जो भी फैसला होगा वह स्वीकार करेंगे.

इस बीच अयोध्या श्रीरामजन्मभूमि रामालय न्यास के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने स्थानीय मीडिया से बातचीत में कहा है कि राममंदिर बनाने का दायित्व सरकार को उनके रामालय न्यास को देना चाहिए.

उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि अयोध्या में रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का जिम्मा अयोध्या श्रीरामजन्मभूमि रामालय न्यास को दें, यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो वे न्यायालय का सहारा लेंगे.

मंदिर माॅडल पर सरकार से अपील

प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा आयोजित दो दिवसीय संत सम्मेलन में संतों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि प्रस्तावित राम मंदिर के लिए वीएचपी के लोकप्रिय मंदिर मॉडल को ही चुना जाए. शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने तो यहां तक कह दिया कि राम मंदिर निर्माण में वीएचपी के मॉडल को अपनाया जाए.अगर वीएचपी का मॉडल अपनाया गया तभी वे मंदिर जाएंगे वरना सरयू का दर्शन कर अयोध्या से वापस लौट आएंगे.

वीएचपी से जुड़े एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि जो वीएचपी का मंदिर माॅडल है उसे ‘संतो की स्वीकृति’ है. वीएचपी ये भी चाहती है कि जो फंड मंदिर निर्माण के लिए इकट्ठा किया गया है उसका भी मंदिर निर्माण में प्रयोग किया जाए.

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