नई दिल्ली: यूरोपीय संघ (ईयू) ने सोमवार को कहा कि वह भारत के साथ ऊर्जा सहयोग बढ़ाने पर जोर देगा क्योंकि ब्रसेल्स का इरादा यूक्रेन पर हमले के मद्देनजर रूसी तेल और गैस की खरीद पर निर्भरता घटाकर इसमें ‘विविधता’ लाने का है.
रूस-यूक्रेन जंग जारी रहने के बीच यूरोपीय संघ ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के साथ भागीदारी और जीवाश्म ईंधन जैसे गैर-नवीकरणीय स्रोतों पर निर्भरता घटाने में गहरी रुचि जताई है. ‘यूरोपीय संघ-भारत सहयोग’ की अहमियत पर जोर देते हुए इसने स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े पैमान पर निवेश के अपने इरादे भी जाहिर कर दिए हैं.
नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के तुरंत बाद यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन ने सोमवार को ट्वीट किया कि ‘सौर और ग्रीन हाइड्रोजन पर यूरोपीय संघ-भारत सहयोग महत्वपूर्ण है.’
Energy security is one of the most pressing topics for India and Europe.
The EU will diversify away from Russian fossil fuels and will invest heavily in clean renewable energy.
So ???? cooperation on solar and green hydrogen is key.#GlobalGateway can play a crucial role here. pic.twitter.com/StsFj7T5UV
— Ursula von der Leyen (@vonderleyen) April 25, 2022
यूरोपीय आयोग यूरोपीय संघ की एक्जीक्यूटिव ब्रांच है. आयोग की अध्यक्ष के तौर पर वॉन डेर लेयेन की यह पहली भारत यात्रा है.
मोदी ने अपने आवास पर आयोजित बैठक के दौरान यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष से कहा, ‘भारत और यूरोपीय संघ के संबंध मजबूत हो रहे हैं और आने वाले समय में हमारी साझेदारी और बढ़ने की उम्मीद है.’
भारत-यूरोपीय संघ के संबंध ‘आज पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण’ होने पर जोर देते हुए वॉन डेर लेयेन ने कहा, ‘हम जीवंत लोकतंत्र हैं, हम दोनों पूरी शिद्दत से नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन करते हैं. हम दोनों बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं, और दोनों ही एक चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिदृश्य का सामना कर रहे हैं. यूरोपीय संघ के लिए भारत के साथ साझेदारी आने वाले दशक के लिए हमारे सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में एक है और इस साझेदारी को मजबूत करना हमारी प्राथमिकता है.’
उन्होंने कहा, ‘हम एक चुनौतीपूर्ण राजनीतिक परिदृश्य का भी सामना कर रहे हैं.’ साथ ही जोड़ा कि सुरक्षा और व्यापार भारत-यूरोपीय संघ के रिश्तों का आधार होगा.
मोदी से मुलाकात से पहले यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की. बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने यूक्रेन के हालात पर चर्चा की.
Pleased to call on President of @EU_Commission @vonderleyen.
Discussed taking forward the #IndiaEU partnership. Also exchanged views on the economic and political implications of the Ukraine conflict. pic.twitter.com/tjN9CMnB5K
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) April 25, 2022
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यूरोपीय संघ-भारत व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और वॉन डेर लेयन ने यूरोपीय संघ-भारत व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद शुरू करने का फैसला भी किया.
यूरोपीय संघ की तरफ से जारी एक प्रेस बयान में बताया गया है, ‘रणनीतिक स्तर पर समन्वय का यह तंत्र दोनों देशों को व्यापार, विश्वसनीय प्रौद्योगिकी और सुरक्षा क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियों से उबरने में मदद करेगा, और इससे यूरोपीय संघ और भारत के बीच इन क्षेत्रों में सहयोग और गहरा होगा.’
वॉन डेर लेयेन के मुताबिक, यूरोपीय संघ के पास अब तक केवल एक व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद थी और वह अमेरिका के साथ है.
यूरोपीय संघ के बयान में कहा गया है, ‘दोनों पक्षों ने इस पर सहमति जताई कि भू-राजनीतिक माहौल में तेजी से बदलाव को देखते हुए संयुक्त रूप से गहन रणनीतिक जुड़ाव जरूरी है. व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद राजनीतिक निर्णयों पर अमल, तकनीकी कार्यों में समन्वय और यूरोपीय और भारतीय अर्थव्यवस्थाओं की सतत प्रगति के लिए अहम क्षेत्रों में आवश्यक कदमों पर अमल और फॉलोअप सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक स्तर पर रिपोर्ट करने के लिए आवश्यक ढांचा प्रदान करेगी.’
भारत और 27 देशों वाला यूरोपीय संघ 2007 से एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत कर रहे हैं. पिछले साल मई में यूरोपीय संघ के नेताओं और सदस्य राष्ट्रों के साथ एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी ने कहा था कि दोनों पक्ष एफटीए पर अटकी वार्ता जल्द ही फिर शुरू करेंगे.
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