scorecardresearch
Wednesday, 20 November, 2024
होमदेश‘इंजीनियर, शिक्षक’, ‘सरकारी नौकर’ कौन हैं — हारिस फारूकी और रेहान ISIS का हिस्सा होने के आरोप में गिरफ्तार

‘इंजीनियर, शिक्षक’, ‘सरकारी नौकर’ कौन हैं — हारिस फारूकी और रेहान ISIS का हिस्सा होने के आरोप में गिरफ्तार

पिछले हफ्ते एनआईए ने दोनों को ‘ISIS के भारत संचालन को संभालने’ के आरोप में गिरफ्तार किया गया. एजेंसी ने फारूकी पर कट्टरपंथी समूह का भारतीय प्रमुख होने का आरोप लगाया गया है.

Text Size:

नई दिल्ली: कर्नाटक के बीदर में शाहीन कॉलेज में एक केमिकल इंजीनियर और एक शिक्षक, जिसने “भोले-भाले युवाओं को अलग-अलग मॉड्यूल बनाने के लिए कट्टरपंथी बनाया और भर्ती किया” — इस तरह भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्र 33-वर्षीय हारिस फारूकी का वर्णन करते हैं, जिसे कथित तौर पर इस्लामिक स्टेट जिसे आईएसआईएस के नाम से भी जाना जाता है, का भारतीय प्रमुख होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.

पिछले हफ्ते असम पुलिस ने फारूकी और उसके सहयोगी अनुराग सिंह उर्फ रेहान को गिरफ्तार किया था, जो कथित तौर पर पड़ोसी बांग्लादेश में डेरा डाले हुए थे और “आंतकी गतिविधियों” को अंजाम देने के लिए धुबरी सेक्टर से भारत में घुसने की योजना बना रहे थे. उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया, जिसके पास दोनों के खिलाफ कई मामले हैं.

एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि रेहान (30) नई दिल्ली के रेल भवन में सहायक अनुभाग अधिकारी था और सालाना 9 लाख रुपये कमाता था.

सूत्र ने कहा, “अनुराग पानीपत से था और उसने अपनी (इलेक्ट्रॉनिक्स) इंजीनियरिंग हिसार के गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी से की थी. उसके बाद, उसने सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षा दी.”

यह स्पष्ट नहीं है कि अनुराग फारूकी के संपर्क में कैसे आया, न ही यह स्पष्ट है कि क्या वो वही था जिसने उसे इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए प्रेरित किया था. हालांकि, सूत्रों ने बताया कि अनुराग ने बांग्लादेश की एक महिला से शादी की थी.

एक अन्य सूत्र के अनुसार, फारूकी, जो देहरादून से है, “अत्यधिक कट्टरपंथी” है और प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन “आईएसआईएस की आतंकवादी गतिविधियों को आगे बढ़ाने” में शामिल होने के लिए पिछले पांच साल से एजेंसियों के रडार पर था. फारूकी कथित तौर पर कर्नाटक, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब और गोवा में आईएसआईएस मॉड्यूल स्थापित करने में सहायक था और “सीमा पार से प्रमुख संचालकों” के संपर्क में था. सूत्र ने कहा, दोनों ने आईएसआईएस की आतंकवादी गतिविधियों को भी वित्त पोषित किया.

सूत्र ने बताया, “ये दोनों भारत में आईएसआईएस के अत्यधिक प्रशिक्षित और प्रेरित लीडर हैं. दोनों ने पूरे भारत में कई स्थानों पर आईईडी के माध्यम से भर्ती, आतंकी फंडिंग और आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने की साजिशों के माध्यम से भारत में आईएसआईएस के उद्देश्य को आगे बढ़ाया था.”

उनके सूत्र के अनुसार, दोनों गुप्त संचार ऐप्स के माध्यम से अपने “विदेश स्थित हैंडलर” के संपर्क में थे और आतंकवादी समूह के भारत संचालन को संभाल रहे थे.

सूत्र ने बताया, “वे आईएसआईएस में शामिल होने और इसकी हिंसक विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए शारीरिक और सोशल मीडिया दोनों पर भोले-भाले युवाओं को कट्टरपंथी बना रहे थे और भर्ती कर रहे थे. इस उद्देश्य के लिए, वे ‘बैअत’ के आपत्तिजनक वीडियो के साथ-साथ हिंसक जिहाद और सीरिया में हिजरत से संबंधित सामग्री भी साझा कर रहे थे.”

बैअत, जिसे ब्याह कहा जाता है, किसी विशेष नेता के प्रति अपनी निष्ठा घोषित करने की एक इस्लामी प्रथा है.

एनआईए द्वारा जांच किए जा रहे मामलों के अलावा, दोनों व्यक्ति दिल्ली और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में लंबित कई जांचों में भी आरोपी हैं.


यह भी पढ़ें: ‘वफादार नागरिक’: गिलानी की पोती, शब्बीर शाह की बेटी ने अलगाववाद से बनाई दूरी


‘एक टॉपर ने बनाई IED’

सूत्र के मुताबिक, फारूकी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का छात्र था और अक्सर अपनी क्लास में टॉप करता था. इस्लामिक स्टेट के रैंकों में तेज़ी से बढ़ने के बाद, उसने कथित तौर पर समूह के लिए रसद की व्यवस्था करना शुरू किया.

सूत्र ने बताया, “वे चतुर है और जानता है कि भोले-भाले युवाओं को कैसे निशाना बनाना है और उन्हें कैसे प्रेरित करना है. उन्होंने पहले छोटे समूहों के साथ शुरुआत की और फिर अपने ऑपरेशन का विस्तार किया. चूंकि, वो एक केमिकल इंजीनियर है, बम बनाने में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न विस्फोटकों और रसायनों के बारे में जानता है और इस तरह इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस बनाने में भी शामिल था.”

फारूकी के पिता एक यूनानी डॉक्टर हैं और देहरादून के नगर निगम यूनानी औषधालय से सेवानिवृत्त हुए हैं. सूत्र ने कहा, वे छह भाई-बहनों में से एक है और उसके तीन भाई और दो बहनें हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: भारतीय मुसलमानों में बौद्धिक वर्ग का अभाव क्यों है? उनके लिए यह सबसे पहले राजनीति है


 

share & View comments