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Tuesday, 12 November, 2024
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2047 तक भारत को सबसे विकसित राष्ट्र बनाने के लिए महिलाओं को आगे बढ़ाएं : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति ने शिल्पकारों से संवाद में कहा कि आप श्रीमहाकाल लोक में मूर्ति का निर्माण कर रहे हैं, यह पूरे देश और विशेषकर ओडिशा राज्य के लिये गर्व का विषय है. मुख्यमंत्री ने शिल्पकारों को प्रोत्साहन स्वरूप एक-एक लाख रुपये की राशि प्रदान करने की भी घोषणा की.

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मध्य प्रदेश: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को दुनिया का सबसे विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए महिलाओं को उच्च शिक्षा हासिल करने और आत्मनिर्भर बनने के वास्ते प्रोत्साहित किए जाने की ज़रूरत है.

राष्ट्रपति ने आह्वान किया कि इस सिलसिले में आधी आबादी को हर तबके की मदद मिलनी चाहिए.

राष्ट्रपति ने इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के हीरक जयंती वर्ष के दीक्षांत समारोह में कहा, ‘‘मैं सभी शिक्षण संस्थानों और शिक्षकों से कहना चाहूंगी कि वे बेटियों को उच्च शिक्षा हासिल करने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करें क्योंकि हम भारत को 2047 तक सबसे विकसित और सबसे आगे चलने वाला देश बनाना चाहते हैं.’’

उन्होंने कहा,‘‘…इसलिए आधी आबादी के रूप में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए हम सबको महिलाओं को सहयोग और प्रोत्साहन देने की ज़रूरत है. अगर आपके सहयोग और मार्गदर्शन से हमारी बेटियां बड़े सपने देखकर उन्हें साकार करेंगी, तभी आप सही मायने में देश के विकास में भागीदार बन पाएंगे.’’

राष्ट्रपति ने रेखांकित किया कि उन्होंने दीक्षांत समारोह में जिन मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण और रजत पदकों से नवाजा, उनमें छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक है.

उन्होंने इंदौर के पूर्व होलकर राजवंश की शासक देवी अहिल्याबाई को उनकी 300वीं जयंती पर उनके कुशल प्रशासन, न्यायपरायणता, महिला सशक्तिकरण, लोक कल्याणकारी कार्यों और जनजातीय विकास के क्षेत्रों में उनके ऐतिहासिक योगदान के लिए याद किया.

राष्ट्रपति ने कहा,‘‘देवी अहिल्याबाई का जीवन इस बात का उदाहरण है कि महिलाएं राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों समेत सभी क्षेत्रों में सक्रिय होकर क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती हैं.’’

उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई 18वीं सदी में भी शिक्षा के महत्व को समझती थीं और उनके पिता ने उन्हें उस दौर में शिक्षित किया, जब लड़कियों का पढ़ना आम बात नहीं थी और समाज के लोग इसका विरोध भी करते थे.

दीक्षांत समारोह को सूबे के राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी संबोधित किया. इस मौके पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी मौजूद थीं.

इसके अलावा राष्ट्रपति ने उज्जैन में श्री महाकाल लोक में पाषाण की मूर्तियों का निर्माण करने वाले शिल्पकारों से मिलकर संवाद किया और उनके द्वारा बनाई जा रही मूर्तियों को उत्कृष्ट बताया.

राष्ट्रपति से शिल्पकार ईश्वर चन्द्र महाराणा, शिल्पकार आदित्य महाराणा, शिल्पकार सुरेश कुमार ओझा, शिल्पकार अक्षय कुमार महाराणा से त्रिवेणी सभा मण्डपम में भेंट कर संवाद किया. सभी शिल्पकार ओडिशा के पुरी जिले के रहने वाले हैं.

राष्ट्रपति ने शिल्पकारों से संवाद में कहा कि आप श्रीमहाकाल लोक में मूर्ति का निर्माण कर रहे हैं, यह पूरे देश और विशेषकर ओडिशा राज्य के लिये गर्व का विषय है. उन्होंने शिल्पकारों द्वारा किए जा रहे कार्य के बारे में विस्तार से जानकारी ली. राष्ट्रपति ने शिल्पकारों से कहा कि पढ़ाई सभी लोग करते हैं, लेकिन कला सबके पास नहीं होती है. आपके द्वारा किए जा रहे कार्य बहुत सराहनीय है.

इस दौरान राष्ट्रपति ने शिल्पकारों को शॉल और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया. शिल्पकारों द्वारा राष्ट्रपति को पाषाण का शिवलिंग भेंट किया.

श्रीमहाकाल लोक में शिल्पकार शिव, कमल, सप्त ऋषियों इत्यादि की मूर्तियां बना रहे हैं. मूर्तियां बनाने का अधिकांश कार्य पूर्ण होने की कगार पर है.

मुख्यमंत्री ने शिल्पकारों को प्रोत्साहन स्वरूप एक-एक लाख रुपये की राशि प्रदान करने की भी घोषणा की.

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