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Friday, 22 November, 2024
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शिक्षा के क्षेत्र में निर्मला ने एफडीआई का दिया प्रस्ताव, पिछड़े तबके के छात्रों के लिए विश्वस्तरीय ऑनलाइन डिग्री कोर्स

इस वित्त वर्ष में शिक्षा के लिए 99,300 करोड़ आवंटित किया गया है. पिछली बार शिक्षा के लिए 94,853.64 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था. 

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नई दिल्ली: निर्मला सीतारमण ने शिक्षा स्तर को बेहतर बनाने के लिए एफडीआई का प्रस्ताव दिया है. बजट भाषण के दौरान शिक्षा से जुड़ी घोषणाएं करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ‘नई शिक्षा नीति’ (एनईपी) जल्द लाई जाएगी.

इस दौरान उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष में शिक्षा के लिए 99,300 करोड़ आवंटित किया गया है. पिछली बार शिक्षा के लिए 94,853.64 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था. यानि शिक्षा बजट में 5000 करोड़ की बढ़ोतरी की है.

वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि देश में बेहतर डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए मेडिकल कॉलेजों को डिस्ट्रिक हॉस्पिटल से जोड़ा जाएगा. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय पुलिस विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय फॉरेंसिक विश्वविद्यालय का प्रस्ताव भी दिया.

उन्होंने कहा, ‘2021 तक इंजीनियरिंग से जुड़े युवाओं को अर्बन लोकल बॉडी इंटर्नशिप अवसर देगी. ये एक साल की होगी.’ पिछड़े वर्ग के लोगों की अच्छी शिक्षा के लिए डिग्री लेवल के ऑनलाइन प्रोग्राम शुरू किए जाएंगे और ऐसा करने की अनुमति सिर्फ़ रैंकिंग के लिहाज़ से टॉप के 100 संस्थान को होगी.


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उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के लिहाज़ से भारत एक अहम स्थान होना चाहिए. इसके लिए ‘स्टडी इन इंडिया’ के लिए एशिया और अफ्रीका के देशों में इंड-सैट की परीक्षा होगी जिसके तहत इन देशों के छात्रों को भारत में दाखिला मिलेगा. नेशनल पुलिस और नेशनल फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट भी बनेंगे.

निर्मला सीतारमण ने शिक्षा स्तर को बेहतर बनाने के लिए एफडीआई की बात किए जाने को शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ एक बेहतर कदम बता रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि विदेश के बेहतरीन शैक्षनिक संस्थान को भारत में निवेश करने का मौका मिलेगा.

कैसा था पिछले साल का शिक्षा बजट

नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में 2019-20 के सत्र में शिक्षा के क्षेत्र के लिए 94,853.64 करोड़ रुपए का आवंटन किया था. ये इसके पहले यानी 2018-19 वित्त वर्ष की तुलना में 10,000 करोड़ रुपए ज़्यादा था.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों में ये उम्मीद बरकरार रही कि 2020-21 के वित्त वर्ष में शिक्षा बजट को काफ़ी बढ़ाया जाएगा क्योंकि नई शिक्षा नीति को इस साल कभी भी लागू किया जा सकता है.


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किसी नई स्कीम की घोषणा की उम्मीद कम है क्योंकि प्रस्तावित शिक्षा नीति में पहले से कई नई बातें हैं. 2019-20 में स्कूली शिक्षा को ज़्यादा और उच्च शिक्षा को कम बजट मिला था. वहीं, इसी वित्त वर्ष में सरकार हायर एजुकेशन फाइनैंसिंग एजेंसी (हेफ़ा) लेकर आई जिसके सहारे उच्च शिक्षा संस्थानों को अपना ख़र्च ख़ुद वहन करने की ओर बढ़ाया गया.

2019-20 के 94,853.64 रुपए के शिक्षा बजट में स्कूली शिक्षा को 56,536.63 करोड़ और बाकी के 38,317.01 करोड़ रुपए उच्च शिक्षा को आवंटित किए गए.

स्कूली शिक्षा में 36,322 करोड़ रुपए का सबसे बड़ा आवंटन समग्र शिक्षा अभियान के लिए किया गया. समग्र शिक्षा अभियान एक नई स्कीम है जिसमें प्रथामिक शिक्षा की ‘सर्व शिक्षा अभियान’ और ‘राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान’ को मिलाकर एक कर दिया गया.

नई शिक्षा नीति के पेंच में अटका एनआरएफ

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ (एनआरएफ) नाम की एक नई स्कीम की घोषणा की थी. इसका ध्येय अनुसंधान को बढ़ावा देना था. एनआरएफ की घोषणा के साथ अनुसंधान के क्षेत्र को मिलने वाली रकम 2019-20 में 350 करोड़ से बढ़कर 609 करोड़ हो गई. हालांकि, पिछली जुलाई में हुई एनआरएफ की घोषणा के बाद अब तक इसपर कोई काम नहीं हुआ.

शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि ऐसी सभी स्कीम जो अटकी पड़ी हैं वो नई शिक्षा नीति के साथ आगे बढ़ेंगी. मिनिस्ट्री के अधिकारियों के मुताबिक नई शिक्षा नीति को हरी झंडी दिलवाने के लिए फ़रवरी के मध्य में कैबिनेट में रखा जाएगा जिसके बाद मार्च के मध्य में इसे सार्वजनिक किया जा सकता है.

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