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Wednesday, 18 September, 2024
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फर्जी आयुष्मान भारत कार्ड मामले की जांच के बीच हिमाचल प्रदेश के दो कांग्रेस नेताओं के खिलाफ ईडी की छापेमारी

जांचकर्ताओं को संदेह है कि हिमाचल प्रदेश के कई अस्पतालों ने, जिनमें कांग्रेस नेताओं से जुड़े दो अस्पताल भी शामिल हैं, लाभार्थियों के लिए निर्धारित धन की हेराफेरी करने के लिए फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाए हैं.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हिमाचल प्रदेश के निजी अस्पतालों द्वारा कथित फर्जी लेन-देन की जांच के सिलसिले में बुधवार को छापेमारी की, जिसमें कम से कम दो अस्पताल राज्य कांग्रेस नेताओं से जुड़े हैं.

एजेंसी के सूत्रों का आरोप है कि कांगड़ा में फोर्टिस और श्री बालाजी अस्पताल, जो क्रमशः कांग्रेस विधायक रघुबीर सिंह बाली और हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष डॉ राजेश शर्मा से जुड़े हैं, राज्य के उन निजी अस्पतालों में शामिल हैं, जिन्होंने फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाए और लाभार्थियों को प्रतिपूर्ति या रिइम्बर्समेंट देने के नाम पर लाभ उठाया.

दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के पांच जिलों कांगड़ा, ऊना, शिमला, मंडी और कुल्लू के 19 स्थानों पर बाली और डॉ शर्मा के आवासों पर छापेमारी चल रही है. दिप्रिंट को इस बात की जानकारी मिली है.

पिछले महीने की शुरुआत में, जब कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू की पत्नी कमलेश ठाकुर को देहरा सीट से विधानसभा उपचुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा था, तब शर्मा ने सुखू पर ‘मानसिक उत्पीड़न’ का आरोप लगाया था.

शर्मा ने 2022 के विधानसभा चुनावों में देहरा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

नगरोटा से कांग्रेस विधायक बाली हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष और हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष हैं. कांगड़ा में फोर्टिस अस्पताल हिमाचल हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड की एक इकाई है, जिसके वे निदेशक हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2018 में शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना भारत में सूचीबद्ध सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के अस्पतालों में माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती होने के लिए लगभग 12 करोड़ आर्थिक रूप से वंचित परिवारों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का कवर प्रदान करती है.

धन शोधन की जांच हिमाचल प्रदेश के राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसवी एवं एसीबी), ऊना द्वारा श्री बांके बिहारी अस्पताल ऊना में पूर्व आरोग्य मित्र किरण सोनी के खिलाफ फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने के आरोप में दर्ज मामले से उपजी है.

पिछले साल 23 जनवरी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान सुरक्षा की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.

25 करोड़ रुपये की ‘अपराध की आय’

एफआईआर, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट ने देखी है, में आरोप लगाया गया है कि सोनी ने नवंबर 2019 से नवंबर 2021 के बीच 69 फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाए और इसके अलावा योजना के कई वास्तविक लाभार्थियों से प्रत्येक के लिए 2,000 से 2,500 रुपये लिए.

इस एफआईआर के आधार पर, संघीय जांच एजेंसी के शिमला जोनल कार्यालय ने इस महीने की शुरुआत में एक ईसीआईआर (ईडी की एफआईआर के समकक्ष) दर्ज की.

ईडी के सूत्रों ने कहा कि जांच श्री बांके बिहारी अस्पताल से आगे बढ़ती है और फोर्टिस अस्पताल, श्री बालाजी अस्पताल, सूद नर्सिंग होम और श्री हरिहर अस्पताल सहित अन्य ने भी कुल 373 फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाकर अवैध लाभ उठाया.

ईडी की अब तक की जांच से पता चलता है कि आयुष्मान भारत योजना के कथित लाभार्थियों को दिए गए उपचार पर खर्च की आड़ में इन अस्पतालों द्वारा 40.68 लाख रुपये की हेराफेरी की गई. एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जारी किए गए 8,937 आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड अब तक मानदंडों के उल्लंघन के कारण रद्द कर दिए गए हैं.

आयुष्मान कार्ड एक राष्ट्रीय योजना के तहत जारी किया जाता है, जबकि गोल्डन कार्ड एक राज्य-विशिष्ट स्वास्थ्य सेवा योजना के तहत जारी किया जाता है. अब तक के निष्कर्षों से जांचकर्ताओं को संदेह है कि अपराध की आय 25 करोड़ रुपये तक हो सकती है.

ईडी के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, “जिन लाभार्थियों के बारे में दावा किया गया था कि वे मरीजों की सूची में हैं, और उन्हें प्रतिपूर्ति (Reimbursement) मिली है, उन्होंने ऐसे किसी भी आईडी कार्ड के होने या किसी भी जानकारी से इनकार किया और न ही उन्होंने ऐसे अस्पतालों में कोई इलाज कराया.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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