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Sunday, 21 September, 2025
होमदेश'LTTE पुनर्जीवन साजिश' में ED की जांच तेज, चेन्नई जेल में बंद श्रीलंकाई महिला से करेगी पूछताछ

‘LTTE पुनर्जीवन साजिश’ में ED की जांच तेज, चेन्नई जेल में बंद श्रीलंकाई महिला से करेगी पूछताछ

चेन्नई कोर्ट ने ईडी को अनुमति दी है कि वह फ्रांसिस्का से मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत पूछताछ करे. यह पूछताछ तमिल आतंकवादी संगठन एलटीटीई के बचे हुए नेताओं या सदस्यों द्वारा संगठन को फिर से सक्रिय करने की कोशिशों की मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में की जाएगी.

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नई दिल्ली: श्रीलंकाई नागरिक लेचुमनन मैरी फ्रांसिस्का 16 दिसंबर 2019 को टूरिस्ट वीज़ा पर भारत आई थीं. केंद्रीय एजेंसियों के अनुसार उनका मिशन फर्जी दस्तावेजों से भारतीय फोटो आईडी बनवाना, यहां लंबे समय तक रुकना और निष्क्रिय बैंक खातों से पैसा निकालना था. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का आरोप है कि यह पैसा श्रीलंका और अन्य जगहों पर लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) को पुनर्जीवित करने के लिए इस्तेमाल होना था.

लेकिन 2 अक्टूबर 2021 को चेन्नई एयरपोर्ट पर पकड़े जाने के बाद उनका मिशन असफल हो गया. तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं. अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उनसे मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत पूछताछ करने जा रहा है. यह पूछताछ अगले हफ्ते चेन्नई की पुज़ल सेंट्रल जेल में होगी, जहां फ्रांसिस्का बंद हैं.

अक्टूबर 2021 में गिरफ्तारी के बाद तमिलनाडु सीआईडी ने फ्रांसिस्का को वीज़ा अवधि से अधिक रुकने और फर्जी तरीके से भारतीय पासपोर्ट बनाने के आरोप में हिरासत में लिया. पूछताछ में एलटीटीई को फिर से जीवित करने की साज़िश का खुलासा हुआ और उन पर आतंकवाद से जुड़े आरोप लगाए गए. उनकी जानकारी से सात और लोग गिरफ्तार हुए.

बाद में मामला एनआईए को सौंपा गया और ईडी ने भी प्रवर्तन केस सूचना रिपोर्ट दर्ज की. लेकिन फ्रांसिस्का न्यायिक हिरासत में होने के कारण जांच धीमी रही. इस साल ईडी ने कोर्ट से जेल में पूछताछ की अनुमति मांगी.

बुधवार को कोर्ट ने ईडी को उनकी बयान रिकॉर्ड करने की अनुमति दी और कहा कि यह “एक अलग तरह का मामला” है. कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 की धारा 50 ईडी को गवाहों से रिकॉर्ड और सबूत मांगने का अधिकार देती है. इसलिए एजेंसी के पास कोर्ट की अनुमति लेना ही एक विकल्प था.

कोर्ट ने ईडी को जेल के अंदर लैपटॉप, प्रिंटर और अन्य ज़रूरी उपकरण ले जाने की अनुमति दी है. पूछताछ दो दिन चलेगी और आदेश जारी होने के एक हफ्ते के भीतर पूरी करनी होगी.

LTTE को पुनर्जीवित करने की साज़िश

एनआईए के अनुसार, फ्रांसिस्का भारत उमाकांथन के निर्देश पर आई थीं. उमाकांथन डेनमार्क में रह रहा एक श्रीलंकाई तमिल है जिसे एजेंसी ने इस मामले का “मुख्य साज़िशकर्ता” बताया है. आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, उमाकांथन 1992 में एलटीटीई से जुड़ा था और उसने संगठन के जाफना बेस पर तीन महीने का हथियार प्रशिक्षण लिया था. इसके बाद उसे जाफना में एलटीटीई के राजनीतिक विंग में नियुक्त किया गया और नवंबर 1993 में श्रीलंकाई सेना और नौसेना के ठिकानों पर हमले में भी वह शामिल था.

1997 में वह गोली लगने की चोट के इलाज के लिए चेन्नई आया और दो साल बाद चेंगलपट्टू विशेष शिविर में श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों के साथ रखा गया. एनआईए ने अदालत को बताया कि 1999 में तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाई कोर्ट में शपथपत्र देकर कहा था कि उमाकांथन का चेंगलपट्टू विशेष शिविर से बाहर रहना “राष्ट्र की सुरक्षा के लिए हानिकारक” होगा.

एनआईए का आरोप है कि उमाकांथन के निर्देश पर फ्रांसिस्का ने एक पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार की ताकि इंडियन ओवरसीज बैंक में हमीदा-ए-लालजी के निष्क्रिय खाते का नियंत्रण ले सके. उसे इस खाते से 42.28 करोड़ रुपये निकालकर आगे भेजने के लिए कहा गया था.

भारत पहुंचने पर फ्रांसिस्का ने अपने सह-आरोपियों फर्नांडो और बसकरण की मदद से आधार, वोटर आईडी कार्ड, पैन और भारतीय पासपोर्ट जैसे पहचान पत्र पाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कराए. एनआईए का आरोप है कि उमाकांथन ने किसी और के नाम पर खोले गए बैंक ऑफ अमेरिका के खाते से 1,69,902 अमेरिकी डॉलर (1.19 करोड़ रुपये) बसकरण के बैंक खाते में जमा किए.

इसके अलावा, पिछले साल नवंबर में दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस मनीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की अध्यक्षता वाले एक यूएपीए ट्रिब्यूनल ने कहा कि उसने “सुरक्षित गवाहों के बयान देखे जो इस दावे को मज़बूत करते हैं कि लेचुमनन मैरी फ्रांसिस्का भारत और श्रीलंका में एलटीटीई को पुनर्जीवित करने का काम कर रही थीं”.

ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में गृह मंत्रालय के इस तर्क को स्वीकार किया कि “मई 2009 में श्रीलंका में सैन्य हार के बाद भी एलटीटीई ने ‘ईलम’ की अवधारणा नहीं छोड़ी है और वह गुप्त रूप से फंड जुटाने और प्रचार गतिविधियों के ज़रिए ‘ईलम’ के मकसद की दिशा में काम कर रही है”.

गृह मंत्रालय ने आगे कहा कि “एलटीटीई के बचे हुए नेता या कैडर बिखरे हुए कार्यकर्ताओं को दोबारा संगठित करने और संगठन को स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं” और यह भी कि “अलगाववादी तमिल समूह और pro-एलटीटीई समूह जनता में अलगाववाद की प्रवृत्ति को बढ़ावा देते रहे हैं और भारत में एलटीटीई के लिए समर्थन आधार मज़बूत कर रहे हैं”.

फ्रांसिस्का का मामला एनआईए द्वारा दर्ज किए गए चार मामलों में से एक है. ये मामले 2020 से 2022 के बीच तमिलनाडु और केरल पुलिस ने दर्ज किए थे.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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