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Saturday, 4 May, 2024
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भारत के गैर-बासमती चावल निर्यात प्रतिबंध से वैश्विक बाजारों पर बुरा असर क्यों पड़ सकता है

भले ही जुलाई में चावल की कीमतें साल-दर-साल 11% बढ़ी हैं, सरकार ने प्रमुख खाद्यान्नों में मुद्रास्फीति को कम करने के लिए पिछले कुछ महीनों में कई कदम उठाए हैं.

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नई दिल्ली: भारत ने गुरुवार को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया. इस कदम से वैश्विक चावल बाजार को बड़ा झटका लग सकता है. वैश्विक चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत है, और बाजार पर बारीकी से नज़र रखने वाली एजेंसियों के अनुसार, भारत काफी प्रतिस्पर्द्धी मूल्य पर एशियाई चावल का निर्यात करने वाला देश है.

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने गुरुवार को एक अधिसूचना जारी कर गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को ‘मुक्त’ निर्यात श्रेणी से ‘निषिद्ध’ श्रेणी में ट्रांसफर कर दिया. हालांकि, अधिसूचना में कहा गया है कि अन्य देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति से कुछ निर्यात की अनुमति दी जाएगी.

निर्यात प्रतिबंध के कारणों के बारे में हालांकि स्पष्ट रूप नहीं बताया गया है, लेकिन डिपार्टमेंट ऑफ कंज़्यूमर अफेयर्स के आंकड़ों के अनुसार, चावल की कीमत में वृद्धि होना – 19 जुलाई तक औसतन 40.9 रुपये प्रति किलोग्राम, जो एक साल पहले की तुलना में 11.3 प्रतिशत अधिक है – इसका एक कारण हो सकता है.

वैश्विक कृषि निर्यात का मासिक डेटाबेस रखने वाले अमेरिकी कृषि विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2022 में वैश्विक चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 39 प्रतिशत थी, जो जून 2023 तक बढ़कर 41 प्रतिशत हो गई.

Credit: Prajna Ghosh | ThePrint
क्रेडिट: प्रज्ञा घोष | दिप्रिंट

सरकार के एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलेपमेंट अथॉरिटी (एपीईडीए) के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में कुल 22.3 मिलियन मीट्रिक टन (एमटी) चावल का निर्यात किया. जिसमें से 57 प्रतिशत अब प्रतिबंधित किया जा चुका गैर-बासमती चावल था.

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एपीडा के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के कुल चावल निर्यात के साथ-साथ गैर-बासमती चावल के निर्यात की हिस्सेदारी धीरे-धीरे बढ़ी है.

हालांकि सरकार ने इस बार सामने आकर यह नहीं कहा है, लेकिन पिछले निर्णयों के अनुसार, निर्यात प्रतिबंध का कारण चावल की घरेलू कीमत में वृद्धि हो सकती है.

भारत ने बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए सितंबर 2022 में टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और विभिन्न अनाजों के निर्यात पर 20 प्रतिशत टैक्स लगाया था. इस साल जून में, सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना के तहत राज्य सरकारों को चावल की बिक्री पर रोक लगाने का आदेश पारित किया, ताकि “यह सुनिश्चित किया जा सके कि सेंट्रल पूल में पर्याप्त स्टॉक लेवल सुनिश्चित करते हुए मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति को नियंत्रण में रखा जा सके”.

चावल निर्यात पर प्रतिबंध से विभिन्न विदेशी सरकारों द्वारा की गई बाजार भविष्यवाणियों पर असर पड़ने की संभावना है.

अमेरिकी कृषि विभाग ने जून में जारी एक नोट, जिसे 14 जुलाई को भी दोहराया गया था, में कहा गया था, “2023 में भारत के सबसे अधिक प्रतिस्पर्द्धी कीमत वाले वैश्विक चावल निर्यातक बने रहने की उम्मीद है.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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