नई दिल्ली: मोदी सरकार ने सोमवार का छह लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना (एनएमपी) की घोषणा की. इसके तहत रेल, सड़क और बिजली क्षेत्र की बुनियादी ढांचा संपत्तियों का मौद्रिकरण किया जाएगा.
नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने कहा कि अगले चार साल के दौरान संपत्तियों के मौद्रिकरण के लिए परियोजनाओं की पहचान की गई है.
दिल्ली में नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के लॉन्च पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि भारत यह समझे कि हमारी संपत्ति का अधिकतम लाभ उठाने का समय आ गया है.’
सीतारमण ने कहा कि रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए ये जरूरी है ताकि ज्यादा आर्थिक विकास हो और ग्रामीण और सेमी-अर्बन को जोड़ा जा सके.
उन्होंने कहा, ‘संपत्तियों की सूची में अभी केंद्र सरकार की संपत्तियां हैं. हम राज्य सरकार की अभी बात नहीं कर रहे हैं.’
सीतारमण ने कहा कि संपत्ति मौद्रिकरण से संसाधनों का दोहन हो सकेगा और मूल्य प्राप्त किया जा सकेगा.
नीति आयोग ने रविवार को एक बयान में कहा था, ‘एनएमपी में केंद्र सरकार की पुरानी बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों की चार साल की पाइपलाइन शामिल है. निवेशकों को आगे की दृष्टि प्रदान करने के अलावा, एनएमपी सरकार की संपत्ति के मौद्रिकरण की पहल के लिए मध्यम अवधि की रूपरेखा के रूप में भी काम करेगी.’
निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों और पावर ग्रिड पाइपलाइनों सहित छह लाख करोड़ रुपये की बुनियादी ढांचा संपत्तियों को अंतिम रूप दे रही है, जिनका मौद्रिकरण किया जाएगा.
उन्होंने कहा था, ‘लगभग 6,000 करोड़ रुपये की एक राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना पर काम चल रहा है, जिसमें पाइपलाइन से लेकर पावर ग्रिड पाइपलाइन और राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर टीओटी (टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर) और इसी तरह की कई संपत्तियां होंगी.’
आम बजट 2021-22 में बुनियादी ढांचे के लिए नवीन और वैकल्पिक वित्तपोषण जुटाने के साधन के रूप में परिसंपत्ति मौद्रिकरण पर काफी जोर दिया गया था.
सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि नए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की परिचालन वाली संपत्तियों का मौद्रिकरण एक बहुत ही महत्वपूर्ण वित्तपोषण विकल्प है.
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