नई दिल्ली: भारत में बेरोज़गारी की दर 45 साल में अपने सबसे ऊंचे स्तर पर 2017-18 में 6.1 प्रतिशत रही. इसने एक बार फिर मोदी सरकार के रोज़गार सृजन पर सवाल उठा दिया है. वहीं सरकार ने कहा है कि डाटा को नये तरीके से तैयार किया जा रहा था, इसलिए ये रिपोर्ट जारी नहीं की गई.
नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस की रिपोर्ट जिसे सरकार ने दबा के रखा था, में बेरोज़गारी की दर शहरी क्षेत्र में महिलाओं में 27.2 प्रतिशत और पुरुषों में 18.7 प्रतिशत रही. यही आंकड़ा ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं के लिए 13.6 प्रतिशत और पुरुषों के लिए 17.4 प्रतिशत रहा.
बिज़नेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट कहती है कि अर्थव्यवस्था में अधिक संख्या में लोग रोज़गार से दूर हो रहे हैं. मोदी सरकार के नोटबंदी के नवंबर 2016 के फैसले के बाद के साल में बेरोज़गारी की दर तेज़ी से बढ़ी. नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था पर मानो ब्रेक लगा दी थी और छोटे और मझोले उद्योगों में कई नौकरियां चली गईं थीं.
2011-12 भारत की बेरोज़गारी की दर 2.2 प्रतिशत रही- ये नौकरियों के बारे में आखिरी उपलब्ध आंकड़े हैं. उसके बाद इस सर्वे को बंद कर दिया गया था. अब नया पिरियोडिक फोर्स लेबर सर्वे जुलाई 2017 और जून 2018 के बीच किया गया था और सालाना सर्वे रिपोर्ट एनएसएसओ ने तैयार की. ये वही रिपोर्ट है जिसे सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया.
एनएसएसओ की रिपोर्ट विवाद के केंद्र में तब आ गई जब राष्ट्रीय सांख्यिकी कमीशन के दो स्वतंत्र सदस्यों, पीसी मोहनन ने सोमवार को ये कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि सरकार ने एनएसएसओ की रिपोर्ट को दबा के रखा है जबकि उन लोगों ने उसे दिसंबर में ही हरी झंडी दिखा दी थी.
राजनीतिक प्रतिक्रिया
ये तय है कि आगामी लोक सभा चुनाव में विपक्ष बेरोज़गारी को बड़ा मुद्दा बनायेगा. और ये डाटा उसकी मदद भी करेगा. इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद कांग्रेस के नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट करके कहा कि मोदी ने 2 करोड़ नौकरियों का जो वादा किया था वो एक ‘भद्दा मज़ाक ‘ था.
Modiji,
Unemployment rate is at a 45-year high.
This is why the NSSO Report was kept under the wraps.
This is why members of NSC resigned.
Promise of 2Cr Jobs turned out to be a cruel joke!
India does not want a Govt that has left the future of our youth in jeopardy. pic.twitter.com/s4yjYKfIsx
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) January 31, 2019
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी मोदी सरकार की बखिया उधेड़ी.
मोदी ने कहा था कि उन्होंने कई नौकरियों का सृजन किया, हालांकि इसके आंकडे़ उनके पास नहीं थे. पर डाटा था लेकिन वो सच से डर रहे थे. भारत ने इतना कभी नहीं सहा जितना मोदी के शासन में, जिन्होंने 10 करोड़ नौकरियों के सृजन का वादा किया था.
Modi had claimed that data is not there but he has created unprecedented number of jobs. The data is there but he is scared of the truth. India has never suffered as much as under his rule. Modi’s promise was of 10 crore new jobs. https://t.co/AqE2k0pGI0
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) January 31, 2019
नीति आयोग के अध्यक्ष राजीव कुमार ने एनएसएसओ के पिरियोडिक लेबर फोर्स के सर्वेक्षण पर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि डाटा को नये तरीके से तैयार किया जा रहा था, इसलिए केंद्र ने ये रिपोर्ट जारी नहीं की.
"The data is being collected in a new manner. That is the reason why the centre did not release the report," says NITI Aayog Vice Chairman Rajiv Kumar
Watch LIVE now on https://t.co/hMlRpgrUU6 and NDTV 24×7 pic.twitter.com/yWPlH7gAXq
— NDTV (@ndtv) January 31, 2019
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