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Saturday, 21 December, 2024
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अंतरिम बजट में दी गई कर की छूट, मध्यम वर्ग को राहत देगी : राजस्व सचिव

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नई दिल्ली: राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे ने मोदी सरकार पर लगे आरोपों का खंडन किया है, वहीं अंतरिम बजट में दी गयी रियायतों का बचाव भी किया है.

भूषण पांडे ने कहा कि कर में छूट देकर मध्यम वर्ग के उस तबके को ‘राहत’ प्रदान करने की कोशिश की गई है जिनकी आय कम थी. उम्मीद है कि उन्हें आने वाले वित्तीय वर्ष में 1 अप्रैल से कर के बोझ से थोड़ी राहत मिलेगी.

पांडे ने एक विशेष साक्षात्कार में बताया,’हमने पिछले कुछ दशकों में देखा है कि कुछ जरूरी चीजें अंतरिम बजट के दौरान ही हुई हैं.’उन्होंने यह भी कहा कि इसमें संवैधानिक रूप से कोई रोक नहीं है क्योंकि किसी भी तरह से आपको अगले वर्ष के लिए मौजूदा कर दरों के साथ जारी रखना होगा और अंतरिम बजट में दरों की निरंतरता के लिए वित्त विधेयक प्रस्तुत करना होगा. लेकिन अब पूरा मुद्दा छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग के उन लोगों का है जो कम कमाते हैं.’

मोदी सरकार ने 5 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले लोगों को पूर्ण कर छूट प्रदान की है. 2 हेक्टेयर तक की जोत वाले छोटे किसानों को सरकार उनके खातों में सीधा 6,000 रुपये ट्रांसफर करेगी और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को 3,000 रुपये मासिक पेंशन देने का भी वादा किया है.

अजय भूषण पांडे ने कहा, ‘पूरी समस्या यह है कि मध्यम वर्ग के लोग कर मामले में निश्चिंतता चाहते हैं कि अगले साल उनका कर बोझ क्या होगा. इसीलिए यह निर्णय लिया गया और अंतरिम बजट प्रस्ताव में ही इस प्रस्ताव को शामिल किया जाए. ऐसा महसूस किया गया कि मध्यम वर्ग के कम आय वाले लोगों को राहत प्रदान करने की आवश्यकता है, जो केवल उन्हीं तक पहुंच सके.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया था. इसको सरकार के कुछ वर्गों द्वारा कर संरचना के साथ छेड़छाड़ करने और विभिन्न रियायतों की घोषणा करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था. बावजूद इसके की यह पूर्ण बजट नहीं था.

‘संतुलित बजट’

सरकार ने ‘एक संतुलित बजट पेश करने की कोशिश की थी’, पांडे ने कहा कि इन घोषणाओं के वित्तपोषण और राजकोषीय घाटे पर प्रभाव को भी ध्यान में रखा गया था. उन्होंने कहा, ‘हमने संतुलित बजट देने की कोशिश की. हमने जहां भी संभव हो, यथार्थवादी आंकड़ा देने की कोशिश की है. राजस्व पक्ष पर, हमने एक यथार्थवादी आंकड़ा दिया है, भले ही हमें अपने राजस्व संग्रह के आंकड़ों को संशोधित करना पड़े. व्यय करने के पक्ष पर यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को उचित धन मिले.’

उन्होंने कहा, ‘वास्तविक राजस्व संग्रह का आंकड़ा देने और बजट में घोषित किए गए सभी कार्यक्रमों को पूरा करने के बाद भी, राजकोषीय घाटा उस सीमा तक ठीक है जो हम चाहते थे. राजस्व सचिव ने दावा किया कि किसानों को दी गयी रियायतें ग्रामीण क्षेत्रों में आय के स्त्रोत के साथ ही विकास को भी बढ़ावा देगा.

उन्होंने कहा प्रत्यक्ष करों के तहत हमने 15 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है. जीएसटी के मामले में, हम 14 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य रख रहे हैं.

आधार आधारित स्थानान्तरण

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के प्रमुख रह चुके पांडे ने कहा कि आधार कार्ड यह सुनिश्चित करेगा कि किसानों को बजट में घोषित आय की सहायता मिल सके. उन्होंने कहा हमारे पास आधार कार्ड होना अच्छी बात है. कई सरकारी योजनाएं हैं, जहां पैसा मूल रूप से लाभार्थी के खातों में स्थानांतरित किया जा रहा है. यहां तक कि पीएम किसान सम्मान योजना भी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से की जाएगी. यह सुनिश्चित करेगी कि पैसा योग्य, योग्य किसानों को जाएगा और बिचौलियों या गलत व्यक्ति के पास नहीं जाएगा.

मनरेगा को आवंटन

भाजपा सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरी की गारंटी योजना (मनरेगा) को 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं – जो कि वित्त वर्ष की शुरुआत में सबसे अधिक है-बावजूद इसके, खुद पीएम मोदी ने अपने कार्यकाल के की शुरुआत में एक बार ‘यूपीए सरकार की विफलताओं के जीवित स्मारक’ के रूप में आलोचना की थी. हालांकि, सरकार इस योजना को भारी आवंटन कर रही है, लेकिन सिविल सोसायटी समूहों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस योजना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 88,000 करोड़ रुपये से कम कुछ भी नहीं होगा.

उन्होंने कहा मनरेगा एक वेतन गारंटी योजना है, हमें मांग के अनुसार काम करना होगा. इसलिए, राशि कम या ज्यादा होनी चाहिए, यह महत्वपूर्ण नहीं है. ‘पर्याप्त मात्रा में पैसा लगाया गया है, इसलिए सरकार का दायित्व पूरा हो गया है.’

नौकरियों का विवरण

एक लीक एनएसएसओ रिपोर्ट जो 2017-18 में बेरोजगारी दर को 45 साल के उच्चतम स्तर को दर्शाती है, यह पहले बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा छापी गई थी – इससे बहुत विवाद हुआ है कि , मोदी सरकार पर डेटा छिपाने का आरोप लगाया गया है.

पांडे ने कहा छिपाने का कोई सवाल नहीं है. ऐसी कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की जाती है और इसके कुछ संस्करण प्रसारित किए जा रहे हैं, तो हम इसकी सत्यता नहीं जानते हैं. ‘ऐसी रिपोर्टों पर टिप्पणी करना मेरे लिए उचित नहीं है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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