नई दिल्ली: एक नये सर्वेक्षण में सामने आया है कि बड़ी संख्या में भारतीय चाहते हैं कि कृषि और सड़कों जैसे बुनियादी ढांचे पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के केंद्रीय बजट 2022 में टॉप फोकस में किया जाय.
विकास के मोर्चे पर, 33 प्रतिशत भारतीय चाहते हैं कि कृषि पर सबसे ज्यादा फोकस हो, जबकि 31 प्रतिशत सड़कों और राजमार्गों पर प्रमुख फोकस का क्षेत्र बनाना चाहते हैं, सामुदायिक प्लेटफॉर्म लोकलसर्किल्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण में सामने आया है कि लोग बजट 2022-23 से प्राइमरी अपेक्षाओं का आकलन चाहते हैं.
सर्वेक्षण में सोमवार को कहा गया कि सामाजिक मोर्चे पर 47 फीसदी भारतीय चाहते हैं कि बजट में स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाए. इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि प्रत्येक पांच भारतीयों में से दो ने कहा कि यदि कर दरों में अतिरिक्त 2-5 प्रतिशत की कटौती की जाती है तो वे नए कर ढांचे में चले जाएंगे.
कंपनी ने सर्वेक्षण पर एक बयान में कहा कि सर्वेक्षण संसद में आने वाले एफएम सीतारमण के बजट से पहले किया गया था, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए राजस्व और व्यय योजना दिखाएगा.
बयान में कहा गया है, ‘नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार से कृषि, सड़कों और राजमार्गों, दूरसंचार और इंटरनेट, हवाई अड्डों जैसे आर्थिक क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ स्वास्थ्य जैसे स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी, शिक्षा, महिला और बाल सुरक्षा के नाम पर सामाजिक क्षेत्रों में खर्च के लिए आवश्यक टैक्स कानून में संशोधन की उम्मीद है.
सर्वेक्षण को 344 विभिन्न जिलों में भारतीयों से कुल 28,000 से अधिक जवाब मिले, जिनमें से 66 प्रतिशत पुरुष हैं.
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3 सवाल पूछे गए – जवाब देने वालों ने ये कहा
लोकलसर्किल सर्वेक्षण ने अपने उत्तरदाताओं से तीन सवाल पूछे, जिनमें से पहले ने नागरिकों से सामाजिक मोर्चे पर उनकी प्राथमिकताओं के बारे में पूछा. 9,541 प्रतिक्रियाओं में से, 47 प्रतिशत ने स्वास्थ्य को चुना, जबकि 19 प्रतिशत ने शिक्षा और ऑनलाइन शिक्षा को चुना, और 6 प्रतिशत ने स्वच्छ हवा और महिला और बाल सुरक्षा को चुना.
लोकलसर्किल के अनुसार, भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और पहुंच पर, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, कोविड -19 की दूसरी लहर का प्रभाव, इस वरीयता के पीछे एक प्रमुख फैक्टर है.
बयान में कहा गया है, ‘लोकलसर्किल सर्वेक्षण में ज्यादातर नागरिकों ने कहा कि भारत सरकार को स्थायी या अस्थायी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी और सीएचसी) बनाने के लिए एक परियोजना में तेजी लानी चाहिए, जो न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में इन केंद्रों की कमी को दूर करेगा बल्कि भविष्य की महामारी के लिए ग्रामीणों की कोविड की इमर्जेंसी जरूरत को पूरा करने के लिए पहली प्रतिक्रिया के रूप में कार्य कर सकता है.’
दूसरे सवाल में विकास के मोर्चे पर नागरिकों की प्राथमिकताएं मांगी गईं और जिनसे 9,701 प्रतिक्रियाएं मिलीं. कृषि और सड़कों और राजमार्गों के लिए घोषित वरीयता के अलावा, 14 प्रतिशत ने दूरसंचार और इंटरनेट, और ‘अन्य क्षेत्रों’ को चुना, जबकि 3 प्रतिशत ने हवाई अड्डों को चुना.
आखिरी सवाल था- नई व्यक्तिगत आयकर दर संरचना में ‘माइग्रेट’ करने, जो ‘कटौती की अनुमति नहीं देता है लेकिन कर की दर को कम करता है- यह नागरिकों के लिए क्या करेगा. जैसा कि एफएम सीतारमण ने बजट 2020 में पेश किया था.
बयान में कहा गया है कि 9,342 प्रतिक्रियाओं में से, ‘37% ने कहा कि वे माइग्रेट करेंगे यदि कर की दर ‘2-5% से और कम कर दी जाती है’, और 3% ने कहा कि अगर इसे ‘0-2% से और कम किया जाता है.’ इस बीच, 28 प्रतिशत ने कहा कि वे दरों पर ध्यान दिए बगैर माइग्रेट नहीं करेंगे और 13 प्रतिशत ने खुलासा किया कि वे पहले से ही नए ढांचे में हैं.
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