एक अधिकारी ने बताया, सरकार संकटग्रस्ट आईएल एंड एफएस समूह को संकट से उबारने के लिए उसकी बिक्री समेत अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है.
नई दिल्ली/मुंबई: बैंकों पर आये आर्थिक संकट की चर्चाओं के बीच चालू वित्त वर्ष की 30 सितंबर को खत्म हुई तिमाही में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के मुनाफे में गिरावट दर्ज की गई है. दूसरी ओर सरकार संकटग्रस्ट कर्जदाता कंपनी आईएल एंड एफएस समूह को संकट से उबारने के लिए उसकी बिक्री समेत अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है.
सरकारी बैंक एसबीआई ने मुनाफे में साल-दर-साल आधार पर 40 फीसदी की गिरावट दर्ज की है. सरकारी बैंक के मुताबिक, जुलाई-सितंबर तिमाही में उसका मुनाफा घटकर 944.87 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 1,581.55 करोड़ रुपये था.
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंक ने 4,876 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया था.
बैंक ने एक बयान में कहा, ‘चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में परिचालन मुनाफे में 30.47 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जोकि 13,905 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में यह 19,999 करोड़ रुपये था. इस गिरावट का मुख्य कारण वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में ट्रेडिंग आय में कमी आना है और कंपनी को एसबीआई लाइफ की हिस्सेदारी बेचने से एक बार 5,436 करोड़ रुपये की आय हुई है.’
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में बैंक की ब्याज आय में 12.48 फीसदी की तेजी आई, जो कि 20,906 करोड़ रुरपये रही, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 18,586 करोड़ रुपये थी.
कंपनी ने समीक्षाधीन तिमाही में फंसे हुए कर्ज की भरपाई के लिए 10,184.50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में कंपनी ने 16,750.20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था.
जुलाई-सितंबर की अवधि में बैंक का सकल एनपीए (फंसा हुआ कर्ज) बढ़कर 9.95 फीसदी हो गया, जो कि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 9.83 फीसदी था.
आईएल एंड एफएस समूह की बिक्री पर विचार
सरकार संकटग्रस्ट अवसंरचना कर्जदाता कंपनी ‘इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज’ (आईएल एंड एफएस) समूह को संकट से उबारने के लिए उसकी बिक्री समेत अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है. कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेटी श्रीनिवास ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस समूह को पूरी तरह से बेचना हालांकि आसान काम नहीं होगा.
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा यहां आयोजित समारोह से इतर संवाददाताओं से बात करते हुए श्रीनिवास ने कहा, ‘जहां तक आईएल एंड एफएस का संबंध है, मेरा मानना है कि एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) को जमा की गई रिपोर्ट में सभी दृष्टिकोणों को व्यक्त किया गया है. आईएल एंड एफएस को एक समूह के रूप में बेचना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘यह सबसे अच्छा विकल्प होगा, लेकिन इसमें गंभीर मुद्दे हैं और इसका सीमित परिणाम मिलेगा.’
श्रीनिवास के मुताबिक, दो अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है, जिसमें समूह की अलग-अलग कंपनियों की बिक्री या फिर इसकी परिसंपत्तियों की बिक्री शामिल है.
सचिव ने कहा कि सरकार इन सभी तीनों विकल्पों के संयोजन के साथ भी आगे बढ़ सकती है. सरकार ने कर्ज से लदी कंपनी को उबारने की योजनाओं की रिपोर्ट एनसीएलटी की मुंबई शाखा को पिछले हफ्ते सौंपी थी.
गौरतलब है कि हाल ही में खबरें आई थीं कि इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश से जुड़ी सरकारी क्षेत्र की कंपनी आईएल एंड एफएस अपना कर्ज नहीं चुका पा रही है और इसके चलते बड़े बैंक संकट में पड़ गए हैं. यह कंपनी अपना 90,000 करोड़ लोन डिफाल्ट करने जा रही है.
देश के बैंकों के बढ़ते कर्ज और बाजार पर मंडराते संकट को देखते हुए पिछले महीने सरकार ने आईएल एंड एफएस को अपने नियंत्रण में ले लिया था. आईएल एंड एफएस और इसकी सहायक कंपनियां हाल में कर्ज चुकाने में डिफॉल्टर साबित हुई हैं. इस बढ़ते कर्ज की वजह से वित्तीय क्षेत्र पर खतरा मंडराने लगा है.
(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ)