नई दिल्ली: आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति की बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी है. उम्मीद है कि उससे होम लोन सस्ता हो सकता है. इस कटौती के बाद रेपो रेट 6.5 फीसदी से घटकर 6.25 फीसदी हो गया है.
अंतरिम बजट पेश किए जाने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक की यह पहली मौद्रिक नीति की बैठक हुई है. गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि 2019-20 में देश की विकास दर 7.4 फीसदी पर रहने की उम्मीद है.
वहीं महंगाई दर पहली छमाही में 3.2 से लेकर 3.4 फीसदी रहने का अनुमान है वहीं तीसरी तिमाही में यह दर 3.9 फीसदी रहने का अनुमान है.
RBI: GDP projection for 2019-20 is 7.4%. The inflation rate is estimated at 3.2-3.4% in the first half of the year 2019-20 and 3.9% in the third quarter of 2019-20 pic.twitter.com/HJUlCmFJdv
— ANI (@ANI) February 7, 2019
मीडिया से बातचीत के दौरान दास ने कहा कि मुद्रास्फीति इस अवधि में 4 फीसदी के नीचे या उसके लक्ष्य पर बने रहने की उम्मीद है.वहीं आरबीआई ने किसानों को भी तोहफा दिया है. आरबीआई ने किसानों के लिए एग्रीकल्चर लोन की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.60 लाख रुपये कर दी है. 60,000 रुपए की सीमा बढ़ाने का फैसला महंगाई, और छोटे किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है. आरबीआई ने कहा कि यह फैसला आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर किया गया है.
रेपो रेट क्या है
बैंकों को अपने कामकाज के लिए एक बड़ी रकम की आवश्यकता होती है. बैंकों को यह रकम रिजर्व बैंक देता है. रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों को जिस दर पर कर्ज दिया जाता है इसे ही रेपो रेट कहते हैं. और इसी रेपो रेट के आधार पर बैंक अपने ग्राहकों को दिए जाने वाले कर्ज के ब्याज दरों को महंगा और सस्ता करता है. और रिजर्व बैंक की इस पॉलिसी का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है.
(आईएएनएस के इनपुट्स के साथ)