नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरूवार को लगातार तीसरी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. इसका मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में कोई बदलाव नहीं होगा.
भारतीय रिजर्व बैंक ने रेप रेट दरों को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. अपनी तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति की बैठक में सर्वसम्मति से इसे अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया गया.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को 6.50% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है.”
आरबीआई आम तौर पर एक वित्तीय वर्ष में छह द्विमासिक बैठकें आयोजित करता है, जहां यह ब्याज दरें, धन आपूर्ति, मुद्रास्फीति दृष्टिकोण और विभिन्न व्यापक आर्थिक संकेतक तय करता है. चल रही तीन दिवसीय और 2023-24 की तीसरी बैठक मंगलवार को शुरू हुई थी.
बता दें कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है.
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मंगलवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है.’’
रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं.
आरबीआई ने जून और अप्रैल की पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में भी रेपो दर में बदलाव नहीं किया था.
इससे पहले, मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये पिछले साल मई से लेकर कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी.
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