नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने लगातार उच्च मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो दर को 0.50 प्रतिशत बढ़ाने के फैसला किया है, जिसके बाद इस बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत कर दिया है.
ब्याज बढ़ाना आम तौर पर अर्थव्यवस्था में मांग को दबा देता है, जिससे मुद्रास्फीति में गिरावट में मदद मिलती है. तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति की बैठक बुधवार को शुरू हुई.
इससे पहले आरबीआई ने 8 जून को पिछली नीतिगत घोषणा में रेपो रेट में आधे फीसदी बढ़ाया गया था. जिसके बाद रेपो रेट 4.90 फीसदी पहुंच गया था.
भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई में कमी लाने के लिए रेपो रेट में यह बढ़ोतरी की है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास मौद्रिक नीति समिति के फैसलों की जानकारी दे रहे थे.
आज की बढ़ोतरी रेपो दर को पूर्व-महामारी के स्तर 5.15 प्रतिशत से ऊपर ले जाती है. मुद्रास्फीति को शांत करने के लिए मौद्रिक नीति की वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप, आरबीआई ने अब तक प्रमुख रेपो दरों में 140 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है – जिस दर पर किसी देश का केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है.
इसके बाद लोगों को डर है कि उनकी ब्याज दरें बढ़ जाएंगी और EMI देने वालों पर भी बोझ बढ़ेगा.
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