scorecardresearch
Friday, 26 April, 2024
होमदेशअर्थजगतआरबीआई ने 35 आधार अंकों के साथ चौथी बार रेपो रेट में कटौती की

आरबीआई ने 35 आधार अंकों के साथ चौथी बार रेपो रेट में कटौती की

यह कटौती ऐसे समय में हुई है जब अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर चल रहा है और निवेश और उपभोग संकेतक फिर से पुनरुद्धार का कोई संकेत नहीं दे रहे हैं.

Text Size:

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को एक बार फिर से अपनी मौद्रिक समीक्षा बैठक में प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) में 35 आधार अंकों की कटौती की है. बैंक ने प्रमुख नीतिगत दरों में चौथी बार कटौती की घोषणा की है. इसके साथ ही रेपो रेट घटकर 5.40 हो गई है. 

समिति ने पिछली फरवरी, अप्रैल और जून की तीन क्रमिक मौद्रिक नीतिगत बैठकों में 25 आधार अंकों की कटौती की है.

इसके साथ, फरवरी की शुरुआत में, छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने प्रमुख नीति दरों में कुल 1.1 प्रतिशत अंक की कटौती की है. हालांकि इस नीति से आम उपभोक्ता को कोई फायदा नहीं पहुंचा है जिसको लेकर आलोचना हो रही है.

दर में यह कटौती ऐसे समय में हुई है जब अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर चल रहा है और निवेश और उपभोग संकेतक फिर से पुनरुद्धार का कोई संकेत नहीं दे रहे हैं.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

2019-20 के लिए पूरे साल की वृद्धि भी जून की मौद्रिक नीति में अनुमानित 7 प्रतिशत से नीचे की ओर 6.9 प्रतिशत हो गई.

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के डेटा से पता चलता है कि नई परियोजनाओं पर अर्थव्यवस्था में पूंजीगत व्यय जून में लगातार दूसरी तिमाही में गिरकर 0.7 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है. मार्च अंत तक यह 2.44 लाख करोड़ रुपये और दिसंबर अंत तक 2.5 लाख करोड़ रुपये था.

माइक्रो, छोटे और मध्यम उद्योग के साथ बैंक क्रेडिट भी 6 फीसदी के साथ बढ़ रहा है. उद्योग के लिए बैंक ऋण भी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के साथ लगभग 6 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. ऑटोमोबाइल और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की बिक्री गिरने से खपत में भी तेजी से कमी आई है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019-20 के लिए केंद्रीय बजट पेश करने के बाद कहा था कि वह आर्थिक वृद्धि को किनारे करने के लिए आरबीआई नीति दर में महत्वपूर्ण कमी देखना चाहेंगी.

आरबीआई समिति ने कहा कि विकास संबंधी चिंताओं को दूर करना सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है क्योंकि घरेलू आर्थिक गतिविधियां कमजोर बनी हुई हैं, वैश्विक मंदी और बढ़ते व्यापार तनाव के कारण जोखिम कम है.

(दिप्रिंट की रेम्या नायर के इनपुट्स के साथ)

share & View comments