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Monday, 4 November, 2024
होमदेशअर्थजगतआयकर पर पीएम मोदी का आंकड़ा गलत नहीं, लेकिन कारों की बिक्री की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर पेश की

आयकर पर पीएम मोदी का आंकड़ा गलत नहीं, लेकिन कारों की बिक्री की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर पेश की

केवल 1.5 करोड़ आय करदाता जिन्हें असेस्मेंट ईयर 2020-21 से कर भरना पड़ेगा और मोदी के दावे का आधार यही था.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये दावा कि देश के केवल 1.5 करोड़ लोग ही कर अदा करते हैं, लगता है सरकारी डाटा के अनुसार सही है. हालांकि जो दावे प्रधानमंत्री ने टैक्स अमुपालन पर किए हैं वो शायद थोड़ा बढ़ा-चढ़ा के बोला गया था.

बुधवार को एक मीडिया आयोजन में मोदी ने देश में बहुत कम लोगों द्वारा टैक्स भरने की बात की थी. इस दावे पर कुछ लोगों ने सवाल उठाए थे.

मोदी ने टाइम्स नाउ चैनल के एक कार्यक्रम में कहा था, ‘पिछले पांच सालों में 1.5 करोड़ से ज्यादा महंगी गाड़ियां बिकी हैं. तीन करोड़ से ज़्यादा भारतीयों ने विदेश का दौरा किया है. देश की 130 करोड़ से अधिक की आबादी में केवल 1.5 करोड़ ही आयकर देते हैं. और इनमें हर साल 50 लाख से ज्यादा कि आय दिखाने वाले लोगों की संख्या केवल तीन लाख है.’

इसके बाद उनके कुछ आलोचकों ने ट्विटर पर उनके आंकड़ों पर यह कह कर सवाल उठाए कि उनके द्वारा दिए गए आंकड़े वित्त मंत्रालय के आंकड़े से अलग हैं.

रूपा सुब्रमण्यम ट्वीट करती हैं, 2017-18 में भारतीयों ने 3.3 करोड़ टैक्स चुकाते हैं. टैक्स चुकाने वाले कुल 140139 करदाता जिन्होंने अपनी आय एक करोड़ घोषित की. 1 करोड़ से अधिक आय घोषित करने वाले करदाताओं की कुल संख्या 140139 है. 1 करोड़ से ऊपर की आय का खुलासा करने वाले व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या 81344 है.

वह नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए पूछती हैं कि @narendramodi क्यों अपनी सरकार की संख्या को झुठला रहे हैं. बीजेपी ट्विटर हैंडल के ट्वीट को शेयर करती हैं जिसमें लिखा है कि पिछले 5 वर्षों में, 1.5 करोड़ से अधिक महंगी कारें बेची गई हैं और 3 करोड़ से अधिक भारतीय विदेश गए हैं.

जिसमें पीएम मोदी एक चौंकाने वाली बात कहते हैं कि केवल 1.5 करोड़ भारतीय ही कर देते हैं. इसमें से केवल 3 लाख लोगों ने अपनी आय 50 लाख रुपये से अधिक और 2,200 लोगों ने 1 करोड़ रुपये से अधिक बताई है.

स्वाति चतुर्वेदी ट्वीट करती हैं कि मोदी ने अपने भाषण वित्त मंत्रालय द्वारा दिया गया गलत डेटा पेश किया. आयकर आंकड़ों के अनुसार 97,689 लोगों ने एक करोड़ रुपये और उससे अधिक आय का खुलासा किया. वित्त मंत्रालय ने मोदी को सही आंकड़े क्यों नहीं दिए भला?

प्रवीण चक्रवर्ती एक न्यूजपेपर की खबर की कटिंग ट्वीट करते हैं कि पीएम झूठी थिअरी देते रहते हैं कि 130 करोड़ भारतीयों में से केवल 1.5 करोड़ ही आयकर देते हैं और बहुत से कर चोरों को दंडित किया जाना चाहिए. वह उनकी थिअरी बताते हैं-

1- औसत भारतीय की आय केवल 1.35 लाख है.
2- ₹ 5 लाख से नीचे, कोई टैक्स नहीं देता.
3- केवल 1.5 करोड़ भारतीय 5 लाख से ज्यादा कमाते हैं.
4- लिहाजा, केवल 1.5 करोड़ लोग टैक्स चुकाते हैं.

पर आयकर विभाग का डाटा बताता है कि जो बात प्रधानमंत्री कह रहे थें वो गलत नहीं थी.

कितने करदाता

हालांकि अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने किसी साल का ज़िक्र नहीं किया पर लगता है कि उनके आंकड़े मौजूदा वित्त वर्ष के आंकड़ों पर आधारित थे जो पिछले साल के ट्रेंड का सूचक है.

असेस्मेंट साल 2019-20 (वित्त वर्ष 2018-19) में लगभग 6 करोड़ करदाताओं ने आयकर रिटर्न भरे. ये बात आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट से लिए गए हैं. जनवरी तक के डाटा के अनुसार इनमें से 4.5 करोड़ करदाताओं ने अपनी आय 5 लाख तक बताई.

असेस्मेंट ईयर 2020-21 (वित्त वर्ष 2019-20) के अनुसार इन लोगों पर कोई कर नहीं लगेगा क्योंकि केंद्रीय बजट 2019-20 के प्रावधानों के अनुसार ये छूट के अधिकारी हैं. इसके बाद बचेंगे केवल 1.5 करोड़ आय करदाता जिन्हें असेस्मेंट ईयर 2020-21 से कर भरना पड़ेगा और मोदी के दावे का आधार यही था.

जो बात प्रधानमंत्री ने थोड़ा बढ़ा-चढ़ा कर कही वो थी कि जिन लोगों की आय पांच लाख तक है उन्हें भी आयकर रिटर्न भरना पड़ता है और तभी उन्हें छूट भी मिलती है. उन पर कुछ कर उनको नौकरी देने वाले सोर्स से काट लिया जाता है.

इसके अलावा देश की आधी से ज़्यादा आबादी कृषि पर निर्भर करती है और भारत में कृषि आय करमुक्त है.

कितना टैक्स भरा जाता है

प्रधानमंत्री मोदी का दूसरा दावा था कि देश के केवल 3 लाख करदाताओं ने अपनी आय 50 लाख से ज्यादा बताई. ये दावा भी सही है.

आयकर विभाग के पास मौजूद जनवरी तक के डाटा के अनुसार 3.3 लाख लोगों ने 50 लाख से ज़्यादा की अपनी आय घोषित की है.

अपने भाषण में मोदी ने इस संख्या पर ये कहते हुए आश्चर्य व्यक्त किया था कि देश के कितने लोग व्यापार और घुमक्कड़ी के लिए विदेश जाते हैं या फिर अपने बच्चों को पढ़ने विदेश भेजते हैं या फिर लक्ज़री कारे खरीदतें हैं.

मोदी ने ये भी कहा कि केवल 2,200 पेशेवर लोग जिसमें, इंजीनियर, डॉक्टर, बॉलीवुड एक्टर, चार्टर्ड अकांउंटेंट और वकील हैं जिनका दावा है कि उनकी सालाना आय 1 करोड़ से ज्यादा है. यहां भी आयकर विभाग का डाटा उनके दावे को सही सिद्ध करता है.

एक वक्तव्य में आयकर विभाग का कहना था, ‘मौजूदा वित्त वर्ष में दायर व्यक्तिगत आयकर के अनुसार केवल 2200  इंजीनियर, डॉक्टर, बॉलीवुड एक्टर, चार्टर्ड अकांउंटेंट, वकील और एसे अन्य पेशेवर लोगों ने अपनी आय 1 करोड़ से ज़्यादा बताई. इसमें किराया, ब्याज और कैपिटल गेन शामिल नहीं है.’

प्रधानमंत्री की ये बात भी गलत नहीं है जब वे कहते हैं कि देश के सर्वोच्च न्यायालय में ही एक करोड़ से ज्यादा कमाने वाले पेशेवर वकील मिल जायेंगे. और इसलिए उनका कहना था कि समय आत्ममंथन का है.

कार बिक्री का डाटा शायद सटीक ना हो

मोदी के कार बिक्री का डाटा शायद सटीक ना हो. उनका दावा था कि देश में पिछले पांच सालों में 1.5 करोड़ महंगी कारें बिकीं. ये शायद बढ़ा-चढ़ा कर कहा गया है.

भारत के ऑटोमोबाइल उत्पादक संगठन के डाटा के अनुसार 2014-15 से 2018-19 तक के अंतराल में देश के बाज़ार में कुल 1.5 करोड़ कारें बेची गईं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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