नई दिल्ली: भारत में महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बुनियादी ढांचे पर व्यय बढ़ाने के आसार बढ़ गए हैं. और राजमार्ग, रेलवे और बंदरगाहों से जुड़े कई महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पाइपलाइन में होने के साथ आगामी आम बजट 2021 से बुनियादी ढांचा क्षेत्र को तेज गति मिलने की उम्मीद है.
पिछले वर्ष बजट में बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए 1.7 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 8.3 प्रतिशत ज्यादा था. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन जैसी प्रोजेक्ट निर्माणाधीन होने के मद्देनजर उद्योग विशेषज्ञों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को जब बजट पेश करेंगी तो इस क्षेत्र के लिए आवंटन और बढ़ेगा.
जानकारों का मानना है कि बुनियादी ढांचे को गति देना न केवल अर्थव्यवस्था में सुस्ती दूर करने के लिए एक उपयुक्त कदम होगा बल्कि इससे रोजगार पैदा होंगे और विकास दर भी बढ़ेगी. सरकार ने पहले ही इस क्षेत्र को तरजीह देने के संकेत दिए हैं, क्योंकि लॉकडाउन में ज्यादातर विभागों में खर्च पर अंकुश लगाने के बावजूद वित्त मंत्रालय ने राजमार्ग और रेलवे जैसे बुनियादी ढांचे से जुड़े क्षेत्रों से व्यय बढ़ाने को कहा था.
बुनियादी ढांचा मंत्रालयों में से एक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा दिसंबर 2019 में घोषित नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) पर जोर होगा. विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी ऐसे 7,000 प्रोजेक्ट को पहले ही चिह्नित किया जा चुका है जो इसका हिस्सा होंगे.
राजमार्ग मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘सरकार ने एनआईपी के तहत सड़क क्षेत्र में 20 लाख करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव दिया है. यह 2020-25 की अवधि के दौरान एनआईपी के तहत संभावित कुल पूंजीगत व्यय का लगभग 18 प्रतिशत है.’
एनआईपी के दृष्टिगत समग्र तौर पर 60,000 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास होना है जिसमें 2,500 किलोमीटर एक्सप्रेसवे, 9,000 किमी आर्थिक गलियारे, तटीय और बंदरगाह कनेक्टिविटी के लिए 2,000 किमी, 45 शहरों के लिए बाईपास, 2024 तक 100 पर्यटन स्थलों के लिए कनेक्टिविटी बढ़ाना शामिल है.
य़ह भी पढ़ें: मुश्किल भरे 2020 के बाद कैसे नए साल में भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट सकती है
राजमार्ग, मेट्रो, जल जीवन मिशन आगे बढ़ाने की तैयारी
वरिष्ठ अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि राजमार्ग मंत्रालय ने आगामी बजट में 1.6 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की मांग की है.
नाम न छापने की शर्त पर राजमार्ग मंत्रालय के एक दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘भारतमाला और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे सहित कई बड़ी परियोजनाओं पर पहले से ही काम चल रहा है और इसके लिए लगातार धन की आवश्यकता होगी.’
पहले ही मंजूर हो चुके भारतमाला परियोजना के पहले चरण के तहत एनएचएआई के समक्ष 27,500 किलोमीटर राजमार्गों को विकसित करने का लक्ष्य है.
राजमार्ग मंत्रालय के एक तीसरे अधिकारी ने कहा, ‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी वाली परियोजनाओं पर खासा जोर रहने वाला है. मौजूदा समय में राजमार्ग क्षेत्र में चल रही परियोजनाओं का एक बड़ा हिस्सा ‘इंजीनियरिंग प्रॉकरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन’ मोड में है, जिसमें 100 फीसदी व्यय सरकार करती है. यह टिकाऊ नहीं है.’
एनआईपी में परिकल्पित एक बड़े कोष की आवश्यकता पूरी करने के लिए बैंकों सहित विभिन्न हितधारक बिजली क्षेत्र के लिए बनी पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम जैसी एजेंसियों की तर्ज पर एक समर्पित विकास वित्त संस्थान स्थापित करने पर जोर दे रहे हैं.
प्रस्तावित मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट और अन्य परियोजनाओं को गति मिलने के साथ रेलवे एक और सेक्टर है जिस पर 2021-22 के वित्त वर्ष में जोर रहेगा. रेल मंत्रालय ने 75,000 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन की मांग की है, जिसे मंजूरी मिली तो यह आवंटन 2020-21 की तुलना में लगभग 7 प्रतिशत अधिक होगा.
मेट्रो रेल परियोजनाओं के आवंटन में भी वृद्धि होने की संभावना नजर आ रही है. मेट्रो परियोजना पर अमल करने वाले केंद्रीय आवास एवं शहरी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘निर्माण कार्य बढ़ रहा है. इस समय 27 शहरों में मेट्रो परियोजनाएं चल रही हैं. और इस चरण में फंड की जरूरत बहुत अहम होगी.’
बजट में फोकस वाला एक और क्षेत्र जल जीवन मिशन हो सकता है, जो कि हर घर तक पीने का साफ पानी मुहैया कराने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. एक तरफ जहां ग्रामीण क्षेत्र के लिए जल जीवन मिशन के तहत नल से जल कार्यक्रम पूरी तेजी से चल रहा है केंद्र सरकार शहरी क्षेत्रों के लिए भी इसी तरह की योजना बना रहा है.
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘इस कार्यक्रम की घोषणा आगामी बजट में की जा सकती है.’
यह भी पढ़ें: बजट 2021 होगा अलग क्योंकि सरकार को इस बार वास्तविक फिस्कल डिफिसिट को छुपाने की ज़रूरत नहीं
प्रमुख चुनौतियां
उद्योग विशेषज्ञों के मुताबिक बुनियादी ढांचे पर अपेक्षित जोर दिए जाने के बावजूद इस क्षेत्र के लिए ‘वित्तीय क्षमता’ एक सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है.
फीडबैक इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में परिवहन मामलों के प्रबंध निदेशक प्रवेश मिनोचा का कहना है कि राजमार्ग, रेलवे, मेट्रो परियोजनाएं चरम पर होने के बावजूद पहले इस क्षेत्र पर कभी इतना अधिक जोर नहीं रहा. लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि कभी भी, खासकर कोविड-19 महामारी के बीच, नगदी प्रवाह इतनी खराब स्थिति में नहीं रहा.
मिनोचा ने कहा, ‘अप्रैल से जुलाई 2020 तक राजस्व संग्रह बुरी तरह प्रभावित हुआ था. लेकिन टोल संग्रह में आई गिरावट को कवर करने के लिए कोई मुआवजा नहीं दिया गया और न ही कोई जीएसटी मुआवजा. ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया गया. सरकार ने राहत के लिए कुछ उपायों की घोषणा की लेकिन यह पर्याप्त नहीं हैं.’
उन्होंने कहा कि अभी बैड लोन को विभिन्न मोराटोरियम योजनाओं के तहत ‘छिपा’ दिया गया है, लेकिन इनमें से अधिकांश अगले वित्तीय वर्ष के मध्य तक ‘उजागर’ हो जाएंगे.
मिनोचा ने बताया, ‘परियोजनाओं के लिए बहुत अधिक प्रतिस्पर्धी दरों पर बोलियां आमंत्रित की जा रही हैं, जो ठीक नहीं है. सरकार को सभी इन्फ्रा हितधारकों को उचित मुआवजा देने की जरूरत है. नकदी जारी करने की जरूरत है क्योंकि परियोजनाएं अपने ठप पड़ने लगी हैं. कांट्रैक्टर और सब-कांट्रैक्टर को भुगतान नहीं मिल रहा है.’
सरकार दीर्घकालिक निवेश के लिए वैश्विक पेंशन और बीमा कोषों को शुरू करने की कोशिश कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल निवेश बढ़ाने के लिए कुछ शीर्ष ग्लोबल फंड हाउस के साथ बैठक की थी.
ईवाई एलएलपी में पार्टनर, सरकारी इन्फ्रास्ट्रक्चर, रणनीति और लेन-देन अभय अग्रवाल के अनुसार, सरकार को बुनियादी ढांच क्षेत्र में अधिक धन लगाने की आवश्यकता है.
अग्रवाल ने कहा, ‘यह किसी अन्य क्षेत्र की तुलना में ज्यादा आर्थिक लाभ देगा. उदाहरण के लिए सड़क क्षेत्र में सरकार अधिक पैसा खर्च कर रही है, लेकिन प्रस्तावित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एनएचएआई को और ज्यादा पूंजी की जरूरत होगी.
उन्होंने कहा कि सरकार ने कागजों पर बहुत कुछ वादा किया है, लेकिन जमीनी स्तर पर बहुत कुछ नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, किसी एमएसएमई को 45 दिनों के अंदर भुगतान मिल जाना चाहिए लेकिन सरकार 45 दिनों में भुगतान नहीं कर रही है. बहुत ज्यादा जरूरी है कि डेवलपर्स के लिए पूंजी प्रवाह बढ़ाया जाए.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
य़ह भी पढ़ें: भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की बजाय सेवा क्षेत्र पर निर्भर करेगा