scorecardresearch
Friday, 24 January, 2025
होमदेशअर्थजगतअडानी ग्रुप ने माना श्रीलंका पावर डील्स में टैरिफ की समीक्षा की जा रही है, कहा यह रूटीन प्रक्रिया

अडानी ग्रुप ने माना श्रीलंका पावर डील्स में टैरिफ की समीक्षा की जा रही है, कहा यह रूटीन प्रक्रिया

पिछले साल मई में, उस समय के श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के कार्यकाल में, मन्नार और पूनरीन में अडानी ग्रीन एनर्जी के पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट्स से बिजली खरीदने के लिए 20 वर्षीय समझौता हुआ था. ये प्रोजेक्ट श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में स्थित हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: अडानी ग्रुप ने स्वीकार किया है कि श्रीलंकाई सरकार उनके और कंपनी के बीच हस्ताक्षरित पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) के तहत तय टैरिफ की समीक्षा कर रही है, लेकिन इसे “मानक समीक्षा प्रक्रिया” का हिस्सा बताया है.

हालांकि, खबरों में यह दावा किया गया कि श्रीलंका ने पीपीए रद्द कर दिया है, अडानी ग्रुप ने स्पष्ट किया कि चल रहे प्रोजेक्ट्स रद्द नहीं किए गए हैं.

यह बयान दिप्रिंट द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में दिए गए हैं और अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों की रिपोर्टों के बाद आया है, जिनमें अनाम श्रीलंकाई सरकारी सूत्रों का हवाला देकर कहा गया था कि सरकार ने अडानी ग्रुप के साथ बिजली खरीद समझौते रद्द कर दिए हैं.

“यह खबर कि अडानी के मन्नार और पूनरीन में 484 मेगावाट पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट्स रद्द कर दिए गए हैं, झूठी और भ्रामक है,” अडानी ग्रुप के प्रवक्ता ने बयान में कहा. “हम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि प्रोजेक्ट रद्द नहीं किया गया है.”

बयान में आगे कहा गया, “श्रीलंकाई कैबिनेट का 2 जनवरी 2025 का निर्णय, जिसमें मई 2024 में स्वीकृत टैरिफ की पुन: समीक्षा की बात कही गई है, नई सरकार के तहत उनकी मौजूदा प्राथमिकताओं और ऊर्जा नीतियों के साथ समझौता सुनिश्चित करने के लिए एक मानक समीक्षा प्रक्रिया का हिस्सा है.”

कंपनी ने यह भी कहा कि वह श्रीलंका के ग्रीन एनर्जी सेक्टर में 1 बिलियन डॉलर निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है.

पिछले साल मई में, उस समय के श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के कार्यकाल में, मन्नार और पूनरीन में अडानी ग्रीन एनर्जी के पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट्स से बिजली खरीदने के लिए 20 वर्षीय समझौता हुआ था. ये प्रोजेक्ट श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में स्थित हैं.

उस समय, श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसकेरा ने कथित तौर पर एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर यह घोषणा की थी कि इस समझौते के तहत टैरिफ 24.78 रुपए प्रति किलोवाट घंटा तय किया गया है, जो उस समय श्रीलंका में ऊर्जा की औसत लागत 39.02 रुपए प्रति किलोवाट घंटा से कम था.

खबरों के मुताबिक, नई सरकार के तहत, राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके अब इस समझौते की समीक्षा कर रहे हैं. यह कदम पिछले साल अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) और वहां की सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमिशन (एसईसी) द्वारा अडानी के कुछ प्रमुख कर्मियों पर लगाए गए आरोपों के संदर्भ में उठाया गया है.

अडानी ग्रुप के बयान में, कुल मिलाकर, श्रीलंकाई सरकार द्वारा पीपीए के तहत तय टैरिफ की समीक्षा को स्वीकार किया गया, लेकिन इसे “नियमित” प्रक्रिया के रूप में रेखांकित किया गया.

यह पहली बार नहीं है जब अमेरिकी आरोपों ने श्रीलंका में कंपनी के लिए परेशानी खड़ी की है. नवंबर 2024 में आरोप सार्वजनिक होने के तुरंत बाद, अमेरिकी सरकार के डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएफसी) ने दिप्रिंट को बताया कि वह डीओजे के आरोपों के परिणामों का “सक्रिय रूप से मूल्यांकन” कर रहा है.

डीएफसी ने 2023 में कोलंबो में एक पोर्ट टर्मिनल प्रोजेक्ट के लिए 553 मिलियन डॉलर की फंडिंग की घोषणा की थी, जिसमें अडानी ग्रुप की भी हिस्सेदारी है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: अरुण गोविल की ‘राम की छवि’ के जरिए मेरठ में जातिगत समीकरण को कैसे साध रही है BJP


 

share & View comments