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Thursday, 25 April, 2024
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जुलाई में भारत का व्यापार घाटा 31 अरब डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंचा, जल्द ही कम होने के आसार नहीं

वाणिज्य सचिव बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि जुलाई में देश का व्यापार घाटा इसलिए बढ़ा क्योंकि कमोडिटी की कीमतें बढ़ी हैं और रुपये में आई गिरावट ने इनके आयात बिल को बढ़ा दिया है.

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नई दिल्ली: वित्तीय वर्ष 2022-23 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक के बाद एक विपरीत परिस्थितियां पैदा कर रहा है. पहले उच्च राजकोषीय घाटा, फिर रुपये में गिरावट और अब चालू खाता घाटा, जिसके एक बड़े हिस्से के लिए बढ़ता व्यापार घाटा जिम्मेदार है.

जुलाई के लिए भारत के प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि व्यापारिक वस्तुओं में व्यापार घाटा जुलाई में बढ़कर 31.02 अरब डॉलर के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो जून में 26.18 अरब डॉलर था. पिछले साल इस समय यह घाटा 10 अरब डॉलर था. मुख्य रूप से निर्यात में गिरावट के कारण चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों – अप्रैल से जुलाई – के लिए घाटा 100 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल की समान अवधि में 42 अरब डॉलर था.

अगर 2019-20 को छोड़ दिया जाए जब दुनिया भर में कोविड महामारी की वजह से व्यापार पर असर पड़ रहा था, तो भारतीय निर्यात में बढ़ोतरी के चलते देश का व्यापार घाटा धीरे-धीरे कम होता जा रहा था. 2021-22 में भारत के निर्यात ने 418 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को छू लिया था.

हालांकि, चालू वर्ष भारत के निर्यात के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है.

वाणिज्य सचिव बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने मंगलवार को संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि जुलाई में देश का व्यापार घाटा बढ़ा है क्योंकि कमोडिटी की कीमतें बढ़ी हैं और रुपये में आई गिरावट ने इनके आयात बिल को बढ़ा दिया है.

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पेट्रोलियम निर्यात पर विंडफॉल टैक्स का प्रभाव

अगर देखा जाए तो टॉप 10 वस्तुओं के आयात में वृद्धि जून की तुलना में सपाट रही है. तो यह वास्तव में निर्यात में गिरावट ही है जिसने जुलाई में रिकॉर्ड घाटे में योगदान दिया है.

भारत के पेट्रोलियम निर्यात में पिछले वर्ष की तुलना में 7 प्रतिशत की कमी आई है. लेकिन अगर जून से तुलना करें तो निर्यात में लगभग 37 फीसदी की गिरावट आई है. इंजीनियरिंग सामानों के निर्यात में 2.5 प्रतिशत, गैर-तेल निर्यात जैसे जेम्स और ज्वैलरी में 5.2 प्रतिशत, दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स के निर्यात में 1.4 प्रतिशत और हथकरघा उत्पादों में 28.3 प्रतिशत की कमी आई है.

विशेषज्ञों का कहना है कि पेट्रोलियम निर्यात में गिरावट के लिए जुलाई में सरकार द्वारा तेल कंपनियों पर लगाए गए विंडफॉल टैक्स को इसका जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

मोदी सरकार ने 1 जुलाई 2022 को एक अप्रत्याशित फैसला करते हुए तेल उत्पादक और तेल विपणन कंपनियों के लाभ पर कर लगाने के लिए पेट्रोल, डीजल, और वायु टरबाइन ईंधन (एटीएफ) जैसे कच्चे और पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात पर विंडफॉल टैक्स की घोषणा कर दी थी.

हालांकि सरकार इन निर्यात शुल्कों की दरों को वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी या कमी के आधार हर पंद्रह दिनों में संशोधित करती रही है.

आईडीएफसी फर्स्टबैंक के गौरव सेनगुप्ता को उम्मीद है कि विश्व में कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के चलते तेल आयात की कीमतों में कमी से, आने वाले महीनों में व्यापार घाटा कम हो जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि आने वाले महीनों में तेल निर्यात में सुधार के साथ व्यापार घाटा कम होगा क्योंकि पेट्रोलियम उत्पादों पर कर कम किया गया है और SEZs में यूनिट्स की छूट दी गई है. आयात के मामले में हम कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और मात्रा में कमी के साथ तेल आयात में कुछ संतुलन देख सकते हैं.’

पिछले साल की समान अवधि की तुलना में जुलाई में पेट्रोलियम आयात में 70.4 प्रतिशत की वृद्धि और कोयले के आयात में 164.4 प्रतिशत की उछाल के साथ आयात मजबूत बना हुआ है. 10 प्रमुख वस्तुओं में से सिर्फ सोना ही है जिसका आयात पिछले साल की तुलना में 43.6 फीसदी कम हुआ है क्योंकि सरकार ने आयात शुल्क बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया है.

वैश्विक मांग का कमजोर बने रहना

जुलाई के लिए बढ़ते व्यापार घाटे के पीछे एक अन्य प्रमुख कारक ग्लोबल डिमांड का कमजोर होना है, जो अब निर्यात के आंकड़ों में नजर आ रहा है. उधर आयात मांग सामान्य बनी हुई है, जो मजबूत घरेलू मांग के साथ-साथ निरंतर मूल्य दबावों को दर्शाती है.

ग्लोबल मार्किट रिसर्च फर्म नोमुरा ने भारत के व्यापार आंकड़ों के बाद जारी एक रिपोर्ट में कहा कि निर्यात में गिरावट पहले ही शुरू हो चुकी है और 2022 के बाकी महीनों में इसमें तेजी आएगी. यह संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरो क्षेत्र, यूनाइटेड किंगडम, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा, में मंदी की भविष्यवाणी करता है. जो आगे चलकर विश्व स्तर पर विकास में मंदी का कारण बनेगा.’

नोमुरा अर्थशास्त्री सोनल वर्मा और औरोदीप नंदी ने एक नोट में कहा, ‘वैश्विक विकास की संभावनाओं में तेज गिरावट आने वाले महीनों में निर्यात वृद्धि पर और असर डाल सकती है.’

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपने जुलाई वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक,2022 में वैश्विक जीडीपी वृद्धि के अपने अनुमान को 40 आधार अंकों से घटाकर 3.2 प्रतिशत और 2023 में 70 आधार अंकों से घटाकर 2.9 प्रतिशत कर दिया. उन्होंने वस्तुओं और सेवाओं के लिए वैश्विक व्यापार की मात्रा में वृद्धि के अनुमान को चालू वर्ष के लिए 90 आधार अंकों से घटाकर 4.1 प्रतिशत और अगले वर्ष के लिए 120 आधार अंकों से 3.2 प्रतिशत कर दिया.

बार्कले के राहुल बाजोरिया ने एक नोट में कहा कि जुलाई में व्यापार घाटे ने कमोडिटी कीमतों में हालिया गिरावट के बावजूद भारत के चालू खाता घाटे के ऊंचे बने रहने के जोखिम को बढ़ा दिया है.

बाजोरिया ने कहा, ‘हालांकि हम अभी भी व्यापार घाटा 265 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन जोखिम और भी बड़े घाटे की ओर बना हुआ है. यह वित्त वर्ष 23 के लिए चालू खाता घाटे के लिए मौजूदा 115 बिलियन डॉलर के हमारे पूर्वानुमान से भी आगे जा सकता है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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