नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी कैबिनेट-2 की जब जोर-शोर से पहली कैबिनेट बैठक चल रही थी. ठीक उसी दौरान श्रम मंत्रालय ने बेरोजगारी और जीडीपी के आंकड़े जारी कर सनसनी फैला दी है. मोदी सरकार-2 और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए यह अच्छी खबर बिलकुल नहीं है. पीएलएफएस सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 6.1 फीसदी हो गई है. जो 45 वर्षों के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो सबसे अधिक है. वित्त वर्ष 2017-18 में बेरोजगारी 6.1 फीसदी रही थी, जो कि पिछले 45 सालों (1972-73 के बाद) में सबसे ज्यादा है. इससे पहले एक अखबार ने भी इसी डाटा को लीक किया था. रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 5.3 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 7.8 फीसदी रही थी.
वहीं, भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की संवृद्धि दर पिछले पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है. सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में देश की जीडीपी संवृद्धि दर 6.8 फीसदी रही.
हालांकि बेरोजगारी के बढ़ी दरों और जीडीपी दरों में आई गिरावट की खबरों का सरकार खंडन कर रही है. मोदी की पिछली सरकार यह कहती रही है कि इन आंकड़ों के संबंध में किए गए बदलाव के कारण इनकी तुलना पिछले आंकड़ों से नहीं की जा सकती है.
महिलाओं से अधिक पुरुष बेरोजगार
आंकड़ों के अनुसार महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में बेरोजगारी अधिक है. दोनों की अलग-अलग बेरोजगारी दर की बात करें तो देश स्तर पर पुरुषों की बेरोजगारी दर 6.2 जबकि महिलाओं की बेरोजगारी दर 5.7 फीसदी है. लोग रोजगार की तलाश में गांवों से शहरों की ओर पलायन करते हैं. लेकिन ताजा आंकड़े देखें तो शहरों में बेरोजगारी दर गांवों से अधिक है. 7.8 फीसदी शहरी युवा बेरोजगार हैं, तो वहीं गांवों में यह आंकड़ा 5.3 फीसदी है.
लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष लीक रिपोर्ट के आधार पर लगातार सरकार पर हमलावर रहा. आंकड़े जब सार्वजनिक हुए, विपक्ष के दावों की ही पुष्टि हुई.
Unemployment rate at 6.1% in financial year 2017-18 according to Labour Survey. pic.twitter.com/ZTr9RVhNny
— ANI (@ANI) May 31, 2019
वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी देश की जीडीपी विकास दर 7.7 फीसदी थी.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 में देश की जीडीपी संवृद्धि दर 6.8 फीसदी रही, जोकि जीडीपी विकास दर का पिछले पांच साल का सबसे निचला स्तर है. आंकड़ों के अनुसार, देश की आर्थिक विकास दर घटने का मुख्य कारण कृषि और खनन क्षेत्र की संवृद्धि दर में कमी है. कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्र की संवृद्धि दरन वित्त वर्ष 2018-19 में 2.9 फीसदी रही जबकि पिछले साल यह पांच फीसदी थी.