scorecardresearch
Sunday, 10 November, 2024
होमदेशअर्थजगतखाद्य मुद्रास्फीति बनी हुई है और व्यापक हो रही है, दुर्भाग्य से इसमें कमी के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं

खाद्य मुद्रास्फीति बनी हुई है और व्यापक हो रही है, दुर्भाग्य से इसमें कमी के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं

RBI ने चालू वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति अनुमान को 5.4% पर बरकरार रखा है. खाद्य पदार्थों की कीमतों में अनिश्चितता और वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता के कारण 4% का लक्ष्य पहुंच से दूर बना हुआ है.

Text Size:

अक्टूबर, 2023 में चार महीने के निचले स्तर 4.87 प्रतिशत पर पहुंचने के बाद, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) द्वारा मापी गई खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में बढ़कर 5.55 प्रतिशत हो गई. नवंबर में ग्रामीण मुद्रास्फीति शहरी मुद्रास्फीति से आगे निकल गई – यह प्रवृत्ति जुलाई 2023 से देखी जा रही है. मुद्रास्फीति में गिरावट की प्रवृत्ति का बेस इफेक्ट और बढ़ी हुई खाद्य कीमतों के कॉम्बिनेशन से प्रेरित थी.

पिछले तीन महीनों में गिरावट का रुख दिखाने के बाद नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 8.7 प्रतिशत हो गई. खाद्य कीमतों में वृद्धि अनाज (10.27 प्रतिशत), दालों (20.23 प्रतिशत), सब्जियों (17.70 प्रतिशत), फलों (10.95 प्रतिशत) और मसालों (21.55 प्रतिशत) में दोहरे अंक की मुद्रास्फीति से प्रेरित थी.

कोर मुद्रास्फीति (फूड ग्रुप और ईंधन व लाइट समूह को छोड़कर सीपीआई) ने इस वित्तीय वर्ष में साउथ की ओर बढ़ना जारी रखा है और अब 4 प्रतिशत के मध्यम लक्ष्य के करीब है. दूसरी ओर, गैर-प्रमुख मुद्रास्फीति जिसमें फूड और फ्यूल ग्रुप भी शामिल है, अक्टूबर में 5.56 प्रतिशत से बढ़कर नवंबर में 7.26 प्रतिशत हो गई.

Infographic: Soham Sen | ThePrint
इन्फोग्राफिक: सोहम सेन | दिप्रिंट
Infographic: Soham Sen | ThePrint
इन्फोग्राफिक: सोहम सेन | दिप्रिंट

बेस इफेक्ट और कीमतों में क्रमिक वृद्धि

नवंबर, 2022 में, जो अवधि पिछले महीने की मुद्रास्फीति की गणना के लिए आधार के रूप में कार्य करती थी, सीपीआई सूचकांक संख्या में महीने-दर-महीने 0.1 प्रतिशत की गिरावट आई थी. यह पिछले महीने मुद्रास्फीति फिर से बढ़ने के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार था.

प्रतिकूल बेस के जटिल प्रभाव से बचने के लिए, महीने-दर-महीने परिवर्तनों को देखना उपयोगी है (उदाहरण के लिए, अक्टूबर 2023 की तुलना में नवंबर 2023 में परिवर्तन), लेकिन अधिकांश मैक्रोइकोनॉमिक टाइम सीरीज़ मौसम के प्रभाव की वजह से अस्पष्ट हैं, यानी, एक वर्ष में विशिष्ट नियमित अंतराल पर होने वाली विविधताएं.

मौसमी समायोजन (सीज़नल एडजेस्टमेंट) मौसमी उतार-चढ़ाव को दूर करता है और महीने-दर-महीने (या अधिक सामान्यतः, बिंदु-दर-बिंदु विकास दर) की गणना करने की अनुमति देता है. इससे नवीनतम डेटा को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है. हम मौसम के प्रभाव (seasonality) के लिए सीपीआई सीरीज़ को समायोजित करने के लिए मानक मौसमी समायोजन प्रक्रियाएं (सीज़नल एडजेस्टमेंट प्रोसीजर) लागू करते हैं और फिर महीने-दर-महीने विकास दर की गणना करते हैं.

Infographic: Soham Sen | ThePrint
इन्फोग्राफिक: सोहम सेन | दिप्रिंट
Infographic: Soham Sen | ThePrint
इन्फोग्राफिक: सोहम सेन | दिप्रिंट

सामान्य मूल्य सूचकांक में नवंबर में 0.7 प्रतिशत की क्रमिक (माह-दर-माह) वृद्धि दर्ज की गई, जबकि अक्टूबर में 0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. यह जुलाई 2023 के बाद से महीने-दर-महीने सबसे अधिक उछाल है. सामान्य सूचकांक में क्रमिक वृद्धि खाद्य और पेय पदार्थ घटक में 0.7 प्रतिशत की वृद्धि से प्रेरित है.

अन्य घटकों जैसे: पान तम्बाकू और नशीले पदार्थ, कपड़े और जूते, आवास और ईंधन और लाइट में क्रमिक वृद्धि अक्टूबर में देखी गई वृद्धि के समान 0.2-0.3 प्रतिशत पर कम थी. हालांकि, विभिन्न घटक में सूचकांक में अक्टूबर में 0.2 प्रतिशत से नवंबर में 0.4 प्रतिशत तक क्रमिक वृद्धि देखी गई.

नवंबर में राज्यों की मुद्रास्फीति में भी उछाल देखा गया

पिछले महीने की तुलना में नवंबर में अधिक राज्यों में मुद्रास्फीति में वृद्धि देखी गई. अक्टूबर में 11 राज्यों में मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत से अधिक रही. नवंबर में 18 राज्यों में मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत से ऊपर देखी गई. मणिपुर, ओडिशा और राजस्थान में सबसे अधिक मुद्रास्फीति क्रमशः 11.63 प्रतिशत, 7.65 प्रतिशत और 6.99 प्रतिशत थी. पंजाब, तेलंगाना और गुजरात में नवंबर में महंगाई 1 फीसदी से ज्यादा बढ़ी. मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों के कारण हुई है.

Infographic: Soham Sen | ThePrint
चित्रणः सोहम सेन । दिप्रिंट

कुल सीपीआई में भोजन का हिस्सा लगभग 39 प्रतिशत है. सीपीआई में खाद्य समूह में 6 उप-समूहों में फैली 114 वस्तुएं शामिल हैं. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के तहत उपभोक्ता मामलों के विभाग में प्राइस मॉनीटरिंग डिवीज़न (पीएमडी) दैनिक आधार पर खुदरा और थोक कीमतों, और 22 आवश्यक वस्तुओं की हाजिर और भविष्य की कीमतों की निगरानी करता है.

इस दैनिक डेटा का विश्लेषण मासिक खाद्य मुद्रास्फीति के संभावित ट्रैजेक्टरी में ज़रूरी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जो 12 दिनों के अंतराल के साथ आता है.

‘चाय’ को छोड़कर, 21 वस्तुएं हैं जो कुल सीपीआई का लगभग 23 प्रतिशत और सीपीआई भोजन का लगभग 58 प्रतिशत हैं. दिसंबर के 11 दिनों में कीमतों में उतार-चढ़ाव नवंबर की तुलना में प्याज, आलू और टमाटर की कीमतों में कमी दर्शाता है. लेकिन गेहूं, चावल, अरहर दाल, उड़द दाल की कीमतें चिंता का विषय बनी हुई हैं. हाल के महीनों में चीनी की कीमतों में उछाल आया है और दिसंबर के शुरुआती दिनों में इसमें नरमी के संकेत नहीं दिख रहे हैं.

Infographic: Soham Sen | ThePrint
इन्फोग्राफिक: सोहम सेन | दिप्रिंट

इन 21 वस्तुओं की कीमतों का उपयोग करके निर्मित खाद्य मूल्य सूचकांक खाद्य मुद्रास्फीति के शुरुआती रुझानों का आकलन करने के लिए एक उपयोगी उपाय हो सकता है. नीचे दिए गए आंकड़े से पता चलता है कि हालांकि यह मैग्नीट्यूड में मेल नहीं खा सकता है, लेकिन दिशा के संदर्भ में, 21 वस्तुओं की दैनिक कीमतों को कैप्चर करने वाले खाद्य मूल्य सूचकांक को सीपीआई खाद्य मुद्रास्फीति के साथ निकटता से देखा जाता है.

11 दिसंबर तक उपलब्ध कीमतों का उपयोग करके निर्मित खाद्य मूल्य सूचकांक से पता चलता है कि खाद्य मुद्रास्फीति दिसंबर में ऊपर की ओर जारी रहेगी.

Infographic: Soham Sen | ThePrint
इन्फोग्राफिक: सोहम सेन | दिप्रिंट

RBI महंगाई पर अपनी नज़र बनाए रखेगा

अपनी हालिया बैठक में, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने विकास पर अपना अनुमान 50 आधार अंक बढ़ा दिया, लेकिन चालू वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा. खाद्य पदार्थों की कीमतों में अनिश्चितता और वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण के लिए खतरा बनी हुई है.

समिति ने खाद्य मूल्य दबाव के सामान्यीकरण के किसी भी संकेत की निगरानी करने और 4 प्रतिशत मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उचित कार्रवाई करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जो अभी भी कुछ दूर है. समिति को अब उम्मीद है कि मुद्रास्फीति अगले साल की दूसरी तिमाही तक ही घटकर 4 प्रतिशत पर आ जायेगी.

[राधिका पांडे एक एसोसिएट प्रोफेसर हैं और प्रमोद सिन्हा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (NIPFP) में फेलो हैं.]

(संपादनः शिव पाण्डेय)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः यूपी की महिला जज ने सहकर्मी पर लगाया यौन उत्पीड़न का आरोप, CJI से मांगी आत्महत्या की अनुमति


 

share & View comments