नई दिल्ली: मंगलवार को जारी वित्तीय सलाहकार फर्म डेलॉइट और फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में फैंटेसी स्पोर्ट्स की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए, फाइनेंशियल इयर 2026-27 (FY27) में अनुमानित उपयोगकर्ता आधार 50 करोड़ के साथ इंडस्ट्री का रेवेन्यू 33 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़कर 25,300 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है.
‘फैंटेसी स्पोर्ट्स: ए कैटलिस्ट फॉर द स्पोर्ट्स इकोनॉमी’, नाम की इस रिपोर्ट में हालांकि, यह भी कहा गया है कि रेग्युलेटरी और टैक्स संबंधी निश्चितता प्रमुख तत्व हैं जो इस क्षेत्र के लिए निरंतर विकास का निर्धारण करेंगे.
इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (एफएस) प्लेटफार्मों द्वारा अर्जित राजस्व वित्त वर्ष 22 में 6,800 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो कि वित्त वर्ष 20 में अर्जित राजस्व का लगभग तीन गुना है, और वित्त वर्ष 23 में इसके 8,900 करोड़ रुपये तक बढ़ने का, वित्त वर्ष 24 में 11,700 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 25 में 15,200 रुपये करोड़ और वित्त वर्ष 26 में 19,700 करोड़ रुपये होने का अनुमान है.
“इसका श्रेय डिजिटल बुनियादी ढांचे, निवेश, मौजूदा एफएसपी पर नए खेलों और लीग की शुरुआत को दिया जा सकता है. प्लेटफ़ॉर्म रेवेन्यू में तेजी से सुधार को FS की बढ़ती लोकप्रियता के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसमें लगभग 18 करोड़ का उपयोगकर्ता आधार है, वित्त वर्ष 21 से 38 प्रतिशत की वृद्धि, और वित्त वर्ष 27 तक 50 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, ”रिपोर्ट में कहा गया है.
इसने बताया कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला एफएस बाजार है, जिसका उपयोगकर्ता आधार उत्तरी अमेरिका से लगभग तीन गुना है, जो कि काफी अधिक परिपक्व बाजार है और राजस्व के मामले में मार्केट लीडर है.
फैंटेसी स्पोर्ट्स टीम-सेलेक्शन प्रतियोगिताएं हैं जहां उपयोगकर्ता विभिन्न खेलों में रियल लाइफ के खिलाड़ियों की वर्चुअल टीम बनाते हैं. यह टीम अन्य उपयोगकर्ताओं की ऑनलाइन टीमों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करती है और विजेताओं का फैसला आधिकारिक रूप से स्वीकृत लाइव और पूर्ण मैचों में खिलाड़ियों के वास्तविक जीवन के प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है.
2017 में स्थापित, FIFS सेल्फ-रेग्युलेटरी उद्योग निकाय है जिसका उद्देश्य उपभोक्ता हितों की रक्षा करना और भारत में फैंटेसी स्पोर्ट्स इंडस्ट्री के लिए मानकीकृत बेस्ट प्रेक्टिस बनाना है.
यह भी पढ़ेंः UK-US स्टडी का दावा, हीटवेव के प्रभाव को ठीक से कैप्चर नहीं करते क्लाइमेट वलनेरेबिलिटी सूचकांक
राजकोष के लिए रेवेन्यू
रिपोर्ट के अनुसार, FY18 और FY22 के बीच, FS उद्योग द्वारा राजकोष के लिए राजस्व के रूप में कुल 4,500 करोड़ रुपये उत्पन्न किए गए थे. इनमें से करीब 2,800 करोड़ रुपये जीएसटी के रूप में दिए गए. वर्तमान कर व्यवस्था के अनुसार, यह वित्त वर्ष 18 और वित्त वर्ष 27 के बीच संचयी रूप से 17,500 करोड़ रुपये तक बढ़ने की उम्मीद है.
इसके अतिरिक्त, फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म (एफएसपी) भी अपने प्लेटफॉर्म पर जीत पर टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स (टीडीएस) में कटौती करते हैं और कॉर्पोरेट करों के माध्यम से अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है, “एफआईएफएस (FISS) का अनुमान है कि इंडस्ट्री एस्टीमेट के मुताबिक, FY18 और FY22 के बीच इस तरह से 1,700 करोड़ रुपये कुमुलेटिव योगदान दिया गया है. वित्त वर्ष 2018 और वित्त वर्ष 27 के बीच सरकारी खजाने के लिए राजस्व 30,500 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है“.
इस क्षेत्र ने विदेशी और घरेलू दोनों स्रोतों से FY22 तक 15,000 करोड़ रुपये के कुमुलेटिव इन्वेस्टमेंट आकर्षित किया.
जनसांख्यिकीय प्रोफाइल
रिपोर्ट के अनुसार, मिलेनियल्स और Gen Zs भारत में एफएस उपयोगकर्ताओं का 75 प्रतिशत हैं, 25-34 आयु वर्ग के उपयोगकर्ता कुल आधार का 40 प्रतिशत हैं, 18-24 आयु वर्ग के लोग यूजर बेस का 35 प्रतिशत हैं और बाकी के 20 प्रतिशत 35 और उससे अधिक आयु वर्ग से आते हैं.
महानगरों और गैर-महानगरों में समान रूप से यूजर्स हैं और मुख्य रूप से पुरुष हैं. रिपोर्ट में कहा गया है, “खेलों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और दर्शकों की संख्या के साथ, एफएस में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, जो वर्तमान में यूजर बेस का अनुमानित 30 प्रतिशत है.”
दिलचस्प बात यह है कि नॉन-क्रिकेट एफएस भी यूजर्स का ध्यान खींच रहे हैं. हैंडबॉल, वॉलीबॉल, फुटसल जैसे खेलों की तरफ भी लोगों का खिंचाव बढ़ा है, जबकि प्रो कबड्डी और सीनियर नेशनल कबड्डी चैंपियनशिप जैसी लीगों के कारण इसमें यूजर्स की संख्या में – FY21 में नौ प्रतिशत से बढ़कर FY22 में 26 प्रतिशत – महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है. बास्केटबॉल और बेसबॉल ने भी अपने यूजरबेस में क्रमशः चार प्रतिशत से सात प्रतिशत और दो प्रतिशत से पांच प्रतिशत तक की छलांग देखी है.
औसतन, 65 प्रतिशत यूजर्स एफएस ऐप पर केवल एक खेल में भाग लेते हैं, 20 प्रतिशत उपयोगकर्ता दो में और शेष 15 प्रतिशत दो से अधिक खेलों में भाग लेते हैं.
इसके अलावा, रिपोर्ट में पाया गया कि एफएसपी पर 80 प्रतिशत उपयोगकर्ता मुफ्त में भाग लेते हैं, जबकि भुगतान किए गए यूजरेस लगभग 20 प्रतिशत हैं. हालांकि, एफएसपी की बढ़ती लोकप्रियता और अपेक्षाकृत उच्च डिस्पोजेबल आय वाले युवा जनसांख्यिकीय के बीच रुचि बढ़ने की उम्मीद है.
कर स्पष्टता की आवश्यकता है
रिपोर्ट में कहा गया है, “चूंकि एफएसपी भविष्य के विकास के लिए एक पाठ्यक्रम तैयार करना चाहता है, रेग्युलेटरी और कर संबंधी निश्चितता प्रमुख तत्व होंगे जो क्षेत्र के लिए निरंतर विकास का निर्धारण करेंगे.”
6 अप्रैल 2023 को “ऑनलाइन गेमिंग के संबंध में सरकार के हालिया नोटिफिकेशन आईटी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में संशोधन” की सरकार की हालिया अधिसूचना को “एक बहुप्रतीक्षित कदम के रूप में बताया गया है जो उद्योग में व्यवस्था और व्यवस्थित विकास लाएगा.” साथ ही यह भी कहा कि आने वाले कुछ महीनों में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के बारे में रिजोल्यूशन देखने की भी संभावना है.
वर्तमान कर व्यवस्था सकल गेमिंग राजस्व (जीजीआर) पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाती है, जो खिलाड़ियों को जीत वितरित करने के बाद प्लेटफार्मों द्वारा अर्जित राजस्व है.
रिपोर्ट में कहा गया है,“जून 2022 में, ऑनलाइन गेमिंग पर जीएसटी की जांच के लिए गठित मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने कुल इनकम पर 28 प्रतिशत टैक्सेशन का प्रस्ताव दिया. रिपोर्टों से पता चलता है कि जीओएम 18 से 28 प्रतिशत की दर में वृद्धि के लिए सहमत हो गया है, हालांकि, इस बात पर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है कि कितने अमाउंट पर जीएसटी लगाया जाए.
इसमें कहा गया है कि अगर जीएसटी की सप्लाई को कुल मूल्य में बदल दिया जाए तो यह एफएसपी मार्जिन पर कड़ा प्रभाव डालेगा, और इस निर्णय का एक परिणाम यह हो सकता है कि इस सेक्टर की व्यवहार्यता में गिरावट आने की संभावना है.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)