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Monday, 23 December, 2024
होमदेशअर्थजगतआर्थिक वृद्धि अनुमान से कम, 2019-20 की तीसरी तिमाही में घटकर 4.7 फीसदी पर

आर्थिक वृद्धि अनुमान से कम, 2019-20 की तीसरी तिमाही में घटकर 4.7 फीसदी पर

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार इससे पूर्व वित्त वर्ष 2018-19 की इसी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत रही थी.

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नई दिल्ली: देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 4.7 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 5.6 प्रतिशत थी. सरकारी आंकड़े से यह जानकारी सामने आई है.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार इससे पूर्व वित्त वर्ष 2018-19 की इसी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत रही थी.

चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर) में आर्थिक वृद्धि दर 5.1 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 6.3 प्रतिशत थी.

एनएसओ ने 2019-20 की पहली तिमाही के लिये जीडीपी वृद्धि दर को संशोधित कर 5.6 प्रतिशत तथा दूसरी तिमाही के लिये 5.1 प्रतिशत कर दिया है.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पिछले महीने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था.

वहीं रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 5 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी है.

चीन की आर्थिक वृद्धि दर अक्टूबर-दिसंबर 2019 में 6 प्रतिशत रही जो 27 साल से अधिक समय का न्यूनतम स्तर है. वहीं कैलेंडर वर्ष 2019 में चीन की वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही जो तीन दशक में सबसे कम है.

आंकड़ों के अनुसार 2019-20 की तिमाही जीडीपी लगातार (2011-12) 2018-19 की तिमाही आंकड़ों 35.00 लाख करोड़ के मुकाबले 36.65 करोड़ की कीमत पर बनी हुई है.

जीडीपी आंकड़ों से पता चलता है कि ‘करो-ना’ वायरस ने सरकार को पंगु बना दिया: कांग्रेस

कांग्रेस ने मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर के 4.7 फीसदी रहने को लेकर शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और दावा किया कि आंकड़ों से स्पष्ट है कि ‘करो-ना’ वायरस ने इस सरकार को पंगु बना दिया है.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान जारी कर यह आरोप भी लगाया कि सरकार इन आंकड़ों के खतरनाक संकेतों को लगातार नजरअंदाज कर रही है.

उन्होंने कहा, ‘जीडीपी के आंकड़ों से पता चलता है कि ‘करो-ना’ वायरस से इस सरकार की कार्य प्रणाली पंगु हो चकी है. अर्थव्यवस्था का हर सूचकांक विपरीत दिशा में जा रहा है. इसके बावजूद यह सच्चाई से मुंह छिपा रही है.’

दरअसल, विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट के कारण देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की तीसरी (अक्टूबर-दिसंबर) तिमाही में धीमी पड़कर 4.7 प्रतिशत रही. यह किसी तिमाही में इसका सात साल का न्यूनतम स्तर है.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार इससे पूर्व वित्त वर्ष 2018-19 की इसी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत रही थी.

बुनियादी उद्योगों में जनवरी में 2.2 प्रतिशत वृद्धि

कोयला, रिफाइनरी उत्पादों और बिजली उत्पादन बढ़ने से बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर इस साल जनवरी में बढ़कर 2.2 प्रतिशत रही.

शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार पिछले साल जनवरी में बुनियादी उद्योग की वृद्धि दर 1.5 प्रतिशत रही थी.

कोयला, रिफाइनरी उत्पादों और बिजली उत्पादन में क्रमश: 8 प्रतिशत, 1.9 प्रतिशत और 2.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
आंकड़ों के अनुसार कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस तथा उर्वरक क्षेत्र में आलोच्य माह के दौरान गिरावट दर्ज की गयी.

चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी अवधि के दौरान बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर घटकर 0.6 प्रतिशत रही है जो कि एक साल पहले इसी अवधि में 4.4 प्रतिशत रही थी.

आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर में अगस्त 2019 से नवंबर 2019 तक गिरावट दर्ज की गयी थी.

भारत की चालू वित्त वर्ष की वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत रहने का था अनुमान

नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) ने शुक्रवार को कहा था कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. उसने कहा था कि इससे अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर बढ़कर 5.6 प्रतिशत पर पहुंच सकती है.

अर्थव्यवस्था की तिमाही समीक्षा में कहा था कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत रह सकती है और इसके बढ़तकर चौथी तिमाही में 5.1 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है.

उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था. वहीं रिजर्व बैंक ने भी 2019-20 में वृद्धि दर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था.

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