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Monday, 9 December, 2024
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आपको लग रहा था कि यूपी चुनाव के बाद पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ जाएंगे? लेकिन किन कारणों से ऐसा नहीं हुआ

ईंधन के दाम बढ़ने के आसार थे लेकिन मतदान पूरे होने के दो दिन बाद भी खुदरा विक्रेताओं ने इन्हें अपरिवर्तित रखा है. यहां तक कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल का भी अभी तक कोई असर नहीं पड़ा है.

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नई दिल्ली: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को जैसे ही आखिरी चरण का मतदान पूरा हुआ हर किसी की निगाह कुछ अहम आंकड़ों पर आकर टिक गई. हालांकि, ये चुनाव नतीजों से नहीं बल्कि पेट्रोल और डीजल के दामों से जुड़े आंकड़े थे.

ईंधन के दाम बढ़ने के आसार थे लेकिन 48 घंटे बीत जाने के बावजूद खुदरा विक्रेताओं ने इन्हें अपरिवर्तित रखा है. यहां तक कि यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण वैश्विक स्तर पर कीमतों में उछाल का भी अभी तक कोई असर नहीं पड़ा है.

नई दिल्ली में पेट्रोल 95.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल 86.67 रुपए प्रति लीटर पर बिक रहा है. मुंबई में पेट्रोल 109.98 रुपए प्रति लीटर और डीजल 94.14 रुपए प्रति लीटर है. दोनों ईंधनों की कीमतें देशभर में अलग-अलग रहती हैं, जो कि राज्य की तरफ से लगाए जाने वाले शुल्क पर निर्भर करती हैं.

नरेंद्र मोदी सरकार के सूत्रों की तरफ से संकेत मिला है कि वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी है लेकिन खुदरा विक्रेताओं ने अभी तक पंप पर कीमतें नहीं बढ़ाई हैं क्योंकि सरकार कीमतों में बढ़ोतरी के बाद स्थिति से निपटने के विकल्पों पर विचार कर रही है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘हम कुछ विकल्पों पर काम कर रहे हैं. उनमें एक खुदरा कीमतों में वृद्धि के साथ-साथ उत्पाद शुल्क को घटाना हो सकता है.’


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‘फैसला करने में समय लगता है’

सरकारी स्वामित्व वाले खुदरा विक्रेताओं—इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड—ने पांच राज्यों में होने वाले चुनावों के बीच करीब चार महीने से अधिक समय तक ईंधन की कीमतों को स्थिर रखा है.

ऐसा माना जा रहा था कि 7 मार्च को उत्तर प्रदेश में आखिरी चरण के मतदान के बाद दरें बढ़ जाएंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल से मिले आंकड़ों के मुताबिक, भारत की क्रूड बास्केट ऑयल की कीमत मंगलवार को बढ़कर 126.55 डॉलर प्रति बैरल हो गई जो जुलाई 2008 के बाद का उच्चतम स्तर है.

तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) में शीर्ष कंपनी इंडियन ऑयल के पूर्व निदेशक, वित्त ए.के. शर्मा ने कहा, ‘यह तय करने में समय लगता है कि अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कीमतों के बीच अंतर को कैसे भरा जा सकता है. मुझे लगता है कि मूल्यवृद्धि और उत्पाद शुल्क में कटौती के बीच तालमेल बैठाना एक विकल्प हो सकता है.

उन्होंने कहा कि चूंकि खुदरा कीमतें 15 दिन के रोलिंग एवरेज के आधार पर तय की जाती हैं, ओएमसी कच्चे तेल की औसत कीमत 105-110 डॉलर प्रति बैरल रखते हुए ईंधन के दाम बढ़ा सकती हैं.

कितनी वृद्धि होने के आसार हैं?

भारत की क्रूड ऑयल बास्केट की कीमत नवंबर की तुलना में करीब 45 प्रतिशत अधिक हो गई है, विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ईंधन खुदरा विक्रेता कच्चे तेल की कीमत 115 डॉलर प्रति बैरल लेते हैं तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कम से कम 15-20 रुपए की बढ़ोतरी होगी. तभी उन्हें प्रति लीटर ईंधन बेचने पर नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा.

ईंधन खुदरा विक्रेताओं ने आखिरी बार नवंबर में मूल्य संशोधन किया था. तब से लेकर अब तक कच्चे तेल की कीमतों में करीब 40 डॉलर प्रति बैरल का इजाफा हुआ है. यह तब हुआ जब सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमशः 5 रुपए और 10 रुपए की कटौती की और इसके बाद उपभोक्ताओं को और राहत देने के लिए कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मूल्य वर्धित कर में कटौती की गई.

पेट्रोल और डीजल पर शुल्क में कटौती के बाद भी दोनों ईंधनों पर उत्पाद शुल्क अभी भी बहुत अधिक है. फिलहाल पेट्रोल पर 27.90 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क लगता है जबकि डीजल पर यह 21.80 रुपए प्रति लीटर है.


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वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से सरकार चिंतित

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि देखना होगा कि सरकार ईंधन की बढ़ती कीमतों का असर घटाने में कैसे सफल हो पाती है.

उन्होंने बेंगलुरु में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘निश्चित तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ेगा. हम कैसे इसे एक चुनौती के तौर पर ले पाते हैं और इसका असर कम करने के लिए कितने तैयार हैं…ये कुछ ऐसा है जिसे हमें आगे जाकर ही पता चल पाएगा.’

भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का 80 प्रतिशत से अधिक आयात करता है और रुपए के अवमूल्यन के साथ मिलकर तेल आयात का मूल्य और भी अधिक होने की संभावना है जो कि भारत के चालू खाते के घाटे को प्रभावित करेगा.

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार यह पता लगाने का इंतजार कर रही है कि क्या वैकल्पिक स्रोत अपनाए जा सकते हैं जहां से उसे कच्चा तेल मिल सकता है. सीतारमण ने कहा, ‘जाहिर तौर पर वैश्विक बाजार को लेकर विभिन्न स्रोतों पर समान रूप से कोई कल्पना नहीं की जा सकती है.’

बीपीसीएल के चेयरमैन अरुण कुमार सिंह ने बुधवार को द इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि तेल की कीमतों में मौजूदा उछाल लंबे समय तक नहीं रहेगा और दो सप्ताह के भीतर कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल तक गिरने के आसार हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि भारत को घबराने की जरूरत नहीं है. अरुण कुमार सिंह ने कहा, ‘रूसी तेल और गैस का निर्यात तब तक बाधित नहीं होगा जब तक कि खुद रूस ऐसा करने का फैसला नहीं करता, जिसकी संभावना नहीं है. पूरी दुनिया ही मौजूदा कीमतों को वहन नहीं कर सकती है. वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी होगी और कच्चे तेल की मांग में सुधार होगा.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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