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Tuesday, 12 November, 2024
होमदेशअर्थजगतअवैध नहीं है क्रिप्टो का कारोबार, नहीं तो हमारी एजेंसियां अब तक कार्रवाई कर चुकी होतीं: राजस्व सचिव

अवैध नहीं है क्रिप्टो का कारोबार, नहीं तो हमारी एजेंसियां अब तक कार्रवाई कर चुकी होतीं: राजस्व सचिव

दिप्रिंट को दिए गए एक साक्षात्कार में राजस्व सचिव तरुण बजाज का कहना है कि डिजिटल संपत्ति पर घोषित की गई नई कर व्यवस्था 1 अप्रैल से लागू की जाएगी, लेकिन सरकार आज के दिन भी इन संपत्तियों पर कर लगा सकती है.

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नई दिल्ली: राजस्व सचिव तरुण बजाज का कहना है की भारत में क्रिप्टो एसेट्स (परिसंपत्तियों) का कारोबार करना अवैध नहीं है, क्योंकि भारत ने कभी भी क्रिप्टो एक्सचेंजों को उनका काम करने से नहीं रोका है.

उन्होंने एक साक्षात्कार में दिप्रिंट को बताया, ‘इस बारे मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ अपनी बात रखते हुए कहूंगा कि यह कतई अवैध नहीं है क्योंकि हमारी आंखों के सामने बहुत सारे एक्सचेंज चल रहे हैं. अन्यथा, हमारी एजेंसियां अब तक अपने परिसर पर धावा बोल चुकी होतीं.’

उन्होंने आगे कहा कि हालांकि, वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के संबंध में घोषित की गई नई कर व्यवस्था 1 अप्रैल 2022 से लागू की जाएगी, परन्तु सरकार आज के दिन भी इन संपत्तियों पर कर लगा सकती है.

बजाज ने कहा, ‘नई व्यवस्था 1 अप्रैल से लागू होगी लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इन संपत्तियों पर अभी कोई कर नहीं है. ये आज के दिन भी कर योग्य हैं. ऐसा नहीं है कि अभी यह कोई टैक्स-फ्री आइटम (कर मुक्त वस्तु) है. लेकिन अब आपको अपने इनकम टैक्स रिटर्न के साथ मेरे पास आना होगा और मैं एक असेसिंग ऑफिसर होऊंगा. हम तय करेंगे कि आपने इसे सही तरह से भरा है या नहीं.‘

बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने साल 2022 के केंद्रीय बजट भाषण में डिजिटल एसेट्स के हस्तांतरण से होने वाले किसी भी तरह के पूंजीगत लाभ पर अधिभार के साथ 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव रखा था. उन्होंने इन लेनदेन के सकल मूल्य पर 1 प्रतिशत की दर से स्रोत पर कर की कटौती (टैक्स डिडक्शन ऑन सोर्स-टीडीएस) की भी घोषणा की थी.

हालांकि, उन्होंने टीडीएस लागू होने की कोई न्यूनतम सीमा निर्दिष्ट नहीं की थी, मगर वित्तमंत्री ने स्पष्ट किया कि वर्चुअल डिजिटल एसेट्स को उपहार में दिए जाने पर भी इसे प्राप्त करने वाले के ऊपर यह कर लगाया जाएगा.

सीतारमण द्वारा की गई यह घोषणा प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल द्वारा यह कहे जाने के एक दिन बाद की गई थी कि सरकार डिजिटल मुद्राओं पर एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाएगी.


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रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स के मामलों को एक महीने के भीतर बंद किया जायेगा

बजाज ने कहा कि सरकार केयर्न पीएलसी से पूर्वव्यापी कराधान (रेट्रोस्पेक्टिव टैक्सेशन) के तहत जमा करवाए गए करों के बदले में कुछ ही दिनों में रिफंड (कर वापसी) का भुगतान करने में सक्षम हो जाएगी. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही इस तरह की टैक्स ऍप्लिकेबिलिटी के तहत आने वाले अन्य सभी मामलों का भी एक महीने के भीतर समापन कर दिया जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘अन्य सभी औपचारिकताएं पूरी हो गई हैं. अब जो कुछ मामला बचा है, वह है केयर्न को रिफंड दिया जाना, जो अगले कुछ दिनों में हो जायेगा और भी बहुत से मामले हैं जो बंद हो गए हैं, लेकिन चूंकि उन्हें कोई पैसा नहीं दिया जाना था, इसलिए उन्होंने कोई शोर नहीं मचाया. हमें इस सारे मामले को अगले 15-30 दिनों के भीतर समाप्त कर देना चाहिए.‘

पिछले साल, संसद ने आयकर अधिनियम में संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण की पूर्वव्यापी प्रकृति (रेट्रोस्पेक्टिव नेचर) को वापस लेने के लिए एक विधेयक पारित किया था.

यह पूर्वव्यापी संशोधन (रेट्रोस्पेक्टिव अमेंडमेंट) 2011 में वोडाफोन के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लाया गया था. इस वजह से, 28 मई 2012 से पहले संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण से लाभ अर्जित करने वाली सभी कंपनियां इस कर के दायरे में आ गईं थीं.

बजाज ने बताया कि आगे चलकर सरकार प्रत्यक्ष करों, जिसमें आय और कॉर्पोरेट कर शामिल हैं, के माध्यम से चालू वित्त वर्ष से ही अप्रत्यक्ष करों की तुलना में ज्यादा राजस्व प्राप्त करने लगेगी. वह उस असमानता के बारे में एक सवाल का जवाब दे रहे थे जो ऐसी व्यवस्था द्वारा पैदा की जाती है जिसमें अप्रत्यक्ष कर प्रत्यक्ष करों से अधिक होते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि अप्रत्यक्ष कर अधिक प्रतिगामी (रिग्रेसिव) होते हैं और ये गरीबों को ज्यादा प्रभावित करते हैं.

वित्तीय वर्ष 2021-22 में, सरकार ने अप्रत्यक्ष करों – वस्तु और सेवा कर – जीएसटी, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क से प्राप्त सकल राजस्व – के 12.58 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान किया है, जो प्रत्यक्ष करों से मिलनी वाली राशि (12.5 लाख करोड़ रुपये) से थोड़ा ही अधिक है.

जीएसटी स्लैब को तर्कसंगत बनाये जाने पर मार्च में होगी चर्चा

जीएसटी व्यवस्था के तहत कई तरह की कर की दरों (टैक्स स्लैब्स) में व्यापक परिवर्तन के लिए एक आधार तैयार करते हुए जीएसटी परिषद मार्च में अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के तहत विभिन्न टैक्स स्लैब्स को तर्कसंगत बनाये जाने पर विचार कर सकती है.

इस बारे में बोलते हुए, बजाज ने कहा: ‘ये स्लैब दो हों या तीन, चाहे कोई वस्तु 5 प्रतिशत के स्लैब में होनी चाहिए या 12 के या फिर 18 में होनी चाहिए, ये कुछ ऐसे मामलें है जिन्हें बोम्मई समिति देख रही है. हम उनकी सिफारिशों का इंतजार करेंगे और उसके बाद ही जीएसटी परिषद इस पर विचार करेगी. इसलिए हम मार्च के महीने में ही इसकी चर्चा करेंगे.‘

विदित हो कि केंद्र सरकार ने सितंबर के महीने में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज एस बोम्मई के नेतृत्व में मंत्रियों के एक समूह को टैक्स स्लैब्स को तर्क संगत बनाये जाने के बारे में तथा विभिन्न टैक्स स्लैब्स के विलय के बारे में दो महीने के अंदर विचार कर अपने प्रस्ताव देने का काम सौंपा था.

वर्तमान में, जीएसटी शासन में शून्य, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के पांच टैक्स स्लैब हैं, और कुछ वस्तुओं पर 28 प्रतिशत की दर के अलावा उपकर (सेस) भी लगाया जाता है. इसके साथ ही कुछ वस्तुओं, जैसे कीमती पत्थर और हीरे के लिए विशेष दरें भी हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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