दिल्ली: देश की अर्थव्यवस्था के अगले वित्त वर्ष 2023-24 में छह प्रतिशत की धीमी रफ्तार से बढ़ने का उम्मीद है. घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने बृहस्पतिवार को यह अनुमान लगाया है. क्रिसिल का यह अनुमान अर्थव्यवस्था की वृद्धि के बारे में लगाए गए अन्य आकलन के समान है.
एजेंसी का मानना है कि अगले पांच वित्त वर्ष में भारत की औसत आर्थिक वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहेगी.
क्रिसिल ने आगे कहा कि अगले वित्त वर्ष में कंपनियों की आय में दो अंकीय वृद्धि हो सकती है.
वहीं राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (एनएसओ) ने चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने की संभावना जताई है. ज्यादातर विश्लेषक इसे एक महत्वाकांक्षी आंकड़ा मान रहे हैं. सात प्रतिशत की कुल वृद्धि दर के लिए अर्थव्यवस्था को चालू वित्त वर्ष की मौजूदा तिमाही में 4.5 से अधिक की दर से बढ़ना होगा.
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने अपने वार्षिक वृद्धि अनुमान में कहा कि भू-राजनीतिक घटनाक्रमों, लगातार ऊंची मुद्रास्फीति और इसका मुकाबला करने के लिए ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी ने वैश्विक परिवेश को और अधिक निराशाजनक बना दिया है.
उन्होंने कहा कि मई, 2022 से नीतिगत दर रेपो में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि का प्रभाव अगले वित्त वर्ष में अधिक देखने को मिलेगा.
ऊंचे आधार प्रभाव की वजह से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अगले वित्त वर्ष में औसतन पांच प्रतिशत पर रहने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष में यह करीब 6.8 प्रतिशत रहेगी.
हालांकि, रबी की अच्छी फसल से खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिलेगी, जबकि धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था से मुख्य मुद्रास्फीति नरम होगी.
एजेंसी के प्रबंध निदेशक अमीश मेहता ने कहा कि देश की मध्यम अवधि की वृद्धि संभावनाएं बेहतर हैं. हमें उम्मीद है कि अगले पांच वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की औसतन सालाना वृद्धि दर 6.8 रहेगी.
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