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Sunday, 22 December, 2024
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टैक्स स्लैब में बदलाव, सरकारी खर्च, सुधार का एजेंडा- ऐसे पढ़ें बजट 2021 को

1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना तीसरा केंद्रीय बजट पेश करेंगी. बजट में आप क्या जानना चाहते हैं, दस्तावेज़ में उसे देखने के लिए ये है गाइड.

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नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को अपना तीसरा और शायद सबसे चुनौती भरा केंद्रीय बजट पेश करने जा रही हैं, जिसमें उनका उद्देश्य महामारी से बुरी तरह प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है.

2021-22 का केंद्रीय बजट सुबह क़रीब 11 बजे शुरू होगा, जब वित्त मंत्री संसद में अपना बजट भाषण शुरू करेंगी. भाषण ख़त्म हो जाने के बाद, बजट के बाक़ी दस्तावेज़ एक अधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिए जाएंगे.

बजट भाषण के हिस्से क्या होते हैं?

परंपरागत रूप से बजट भाषण के दो हिस्से होते हैं. पहले हिस्से में वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था का एक आकलन पेश करते हैं, विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी घोषणाएं करते हैं, जिनके साथ कभी कभी आवंटन भी होता है और उन सुधारों को सूचीबद्ध करते हैं, जो सरकार आगामी बजट में लाना चाहती है.

इस साल, संभावना है कि बजट भाषण में इस बात को भी दोहराया जाएगा कि सरकार महामारी से किस तरह निपटी, और उसके बाद महामारी के आर्थिक प्रभावों से निपटने के लिए आत्मनिर्भर पैकेज की घोषणा की.

भाषण के दूसरे हिस्से का संबंध, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के प्रावधानों में विशिष्ट बदलावों से होता है, जो बजट में प्रस्तावित होते हैं. इनमें आयकर स्लैब्स में बदलाव, छूट की सीमा, सेक्शन 80 (सी) के तहत बचत तथा घर ख़रीद को प्रोत्साहित करने के लिए कटौती की अनुमति आदि शामिल हैं.

पूंजी लाभ कर में कोई भी संभावित बदलाव बजट के इसी हिस्से में किए जाते हैं. अप्रत्यक्ष कर में प्रमुख बदलाव और उनके औचित्य की व्याख्या भी, बजट के इसी हिस्से में की जाती है. इनमें मुख्यत: आयातित वस्तुओं के सीमा शुल्क, तथा पेट्रोल व डीज़ल जैसी वस्तुओं के उत्पाद शुल्क में किए जाने बदलाव शामिल होते हैं.

वस्तुएं और सेवा कर (जीएसटी) की दरों में बदलाव, बजट से बाहर जीएसटी काउंसिल द्वारा किए जाते हैं- एक संघीय इकाई जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्री और सूबों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं.

बजट भाषण के साथ अलग अलग अनुबंध भी होते हैं- एक ऐसी सूची जो हर बजट के साथ बढ़ती जा रही है.

अनुबंधों में आमतौर से, महत्वपूर्ण मंत्रालयों के आवंटनों और सब्सिडी का विवरण दिया जाता है और साथ ही उत्पादों के सीमा शुल्क किए गए बदलावों की व्याख्या भी की जाती है.

पिछले साल, वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सरकार ने अपने बजट के बाहर के ख़र्च का भी विवरण दिया था- सरकार द्वारा किया गया वो ख़र्च, जो उसके वित्तीय घाटे के हिसाब में नहीं दिखाया जाता और जिसे अतिरिक्त‍ बजटीय संसाधनों, और राष्ट्रीय लघु बचत कोष से ऋण लेकर किया जाता है.


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बजट की बारीकियां

जहां बजट भाषण में अगले वित्त वर्ष के लिए, सरकार की योजनाओं और महत्व वाले क्षेत्रों का व्यापक अवलोकन होता है, वहीं बजट के बाक़ी दस्तावेज़ों में संख्याओं की बारीकियों का स्पष्टीकरण दिया जाता है.

इन दस्तावेज़ों में तीन साल के आंकड़े विस्तार से दिए जाते हैं.

मसलन, 2021-22 के बजट दस्तावेज़ों में, 2019-20 के वास्तविक आंकड़े, 2020-21 के संशोधित आंकड़े (साल के शुरू में पेश किए गए बजट के शुरुआती आंकड़े, ज़मीनी वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए, वित्त वर्ष के अंत की तरफ संशोधित किए जाते हैं), और 2021-22 के बजट के अनुमान पेश किए जाएंगे.

बजट एक नज़र में शीर्षक से इस दस्तावेज़ में, सरकार के वित्त का अवलोकन होता है, जिसमें प्राप्तियों, ख़र्चों, और वित्तीय घाटे का विवरण दिया जाता है. इसमें कर और ग़ैर-कर राजस्व का संक्षिप्त विवरण भी होता है और साथ ही सब्सिडी और ब्याज अदाएगी पर हुए ख़र्च के लिए, महत्वपूर्ण मंत्रालयों के आवंटन का ब्यौरा भी दिया जाता है.

इसमें अगले वर्ष के लिए नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ का अनुमान भी दिया जाता है. इसी के आधार पर जीडीपी के प्रतिशत के तौर पर वित्तीय घाटे के अनुपात और राजस्व संग्रह की अनुमानित वृद्धि का हिसाब लगाया जाता है.

पिछले कुछ बजटों में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ का अनुमान लगभग 11 प्रतिशत लगाया जाता रहा है. लेकिन 2019-20 में ये घटकर सिर्फ 7 प्रतिशत रह गया और 2020-21 में नकारात्मक रहेगा.

प्राप्तियों के बजट में व्यक्तिगत आय कर, कॉर्पोरेट आय कर, जीएसटी, सीमा शुल्क और आबकारी संग्रह का, अलग अलग विस्तृत ब्यौरा दिया गया है. इसमें लाभांश और स्पेक्ट्रम बिक्री से हुए ग़ैर-कर संग्रह का भी विस्तृत ब्यौरा दिया गया है. इसके अलावा, इसमें बाज़ार से लिए गए ऋण का विवरण भी दिया जाता है जिन्हें ऋण प्राप्तियों और विनिवेश के मद में प्राप्तियों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है.

व्यय बजट में विभिन्न मंत्रालयों को किए गए आवंटनों का विवरण दिया जाता है, जिन्हें आयगत और पूंजिगत व्यय के तौर पर वर्गीकृत किया जाता है, ताकि ख़र्च वहन करने और पूंजीगत संपत्ति के सृजन के लिए, आवंटित व्यय में अंतर किया जा सके.

वित्त विधेयक

अन्य बजट दस्तावेज़ों में एक ज्ञापन भी होता है, जिसमें बजट में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में प्रस्तावित बदलावों के, औचित्य और प्रभाव की व्याख्या दी गई होती है. साथ ही इसमें व्यापक आर्थिक ढांचे पर भी एक वक्तव्य होता है, जिसमें महत्वपूर्ण संकेतकों की दिशा का ब्यौरा होता है.

वित्त विधेयक शीर्षक वाले दस्तावेज़ में विभिन्न क़ानूनों में प्रस्तावित संशोधनों का विवरण दिया जाता है.

आमतौर से, वित्त विधेयक का इस्तेमाल केवल उन अधिनियमों को संशोधित करने के लिए किया जाता है जो करों को नियमित करते हैं, जैसे आयकर अधिनियम, काला धन अधिनियम और बेनामी प्रॉवीज़ंस एक्ट.

लेकिन, अतीत में सरकारों ने वित्त विधेयक का इस्तेमाल, रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया एक्ट और पूंजी बाज़ार नियामक सिक्योरिटीज़ एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया को नियंत्रित करने वाले एक्ट में संशोधन करने के लिए किया है.

महामारी की वजह से राजस्व में हुई भारी कमी के कारण, सरकार निश्चित रूप से अगले दो साल तक वित्तीय घाटे के अपने लक्ष्य पूरे नहीं कर पाएगी. ऐसे में मौजूदा बजट का एक और दस्तावेज़, जिस पर सबकी नज़रें रहेंगी, वो होगा मध्य-कालिक राजस्व नीति और राजस्व नीति रणनीति बयान.

इस बयान में अगले तीन वर्षों के लिए, वित्तीय घाटे का प्रक्षेप-पथ निर्दिष्ट किया जाता है और पहले के तय किए गए लक्ष्यों को हासिल न कर पाने के कारणों की व्याख्या की जाती है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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