नई दिल्ली: मोदी सरकार का आखिरी बजट शुक्रवार को पेश किया जाएगा, जिसका बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है सिर्फ इसलिए नहीं क्योंकि यह बजट आम चुनाव से एक महीने पहले आ रहा है बल्कि इसलिए भी क्योंकि यह अर्थव्यवस्था की भारी मंदी के बीच आ रहा है. बाजार और रेटिंग एजेंसियां वित्त मंत्री पीयूष गोयल पर पैनी नजर रखेंगी कि वह यह देखना चाहेगी कि राजकोषीय घाटे को वह कैसे पूरा करेगी.
बाजार को उम्मीद है कि पीयूष गोयल सुस्त पड़ी कृषि, सूक्ष्म, खुदरा, लघु और मध्यम उद्यमों को बूस्ट करने और बढ़ावा देने के लिए तत्काल कोई जबरदस्त घोषणा कर सकते हैं. क्योंकि सभी रोजगार पैदा करने वाले महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं. जानकारों का कहना है कि अप्रत्यक्षकर संग्रह और विनिवेश में असफलता के बाद पीयूष गोयल के लिए 3.3 फीसदी के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करना कठिन होगा.
हालांकि नीति निर्धारकों का यह मानना है कि बजट में या तो गोयल टार्गेट को पूरा करने की कोशिश करेंगे या फिर उसके बहुत निकट तक पहुंचने की कोशिश करेंगे. इसके लिए 2018-19 का जितना बजट निर्धारित किया गया है उससे अधिक बाजार से पैसा उठाया जा सकता है. इस मामले में विशेषज्ञ भी बहुत निश्चित नहीं हैं.
लक्ष्य को पूरा करना
जेपी मॉरगन की रिपोर्ट जिसे भारतीय अर्थशास्त्री जेड चिनॉय और तोशी जैन ने लिखा है, बताया कि पिछले साल वित्तीय घाटे के लक्ष्य को मामूली रूप से छुआ था, जबकि पिछले सप्ताह बांड और करेंसी बाजार में पिछलेदिनों कुछ नर्वसनेस भी दिखी थी. उनका कहना है कि नीति निर्माता इसबार राजकोषीय लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश करेंगे. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अपनी रिपोर्ट में बुधवार को कहा कि राजकोषीय घाटे की संख्या सिर्फ ऑप्टिकल हो सकती है.
एसबीआई रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा मानना है कि सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश करेगी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अप्रत्यक्ष कर संग्रह और विनिवेश प्राप्तियां राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से बहुत नीचे हैं.
इस वित्तीय वर्ष में विनिवेश का लक्ष्य करीब 80,000 करोड़ का था. लेकिन दिसंबर 2018 तक यह महज 34,142.35 करोड़ तक ही पहुंच पाया. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने इस राजकोषीय घाटे को 3.5 फीसदी आंका है.
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली जो इनदिनों ईलाज के लिए अमेरिका में हैं का कहना है कि सरकार ने चालू वर्ष में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा था वह उसी के अंदर रहेगी. आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष गर्ग का भी कहना है कि सरकार अपना लक्ष्य पूरा कर लेगी. सूत्रों का कहना है कि अपने खर्चों को कम करने के लिए सरकार आगामी वर्षों में खाद्य और फर्टीलाइजर की दरों को रिवाइज करते हुए सब्जीडाइज करेगी.सरकार नेशनल स्मॉल सेविंग फंड को भी अपने वित्तीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक ऑप्शन के रूप में देख रही है.
सेंट्रल स्टैटिक्स ऑफिस के अनुसार चालू वित्त वर्ष के लिए 7.2 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान भी वित्त मंत्री के लिए चिंता का कारण होगा. सीएसओ डाटा के अनुसार अप्रैल-सितंबर की अवधि में 7.6 प्रतिशत की विकास दर के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था 2018-19 की दूसरी छमाही में 6.8 प्रतिशत की धीमी गति से बढ़ेगी.
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