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Thursday, 25 April, 2024
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अडाणी ग्रुप के भारी-भरकम ऋण के बावजूद, भारतीय बैंकों के लिए तुलनात्मक रूप से कम है जोखिम

ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए का अनुमान है कि अडाणी ग्रुप के कुल कर्ज में भारतीय बैंक ऋण का हिस्सा 33-38% है. ग्रुप की टॉप 5 कंपनियों में से केवल 3 के पास बैंक ऋण का अपेक्षाकृत उच्च हिस्सा है.

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नई दिल्ली: अडाणी ग्रुप की टॉप पांच कंपनियों का कुल कर्ज पिछले वर्ष मार्च 2022 को दोगुना हो गया. ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए ने एक रिपोर्ट में कहा कि आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि भारतीय बैंकों का ऋण इस ऋण से 40 प्रतिशत कम है. इससे  यह पता चलता है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली किसी भी संभावित नकारात्मक जोखिम से अपेक्षाकृत सुरक्षित है.

सीएलएसए की रिपोर्ट के अनुसार, ‘बैंक ऋण (टर्म लोन, वर्किंग कैपिटल और अन्य सुविधाएं) कुल ऋण का सिर्फ 38 प्रतिशत है, जबकि बांड/कॉमर्शियल पेपर्स का हिस्सा 37 प्रतिशत है, 11 प्रतिशत वित्तीय संस्थानों से उधार लेते हैं और बाकी 12-13 फीसदी इंटर-ग्रुप लेंडिंग है.’

निरपेक्ष आधार पर, सीएलएसए का अनुमान है कि अडानी ग्रुप का बैंक ऋण वित्त वर्ष 22 में 2 लाख करोड़ रुपये के 70,000-80,000 करोड़ रुपये का है.

एक इन्वेस्टमेंट फर्म, हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में कॉर्पोरेट मालप्रैक्टिस, स्टॉक मूल्य में हेरफेर और बहुत अधिक ऋण का आरोप लगाए जाने के बाद अडाणी ग्रुप को पिछले कुछ दिनों में गहन जांच का सामना करना पड़ा है.

मंगलवार को रिपोर्ट जारी होने के बाद, अडाणी की सात सूचीबद्ध समूह कंपनियों के शेयरों में बुधवार को भारत के मार्केट कैपिटलाइजेशन में $10.73 बिलियन का नुकसान हुआ और गणतंत्र दिवस के कारण पिछले दिन बाजार की छुट्टी के बाद शुक्रवार को उसमें गिरावट बढ़ गई.

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साथ ही, अडाणी ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि यह ‘गलत आरोप’ है और यह अडाणी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) का मूल्य कम करने के लिए जानबूझकर ऐसे समय पर यह सब किया गया है.

कंपनी ने हिंडनबर्ग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है, जिसका रिसर्च एजेंसी ने यह कहते हुए जवाब दिया कि वह अपने रिसर्च पर कायम है और एक कानूनी प्रक्रिया के जरिए वे दस्तावेज सामने आएंगे जिससे उसकी बात सिद्ध हो जाएगी.

सीएलएसए ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘हमने अडाणी ग्रुप के टॉप-5 कंपनियों – अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी पोर्ट्स, अडाणी पावर, अडाणी ग्रीन और अडाणी ट्रांसमिशन – के कुल लोन को जोड़ा है.’ ‘यह मानते हुए कि ग्रुप ऋण में डबल काउंटिंग होने की संभावना होती है ऐसे में हम इन कंपनियों के लिए 2.1 ट्रिलियन (लाख करोड़) रुपये के संयुक्त ऋण की गणना करते हैं; इंटर-ग्रुप लेंडिंग को छोड़कर, कर्ज 1.9 ट्रिलियन (लाख करोड़) रुपये है.’

इस बीच, कांग्रेस पार्टी भी मैदान में उतर गई है और पार्टी नेता जयराम रमेश ने एक बयान जारी किया.

रमेश ने कहा, ‘सरकारी बैंकों ने अडाणी ग्रुप को निजी बैंकों की तुलना में दोगुना ऋण दिया है, जिसमें से 40 प्रतिशत ऋण एसबीआई द्वारा दिया गया है.’

उन्होंने आगे कहा ‘इस गैर-जिम्मेदाराना कदम ने करोड़ों भारतीयों के पैसे को रिस्क में डाल दिया है जो उन्होंने एसबीआई और एलआईसी में लगाए हैं. अगर, जैसा कि आरोप लगाया गया है, अडाणी ग्रुप ने हेरफेर के माध्यम से अपने स्टॉक की कीमत को आर्टिफिशियल तरीके से बढ़ा दिया है, और फिर उन शेयरों को प्लेज (Pledge) करके धन जुटाया है, तो एसबीआई जैसे बैंकों को उन शेयरों की कीमतों में गिरावट की स्थिति में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट जारी होने के एक दिन बाद, अरबपति निवेशक बिल एकमैन ने कहा कि उन्होंने रिसर्च रिपोर्ट को ‘अत्यधिक विश्वसनीय और बेहद अच्छी तरह से रिसर्च किया हुआ’ पाया है.


यह भी पढ़ें: ‘आप सीरियस हैं तो US कोर्ट में आइए’, शेयरों में गड़बड़ी के आरोप के बाद अडाणी हिंडनबर्ग आमने सामने


भारतीय बैंकों के लिए कम जोखिम

सीएलएसए डेटा से पता चलता है कि पिछले तीन वर्षों में ग्रुप के कुल ऋण में भारतीय बैंक के ऋण का हिस्सा घटा है.

सीएलएसए ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि भारतीय बैंकों ने केवल 150 बिलियन रुपये या पिछले तीन वर्षों में ग्रुप की कंपनियों द्वारा उधार लिए गए 1 ट्रिलियन रुपये का 15 प्रतिशत उधार दिया है. और सीमेंट जैसे बड़े बिजनेस ने सारा ऋण विदेशी बैंकों से लिया है.’

अडाणी ग्रुप का लगभग 25-30 प्रतिशत कर्ज सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से आता है, और 10 प्रतिशत से कम निजी बैंकों से आता है.

ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने भी इसी तरह का आकलन किया है, जिसमें कहा गया है कि अडाणी कंपनियों द्वारा किसी भी संभावित ओवर-लीवरेजिंग के कारण भारतीय बैंक जोखिम से अपेक्षाकृत अछूते हैं.

जेफरीज ने कहा, ‘हाल की चिंताओं के बाद, अडाणी ग्रुप ने डेबिट और लीवरेज लेवल का विवरण साझा किया है. कुल ऋण ₹1.6 ट्रिलियन (शेयरधारक सब-डेट को छोड़कर) पर है और ऋण/एबिटडा वित्त वर्ष 2016 में 4.3 गुना से घटकर वित्त वर्ष 22 में 3.2 गुना हो गया है.’

दूसरे शब्दों में, जेफरीज का कहना है कि अडाणी ग्रुप का अपनी कंपनियों के बाहर के स्रोतों से कर्ज 1.6 लाख करोड़ रुपये है, लेकिन उसकी कमाई के अनुपात में उसका कर्ज गिर गया है, 2015-16 में उसकी कमाई का 4.3 गुना से 2021-22 में उसकी कमाई का 3.2 गुना हो गया है.

ब्रोकरेज का कहना है कि सीमेंट कारोबार के अधिग्रहण से कर्ज में 60,000 करोड़ रुपये जुड़ सकते हैं, साथ ही इस नए कारोबार से समूह के नकदी प्रवाह में भी सुधार होगा.

जेफ़रीज़ ने आगे कहा, ‘बॉरोइंग-मिक्स के डाइवर्सिफिकेशन ने भारतीय बैंकों के हिस्से को ऋण को 33 प्रतिशत और सेक्टर लोन्स को 0.5 प्रतिशत तक घटा दिया है, बाकी बांड/विदेशी बैंकों के साथ है. हमें लगता है कि इसमें प्रगति होगी और बैंकों का जोखिम काफी कम है.’

कंपनियों में भिन्नता

अडाणी ग्रुप से जुड़ी इस पूरी बहस में समूह की फाइनेंसियल रिस्क को समग्र रूप में देखा गया है, जबकि व्यक्तिगत कंपनियों के एक अधिक विस्तृत विश्लेषण से, जहां भी संभव हो, पता चलता है कि उनकी ऋण स्थिति एक दूसरे से काफी अलग हैं.

उदाहरण के लिए, सीएलएसए द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि अडाणी ग्रुप की टॉप पांच कंपनियों में से केवल तीन – अडाणी पावर (67.6 प्रतिशत), अडाणी ग्रीन (43.3 प्रतिशत), और अडाणी एंटरप्राइजेज (43.7 प्रतिशत) – में बैंक ऋण का हिस्सा अपेक्षाकृत ज्यादा था.

अन्य दो कंपनियों – अडाणी पोर्ट्स और अडाणी ट्रांसमिशन – का केवल 11.6 प्रतिशत और 17.2 प्रतिशत कर्ज बैंकों से आ रहा था. इसके बजाय, इन कंपनियों ने फंड जुटाने के लिए बॉन्ड पर भरोसा किया है.

अडाणी पोर्ट्स ने अपने बकाया कर्ज का 88 प्रतिशत बॉन्ड से जुटाया है, जिनमें से अधिकांश विदेशी मुद्रा में हैं. इसी तरह, अडाणी ट्रांसमिशन का 66.7 प्रतिशत कर्ज बांड के रूप में है, जिनमें से अधिकांश विदेशी मुद्रा में हैं.

रिपोर्ट पर अडाणी की प्रतिक्रिया

अडाणी ग्रुप के मुख्य वित्तीय अधिकारी जुगेशिंदर सिंह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के तुरंत बाद बुधवार को एक बयान में कहा, ‘हम हैरान हैं कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने हमसे संपर्क करने या तथ्यात्मक मैट्रिक्स को सत्यापित करने का कोई प्रयास किए बिना 24 जनवरी 2023 को एक रिपोर्ट प्रकाशित की है.’

सिंह ने कहा, ‘रिपोर्ट चुनिंदा गलत सूचनाओं और पुरानी, निराधार और बदनाम करने वाले आरोपों पर आधारित है, जिसे भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच करके खारिज कर दिया गया है.’

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट का प्रकाशन ‘अडाणी एंटरप्राइजेज को नुकसान पहुंचाने के मुख्य उद्देश्य के साथ, स्पष्ट रूप से अडाणी ग्रुप की प्रतिष्ठा को कमजोर करने के लिए एक गलत इरादे को दर्शाता है.

अडाणी ग्रुप के ग्रुप हेड-लीगल जतिन जलुंधवाला ने बयान में कहा, ‘हम हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ उपचारात्मक और दंडात्मक कार्रवाई के लिए अमेरिकी और भारतीय कानूनों के तहत प्रासंगिक प्रावधानों का मूल्यांकन कर रहे हैं.’

हिंडनबर्ग अपनी रिपोर्ट पर अड़ा 

हिंडनबर्ग रिसर्च ने गुरुवार को अपने बयान में कहा, ‘हमारी रिपोर्ट जारी होने के 36 घंटों में, अडाणी ने हमारे द्वारा उठाए गए एक भी महत्वपूर्ण मुद्दे का जवाब देने की कोशिश नहीं की है. हमारी रिपोर्ट के निष्कर्ष पर, हमने 88 सीधे प्रश्न पूछे जो हमें विश्वास है कि कंपनी को इस बात का मौका देते हैं कि वह और भी पारदर्शी तरीके से उभर कर सामने आए लेकिन अब तक, अडाणी ने इनमें से किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया है.’

‘आज मीडिया को दिए एक बयान में, अडाणी ने हमारी 106 पेज, 32,000-शब्द, 720 से अधिक उद्धरणों के साथ और 2 वर्षों में तैयार की गई की रिपोर्ट को ‘अनरिसर्च्ड’ के रूप में संदर्भित किया और कहा कि यह हमारे खिलाफ उपचारात्मक और दंडात्मक कार्रवाई के लिए अमेरिकी और भारतीय कानूनों के तहत प्रासंगिक प्रावधानों का मूल्यांकन कर रहे हैं.’

रिसर्च कंपनी ने कहा कि वह अडाणी की कानूनी कार्रवाई का ‘स्वागत’ करेंगे और वह अपनी रिपोर्ट के निष्कर्षों पर पूरी तरह अड़ी है और मानती है कि उसके खिलाफ की गई कोई भी कानूनी कार्रवाई बेकार साबित होगी.

हिंडनबर्ग ने कहा, ‘अगर अडाणी गंभीर हैं, तो उसे अमेरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए, जहां हम काम करते हैं. हमारे पास कानूनी खोज प्रक्रिया में मांगे जाने वाले दस्तावेजों की एक लंबी सूची है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: अलमिना खातून)


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