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Sunday, 3 November, 2024
होमदेशअर्थजगतअप्रैल और मई के बाद कोरोना संकट के बीच जून में जीएसटी कलेक्शन बढ़कर 90,917 करोड़ रुपए हुआ

अप्रैल और मई के बाद कोरोना संकट के बीच जून में जीएसटी कलेक्शन बढ़कर 90,917 करोड़ रुपए हुआ

सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा में राहत दी है. जून 2020 के दौरान अप्रैल, मार्च और यहां तक कि फरवरी के रिटर्न भी दाखिल किए गए.

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नई दिल्ली: सरकार ने जून में जीएसटी से 90,917 करोड़ रुपये एकत्र किए. ये आंकड़ा मई में 62,009 करोड़ रुपये और अप्रैल में 32,294 करोड़ रुपये था. कोरोना संकट के बीच जब आर्थिक लगभग ठप सी हैं ऐसे यह बढ़ोतरी सरकार को खुश करने वाली हो सकती है

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, ‘जून, 2020 में एकत्र सकल जीएसटी राजस्व 90,917 करोड़ रुपये है, जिसमें सीजीएसटी 18,980 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 23,970 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 40,302 करोड़ रुपये (माल के आयात पर जमा किए गए 15,709 करोड़ रुपये सहित) और उपकर 7,665 करोड़ रुपये हैं.’

सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा में राहत दी है. जून 2020 के दौरान अप्रैल, मार्च और यहां तक कि फरवरी के रिटर्न भी दाखिल किए गए.

वहीं कोरोना संकट यह बढ़ोतरी अर्थव्यवस्था के लिए खुशखबरी है. अनलॉक 2 तक जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था को खोला जा रहा है वैसे-वैसे इममें सुधार दिखा रहा लेकिन यह अब भी कम है. इस संकट में आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप हैं.

विनिर्माण क्षेत्र में मंदी से कुछ राहत, क्षेत्रीय लॉकडाउन से बाधित हुई मांग: पीएमआई

एक मासिक सर्वेक्षण के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में जून में कुछ स्थायित्व आया, लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर लॉकडाउन बढ़ाने के कारण कारोबार की स्थिति बिगड़ी रही.

आईएचएस मार्किट इंडिया विनिर्माण परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) जून में 47.2 पर रहा. यह सूचकांक मई में 30.8 था.

सर्वेक्षण के मुताबिक सुधार के बावजूद भारत में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां जून में लगातार तीसरे महीने कम हुईं.

पीएमआई के 50 से ऊपर रहने का अर्थ है कि गतिविधियों में विस्तार हो रहा है, जबकि 50 से कम अंक संकुचन को दर्शाता है.

आईएचएस मार्किट के अर्थशास्त्री इलियट केर ने कहा कि भारत का विनिर्माण क्षेत्र जून में स्थिरीकरण की ओर बढ़ा, हालांकि क्षेत्रीय स्तर पर लॉकडाउन को बढ़ाने से मांग में कमी देखी गई.

सर्वेक्षण के मुताबिक मांग में लगातार गिरावट के कारण जून में रोजगार में और कमी हुई.

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