नई दिल्ली : भारतीय अर्थव्यवस्था को एक बार फिर जोरदार झटका लगा है. 2019-20 चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की विकास दर 4.5 फीसदी रही है. भारतीय रिजर्व बैंक ने ये आंकड़ा जारी किया है. आंकड़ें जारी होने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास से मुलाकात की.
मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यण ने जीडीपी के आंकड़ों पर कहा, ‘हम पहले से ही कहते आए हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार लगातार मज़बूत बना हुआ है. तीसरी तिमाही में इसके मज़बूत होने की संभावना है.’
Government of India: Quarter 2 Gross Domestic Product (GDP) showing a growth rate of 4.5% https://t.co/ysSTQ3rZAH
— ANI (@ANI) November 29, 2019
अतंरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अपने अनुमान में कहा था कि इस वित्तीय वर्ष में जीडीपी दर में गिरावट देखने को मिल सकती है. आरबीआई द्वारा जारी किए गए दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़ें इसी दिशा में संकेत देते हुए दिख रहे हैं.
पिछले सात सालों में भारतीय जीडीपी अपने सबसे निचले स्तर पर है. कुछ दिनों पहले आई रिपोर्टों से पता चलता है कि देश में लोगों के उपभोग करने की क्षमता में भी गिरावट आई है. इस पर सरकार ने कहा था कि आंकड़ों में गड़बड़ी के कारण हम इसे जारी नहीं कर रहे हैं.
देश के आठ कोर सेक्टर की स्थिति भी काफी खराब है. जारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर महीने में इन कोर सेक्टरों में एक बार फिर बड़ी गिरावट देखने को मिली है. सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक एक साल पहले के मुकाबले कोर सेक्टर में 5.8 फीसदी की कमी आई है. बता दें कि कोर सेक्टर के 8 प्रमुख उद्योग में कोयला, क्रूड, ऑयल, नेचुरल गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, फर्टिलाइजर्स, स्टील, सीमेंट और इलेक्ट्रिसिटी आते हैं. इनकी भारत के कुल इंडस्ट्रियल आउटपुट (औद्योगिक उत्पादन) में करीब 40 फीसदी हिस्सेदारी होती है.
विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन से दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत रही आर्थिक वृद्धि दर
देश में विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट और कृषि क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर रह गयी.
एक साल पहले 2018-19 की इसी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत थी. वहीं चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा शुक्रवार को जारी जीडीपी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 की जुलाई-सितंबर के दौरान स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी 35.99 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल इसी अवधि में 34.43 लाख करोड़ रुपये था. इस प्रकार, दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रही.
आलोच्य तिमाही में कृषि, वानिकी और मत्स्यन पालन क्षेत्र में 2.1 प्रतिशत और खनन और उत्खनन में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी. वहीं विनिर्माण क्षेत्र में इस दौरान 1 प्रतिशत की गिरावट रही.
इन तीनों समूह के खराब प्रदर्शन के कारण आर्थिक वृद्धि दर कमजोर रही.
इसके अलावा बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगकी सेवाओं के क्षेत्र में चालू वित्त वर्ष जुलाई-सितंबर तिमाही में 3.6 प्रतिशत और निर्माण क्षेत्र में 3.3 प्रतिशत वृद्धि रहने का अनुमान लगाया गया है.
आलोच्य तिमाही में सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) 4.3 प्रतिशत रहा. जबकि एक साल पहले 2018-19 की इसी तिमाही में यह 6.9 प्रतिशत थी.
जीडीपी आंकड़े आने से पहले सेंसेक्स 336 अंक लुढ़का
शेयर बाजारों में पिछले दो दिनों से जारी तेजी पर शुक्रवार को विराम लग गया और बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 336 अंक लुढ़क कर बंद हुआ. जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि आंकड़े आने से पहले निवेशक सतर्क दिखें.
तीस शेयरों वाला सेंसेक्स कारोबार के दौरान 466 अंक तक लुढ़क गया. हालांकि बाद में कुछ सुधार हुआ और अंत में यह 336.36 अंक यानी 0.82 प्रतिशत टूटकर 40,793.81 अंक पर बंद हुआ.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 95.10 अंक यानी 0.78 प्रतिशत की गिरावट के साथ 12,056.05 अंक पर बंद हुआ.
सेंसेक्स के शेयरों में येस बैंक को सर्वाधिक नुकसान हुआ. बैंक का शेयर 2.50 प्रतिशत नीचे आया. उसके बाद क्रमश: एचयूएल (2.37 प्रतिशत), महिंद्रा एंड महिंद्रा (2.12 प्रतिशत), एसबीआई (2.03 प्रतिशत), टाटा मोटर्स (2.03 प्रतिशत) तथा वेदांता (1.97 प्रतिशत) का स्थान रहा.
वहीं दूसरी तरफ भारती एयरटेल, एचडीएफसी बैंक तथा एनटीपीसी लाभ में रहे.
क्या होता है जीडीपी आंकड़ा
किसी भी देश की आर्थिक सेहत कि स्थिति को मापने का पैमाना होता है जीडीपी. जीडीपी आंकड़ों की गणना भारत में हर तीसरे महीने यानी तिमाही के आधार पर होती है. ये आंकड़े आठ औद्योगिक क्षेत्रों- कृषि, खनन, मैन्युफैक्चरिंग, बिजली, कंस्ट्रक्शन, व्यापार, रक्षा और अन्य सेवाओं के क्षेत्र के होते हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
Call Raghuram , Urjit, Banerji , Manmohan or Modi himself or his most favourite economist let them sit together, discusse about the solution about to upgrade the economy from its down grade level.