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Monday, 23 December, 2024
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‘लोगों की सद्भावना अर्जित करें’- दिल्ली के पूर्व LG तेजेंद्र खन्ना ने अपनी नई किताब में UPSC के उम्मीदवारों को दी सलाह

खन्ना नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में अपनी पुस्तक 'एन इंटेंट टू सर्व - ए सिविल सर्वेंट रिमेंबर्स' के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे.

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नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल (एल-जी) और रिटायर्ड आईएएस अधिकारी तेजेंद्र खन्ना ने गुरुवार को कहा कि सिविल सेवकों का आकलन उनकी ईमानदारी, शिष्टाचार और उनमें निहित अधिकार के कुशलतापूर्वक उपयोग के आधार पर किया जाना चाहिए.

खन्ना नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘हार्पर कॉलिन्स इंडिया’ द्वारा प्रकाशित अपनी नई पुस्तक ‘एन इंटेंट टू सर्व – ए सिविल सर्वेंट रिमेंबर्स’ के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे.

इस अवसर पर एक पैनल डिस्कशन का भी आयोजन किया गया था. इसे दिप्रिंट के प्रधान संपादक शेखर गुप्ता द्वारा लेखक, पुड्डूचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी और दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार के बीच संचालित किया गया था.

इस किताब को लिखने के मकसद पर चर्चा करते हुए खन्ना ने कहा कि वह सिविल सेवा में शामिल होने के लिए इच्छुक उम्मीदवारों के साथ अपने सफर को साझा करना चाहते हैं और उन्हें बताना चाहते हैं कि ‘ऊंची श्रेणी के वरिष्ठ अधिकारियों’ को खुश करने के लिए समझौते करने के बजाय आम लोगों की सद्भावना अर्जित करना अधिक महत्वपूर्ण है.

खन्ना ने कहा, ‘किसी भी धर्म की मूल विशेषता प्रेम ही है. इसलिए, धार्मिक व्यक्ति होने का दावा करने वाले किसी भी शख्स को अपने साथी नागरिकों के प्रति प्रेम की भावना से कार्य करना चाहिए. अगर हमारे सिविल सेवक इस दृष्टिकोण से प्रेरित हैं, तो वे सभी के साथ सम्मान, ईमानदारी और किसी भी न्यायोचित मकसद में मदद की भावना के साथ व्यवहार करने के लिए तत्पर होंगें.‘

उन्होंने आगे कहा, ‘सिविल सेवकों को नियुक्त होने या अपने कार्यालय में बने रहने के लिए वोट मांगने की ज़रूरत नहीं होती है. जिन लोगों को चुने हुए पदों पर काबिज होने के लिए ऐसे वोटों की आवश्यकता होती है, वे अपने समर्थन आधारों का समर्थन देना या पालना-पोसना चाह सकते हैं. मगर, सिविल सेवकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार कर रहे हैं.’

खन्ना ने यह भी कहा कि उन्होंने अतीत में एक एक्जिट पोल प्रणाली का सुझाव दिया था जो नागरिकों को उनके शिकायत के निवारण के दौरान तीन मानदंडों – ईमानदारी, शिष्टाचार और निहित अधिकार के कुशल उपयोग के आधार पर अधिकारियों का आकलन करने में सक्षम बनाएगी.

उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों और एजेंसियों को भी लोगों के प्रति उनकी मित्रता की मात्रा के आधार पर आंका जा सकता है. उन्होंने आगे कहा, ‘आसान पहुंच बनाए रखना, लोगों को पूरे धैर्य और सम्मान के साथ सुनना और उनकी समस्या को हल करने के लिए जो सबसे अच्छा किया जा सकता है वह सब करना, सरकारी कार्यालयों के बारे में लोगों की धारणा में अनुकूल बदलाव लाने में काफी हद तक सहायता कर सकता है.‘


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चुनौतीपूर्ण करियर

पूर्व उपराज्यपाल का परिचय देते हुए, शेखर गुप्ता ने कहा कि इस मौके पर एक ‘फुल हाउस’ (लोगों की शत-प्रतिशत उपस्थिति) इस बात का साक्षी है कि खन्ना ने कई लोगों के वन को सम्मान और दयालुता के साथ स्पर्श किया है.

गुप्ता ने कहा, ‘उन्होंने (खन्ना) अपने करियर में हर वह पद संभाला है, जो धारण करने लायक था और वह भी हमेशा सबसे आसान समय पर नहीं. साल 1981 से 1995 के बीच – 15 वर्षों के लिए – वे भारत में सबसे कठिन कैडर यानी कि पंजाब कैडर में थे. वह कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान दिल्ली के एलजी भी थे.’

गुप्ता ने कहा, ‘सिविल सेवकों को अपने जीवन और करियर में कई तरह के हालात से गुजरना पड़ता है. सिविल सेवकों का संस्मरण लिखना बहुत महत्वपूर्ण है. यह एक ऐसी परंपरा थी जिसे हमने अंग्रेजों से उधार ली थी.  कुछ समय के लिए यह ख़त्म सी हो गई थी लेकिन अब यह फिर से वापसी कर रही है.’

इस बीच, दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त नीरज कुमार ने कहा कि उन्हें खन्ना के साथ दो बार काम करने का सौभाग्य मिला. कुमार ने खास तौर पर से उस समयकाल के बारे में बातें की जब उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान खन्ना के साथ काम किया था.

कुमार ने कहा, ‘दिल्ली में डेरा डाले हुए सभी पुलिस संगठनों और उनके प्रतिनिधियों के सामने मैं ही दिल्ली पुलिस का चेहरा था. जब वे हर तरह से गलतियां निकलने की कोशिश कर रहे थे तो उन्हें दूर रखना काफी मुश्किल अनुभव था. लेकिन उनके (खन्ना के) मार्गदर्शन में सब कुछ काफी कुशलता से संभाला गया.’

पूर्व पुलिस प्रमुख ने 2012 के दिल्ली में हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या, जब पूरे शहर में विरोध प्रदर्शन हुए थे, के बाद खन्ना के साथ काम करने के अपने अनुभव को भी साझा किया .

कुमार ने कहा, ‘वह ‘निर्भया’ संकट के दौरान मेरे साथ खड़े रहे. इस भयावह घटना से लोगों में आक्रोश फैल गया था और यह उचित भी था. उन्होंने अमेरिका में अपनी छुट्टी रद्द कर दिल्ली लौट आए और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई. यह पूछे जाने पर कि क्या मुझे बर्खास्त कर दिया जाएगा, खन्ना ने कहा कि वह ऐसे नहीं करेंगे और उन्होंने मुझ पर पूरा भरोसा दिखाया.’


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किरण बेदी ने भी खन्ना के प्रति आभार जताया.

उन्होंने उपस्थित दर्शकों को बताया, ‘जब मैं खन्ना के साथ उनके दिल्ली उपराज्यपाल कार्यालय में काम कर रही थी तो मुझे बिल्कूल नहीं पता था कि मुझे जाने-अनजाने में भविष्य के एक कार्य (पुडुचेरी के उपराज्यपाल के रूप में) के लिए तैयार किया जा रहा है. हमने उपराज्यपाल कार्यालय में एक शिकायत निवारण प्रणाली को सफलतापूर्वक स्थापित किया, जो उस समय तक किसी भी अन्य उपराज्यपाल के कार्यालय में नहीं किया गया था. उपराज्यपाल कार्यालय में आने वाले हर फोन कॉल और पत्र का जवाब दिया जाता था.’

अपने सबसे चुनौतीपूर्ण अनुभव के बारे में बात करते हुए खन्ना ने कहा, ‘निश्चित रूप से मेरे लिए सबसे पंजाब चुनौतीपूर्ण कार्य था क्योंकि उस समय राज्य में बहुत अधिक हिंसा हो रही थी. शाम सात बजे के बाद सभी लोग सड़कों से नदारद हो जाते थे. जब चुनाव की घोषणा की गई तो हमें पहले से ही काफी तैयारी करनी पड़ी थी.’

उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल के रूप में उनका कार्यभार भी काफी लाभपूर्ण रहा था क्योंकि इस दौरान उन्हें जमीन पर कई लोगों के साथ बातचीत करने का मौका मिला.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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