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Thursday, 19 December, 2024
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सरकेगुड़ा मुठभेड़ में 17 आदिवासियों की मौत के जिम्मेदारों के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार जल्द करेगी कार्यवाई

गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने माना कि जांच रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा उनको भेज दी गई है लेकिन राज्य में चल रहे स्थानीय निकाय चुनावों में व्यस्तता के कारण उन्होंने इस रिपोर्ट को अभी तक देखा नहीं है.

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रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार जल्द ही सरकेगुड़ा फर्जी नक्सली मुठभेड़ में मारे गए 17 आदिवासियों के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारी और अन्य के खिलाफ जल्द ही कार्यवाई करेगी. करीब साढ़े सात साल पहले हुए इस फर्जी मुठभेड़ की जांच रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा अपनी कार्यवाई के बाद राज्य के गृह मंत्रालय को भेज दी गयी है. प्रदेश के गृह मंत्री ने यह साफ-साफ कहा है कि आदिवासियों की मौत के जिम्मेदारों को बख्शा नहीं जाएगा और राज्य सरकार उनके खिलाफ कार्यवाई जल्द शुरू करेगी.

दिप्रिंट से बात करते हुए गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने माना कि जांच रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा उनको भेज दी गई है लेकिन राज्य में चल रहे स्थानीय निकाय चुनावों में व्यस्तता के कारण उन्होंने इस रिपोर्ट को अभी तक देखा नहीं है. साहू ने बताया, ‘चुनावी प्रक्रिया के बाद वे स्वयं इस रिपोर्ट को विधि विभाग के साथ मिलकर परीक्षण करेंगे और फिर जल्द ही दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी.’

गृहमंत्री ने यह साफ किया कि किसी भी दोषी अधिकारी चाहे वह कितना ही बड़ा क्यों ना हो को बख्शा नहीं जाएगा.

गौरतलब है कि 28 जून 2012 में हुए इस मुठभेड़ में 17 बेकसूर आदिवासी बस्तर संभाग के बीजापुर जिले के सरकेगुड़ा क्षेत्र में मारे गए थे. घटना की जांच एक सदस्यीय जस्टिस वीके अग्रवाल न्यायिक जांच आयोग द्वारा करीब डेढ़ माह पहले राज्य सरकार को प्रेषित कर दिया गया था.

रिपोर्ट में पुलिस का यह दावा कि मारे गए आदिवासी नक्सली थे झूठा साबित हुआ. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि पुलिस अपनी दलीलों के साक्ष्य मुहैया कराने में नाकामयाब रही है. अग्रवाल आयोग की रिपोर्ट में यह खुलासा भी हुआ की मारे गए नक्सली शांतिपूर्ण बैठक कर रहे थे और सीआरपीएफ एवं अन्य सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम ने उन पर एक तरफा हमला किया था. न्यायिक आयोग के मुताबिक यह मुठभेड़ फर्जी थी.

ज्ञात हो कि मारे गए 17 आदिवासियों में 6 नाबालिग थे जस्टिस अग्रवाल जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कई साक्ष्यों के बयान और मेडिकल दस्तावेज शामिल किए हैं.

आयोग ने पुलिस का यह दावा की नक्सलियों की ओर से पहले फायरिंग हुई जिस के जवाब में सुरक्षा बलों ने आत्मरक्षा में फायरिंग किया को भी नकार दिया है. आयोग ने अपनी रिपोर्ट ने कहा है कि मुठभेड़ की पुलिस द्वारा की गई पहली जांच में भी खामियां थी.

आयोग ने यह साफ किया कि डीआईजी एस इलंगो व डिप्टी कमांडर मनीष जो इस ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे थे उन्होंने कोई गोली नहीं चलाई थी. आयोग के मुताबिक यदि मृतकों की तरफ से किसी प्रकार की फायरिंग की जाती तो यह दोनों पुलिस अफसर भी अपनी आत्मरक्षा में जवाबी कार्यवाई करते हुए आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस मुठभेड़ में जो सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे उनकी चोट दूर से होने वाली फायरिंग का नतीजा नहीं था बल्कि वह क्रॉस फायरिंग का ही परिणाम था.

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