नई दिल्ली : भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत ने अफगानिस्तान के अपने दूतावास में तकनीकी टीम भेजी है, जिनका काम हालात की निगरानी करना और यह देखना है कि नई दिल्ली कैसे अफगानिस्तान के लोगों की मदद कर सकता है.
मोदी सरकार के 9 साल पूरा होने पर एक प्रेसवार्ता में जयशंकर ने कहा अभी अफगानिस्तान पर राजनीति के बजाय हम वहां के लोगों की मदद करने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और उन्होंने उनके साथ ‘ऐतिहासिक जुड़ाव’ की बात की.
जयशंकर ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘हमने काबुल पर तालिबान के नियंत्रण के बाद भारतीय राजनयिकों और कर्मचारियों को वापस बुला लिया था क्योंकि हमें उनको लेकर वाजिब सुरक्षा चिंताएं थीं, और भी कई सारे देशों ने ऐसा ही किया. समय बीतने के साथ ही हमने एक तकनीकी टीम दूतावास में वापस भेजी है. उन्हें गये अभी थोड़े समय ही हुए हैं व हालात की निगरानी करने का उनका काम महत्वपूर्ण है और देखते हैं कि उनकी जरूरत के समय हम अफगानी लोगों के मदद कैसे कर सकते हैं.’
उन्होंने भारत-अफगानिस्तान के संबंधों की स्थिति और अफगानिस्तान की मौजूदा व्यवस्था के साथ किसी तरह की शुरुआत के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘मैं अभी इस देश में वैक्सीन की कमी के बारे में सोच रहा, गेहूं की कमी है, दवाओं की कमी है. अफगानिस्तान में हमारा ध्यान अभी राजनीतिक चीजों के बजाय उसकी जरूरत पर है. यह अभी अफगानिस्तान के लोगों की मदद करने पर ज्यादा है क्योंकि अफगानी वे लोग हैं जिनसे हमारा ऐतिहासिक संबंध रहा है. तालिबान ने अफगान मूवमेंट के बाद अगस्त 2021 से वहां की सत्ता पर नियंत्रण जमाया है.’
वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मार्च में कहा था, ‘अफगानिस्तान में तालिबान को मान्यता न देने को लेकर भारत का स्टैंड बदला नहीं है. मुझे नहीं लगता कि आईटीईसी (भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग) पाठ्यक्रमों की तुलना में कुछ भी पढ़ा जाना चाहिए. हम निश्चित तौर से, जो कि अंतर-सरकारी बात है, उन संस्थाओं को जिन्हें मान्यता नहीं प्राप्त है, को लेकर कोई मौखिक बात नहीं कहेंगे.’
केंद्रीय राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने पिछले साल दिसंबर में संसद को बताया था कि भारत अफगानिस्तान के साथ विकास की साझेदारी में लगा रहा है, जिसमें की 500 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स शामिल हैं.
मुरलीधरन ने कहा था, ‘भारत, अफगानिस्तान के साथ विकास के साझेदारी में शामिल रहा है, जिसमें देश के 34 प्रदेशों में, पावर सप्लाई, वाटर सप्लाई, रोड कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा, कृषि और क्षमता निर्माण समेत 500 से ज्यादा परियोजनाएं शामिल हैं. अफगानिस्तान में ज्यादातर परियोजनाएं भारत सरकार ने पूरी कर ली हैं और उन्हें सौंप दिया है.’
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