नई दिल्ली : विदेश मंत्री (ईएएम) एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा वार्ता ‘रुकी’ नहीं है व दोनों देशों ने “पिछले तीन वर्षों में तनाव वाले प्रमुख बिंदुओं पर बातचीत में प्रगति हुई है.”
आज पत्रकारों से बातचीत के दौरान, विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले तीन सालों में दोनों देशों के बीच तनाव वाले बिंदुओं को लेकर बातचीत में प्रगति हुई है. सीमा विवाद को लेकर एक और बैठक जल्दी होगी.
जयशंकर ने कहा, “भारत-चीन सीमवार्ता रुकी नहीं है, बैठक जल्द होगी.”
उन्होंने कहा कि भारत और चीन ने सीमा विवादों का बार-बार सामना किया है और ये 1962 से चला आ रहा है. ताजी झड़प 2020 में हुई थी, जब भारतीय और चीनी सैनिक गलवान घाटी में आपस में भिड़ गए थे. दोनों देशों ने सीमा मुद्दों के समाधान के लिए लगातार कई दौर की बठकें की हैं.
इस साल 23 अप्रैल को, भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 18वें दौर की बैठक चीन की तरफ मौजूद चुशुल मोल्डो सीमा को लेकर की गई. जयशंकर ने कहा कि पिछले 9 सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार, नॉर्दर्न फ्रंटियर एरिया समेत “सीमा ढांचे का उल्लेखनीय तौर से विकास कर रही है.”
जयशंकर ने कहा, “2014 के बाद चीन की तरफ से सीमा पर ढांचागत विकास, होड़ और गश्त बढ़ गई है.”
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत, असम के साथ रेलवे कनेक्टिविटी को लेकर भूटान के साथ बातचीत कर रहा है.
जयशंकर ने कहा, “भूटान और असम के बीच हम रेल लिंक को लेकर बातचीत कर रहे हैं, भूटान पर्यटकों के लिए और अधिक पॉइंट्स खोलने को लेकर बहुत उत्सुक है और यह असम के लिए बहुत अच्छा है.”
इस बीच, भूटान और चीन के बीच बातचीत को लेकर जयशंकर ने कहा, “…वे बातचीत कर रहे हैं और 24 दौर की वार्ता हो चुकी है. वे और कई दौर की बातचीत करेंगे. हमारे ऊपर प्रभाव को लेकर हम पूरा ध्यान रख रहे हैं. बातचीत में तेजी तय करना उनका काम है.”
कैलाश मानसरोवर यात्रा के बारे में बात करते हुए जयशंकर ने कहा, “कैलाश मानसरोवर-बुनियादी ढांचे का निर्माण हो रहा है, वहां एक टनल की जरूरत है, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) इस पर काम कर रहा है और योजना बना रहा है. लेकिन, पुरानी प्रक्रिया पर वापस आने को लेकर चीन की तरफ से कोई संकेत नहीं मिला है.”
कानून व व्यवस्था की स्थिति को लेकर म्यांमार त्रिपक्षीय राजमार्ग को एक ‘बड़ी चुनौती’ बताया जा रहा है, जिस पर जयशंकर ने कहा परियोजना को पूरा करने और सितवे बंदरगाह तक पहुंच के लिए, भारत को म्यांमार के अधिकारियों के साथ बातचीत में शामिल होना होगा.
जयशंकर ने कहा, “म्यांमार सीमा के हालात चुनौतीपूर्ण हैं. सितवे पोर्ट ऑपरेशन में है, और हमें उम्मीद है कि इस साल तटीय शिपिंग समझौता हो जाएगा. म्यांमार का त्रिपक्षीय राजमार्ग, कानून व व्यवस्था के लिहाज से बड़ी चुनौती है. हम चुनौतियों से निपटने के लिए म्यांमार के अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं.”
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