नई दिल्ली: बिहार सरकार ने ई-पंचायत बिहार पोर्टल की शुरुआत के साथ शासन में पारदर्शिता और दक्षता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है.
12 अक्टूबर, 2023 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा उद्घाटन की गई इस डिजिटल पहल का उद्देश्य राज्य की त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के भीतर वित्तीय प्रबंधन और योजना कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित करना है.
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी), बिहार द्वारा विकसित यह पोर्टल वित्तीय डेटा तक सीमित सार्वजनिक पहुंच और अक्षम भुगतान विधियों जैसी दीर्घकालिक चुनौतियों का समाधान करता है. मैन्युअल चेक-आधारित पेमेंट को मजबूत ऑनलाइन प्रणाली से बदलकर, यह प्लेटफॉर्म वित्तीय लेनदेन की पारदर्शिता, जवाबदेही और वास्तविक समय की निगरानी सुनिश्चित करता है.
भारत में स्थानीय स्वशासन की नींव 1992 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के साथ रखी गई थी. इन संशोधनों ने पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों को स्वायत्त संस्थाओं के रूप में सशक्त बनाया, राज्यों को एक राज्य चुनाव आयोग, एक जिला योजना समिति और एक राज्य वित्त आयोग स्थापित करने का आदेश दिया.
बिहार में, 2019 में नवीन कुमार की अध्यक्षता में छठे राज्य वित्त आयोग (SFC) का गठन किया गया था. आयोग ने अप्रैल 2021 में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी. समीक्षा के बाद, राज्य सरकार ने संकल्प संख्या 5164, दिनांक 13 अगस्त, 2021 के माध्यम से वित्तीय वर्ष 2021-2025 के लिए छठे एसएफसी की सिफारिशों को लागू करने का निर्णय लिया.
2021 से 2025 तक लागू की गई इसकी सिफारिशों ने फंड के उपयोग में पारदर्शिता पर जोर दिया. ई-पंचायत बिहार पोर्टल इन प्रयासों का प्रत्यक्ष परिणाम है.
मुख्य विशेषताएं और उद्देश्य
पोर्टल पांचवें और छठे एसएफसी और राज्य-स्तरीय योजनाओं से पैसे के कुशल उपयोग की सुविधा प्रदान करता है.
योजना और विक्रेता प्रबंधन: योजनाओं और विक्रेताओं का पंजीकरण, निविदा अनुमोदन और भौतिक प्रगति की निगरानी.
जियो-टैगिंग और निरीक्षण: मोबाइल-आधारित निरीक्षण और परिसंपत्तियों की जियो-टैगिंग योजना कार्यान्वयन में सटीकता सुनिश्चित करती है.
डिजिटल पेमेंट: दुकानदारों, मजदूरों और लाभार्थियों को भुगतान डिजिटल हस्ताक्षरों का उपयोग करके संसाधित किया जाता है, जिससे स्पीड और सिक्योरिटी सुनिश्चित होती है.
सार्वजनिक पहुंच: नागरिक विकास परियोजनाओं की प्रगति और व्यय को ट्रैक कर सकते हैं, जिससे पारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है.
शिकायत निवारण: एक समर्पित प्रणाली भुगतान और खर्च से संबंधित मुद्दों को संबोधित करती है.
एसएमएस और ईमेल अलर्ट: पेमेंट से संबंधित एसएमएस और ईमेल अलर्ट वित्तीय लेनदेन की वास्तविक समय की निगरानी सुनिश्चित करते हैं और भुगतान के दौरान तकनीकी मुद्दों को हल करने में सहायता करते हैं. इसके अलावा, पोर्टल ओटीपी प्रमाणीकरण के माध्यम से सुरक्षित वित्तीय लेनदेन सुनिश्चित करता है, साइबर अपराधों से सुरक्षा करता है.
पोर्टल पांच यूजर्स आईडी के माध्यम से अपने संचालन की सुविधा प्रदान करता है.
ऑपरेटर आईडी: इसका उपयोग ऑपरेटरों द्वारा अनुमोदित योजनाओं से संबंधित डेटा प्रविष्टि के लिए किया जाता है. यह पहल न केवल पंचायती राज संस्थाओं में वित्तीय प्रबंधन को मजबूत करती है, बल्कि पूरे देश में ई-गवर्नेंस के लिए एक बेंचमार्क भी स्थापित करती है. ग्राम सभा में विक्रेताओं और मजदूरों का विवरण भी इसी आईडी का उपयोग करके दर्ज किया जाता है.
ई-पंचायत बिहार पोर्टल को REAT मॉड्यूल के माध्यम से सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (PFMS) के साथ एकीकृत किया गया है. यह लाभार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) सक्षम बनाता है, जिससे देरी समाप्त होती है. अब तक, ग्राम पंचायत स्तर पर कुल ₹691.75 करोड़, पंचायत समिति स्तर पर ₹148.95 करोड़ और जिला परिषद स्तर पर ₹86.92 करोड़ का भुगतान संसाधित किया गया है.
आरईएटी आईडी का उपयोग जिला परिषदों के उप विकास आयुक्त-सह-मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषदों के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी, खंड विकास अधिकारी, ब्लॉक पंचायती राज अधिकारी, पंचायत सचिव और गांवों के मुखिया करते हैं.
सरकारी राजस्व में वृद्धि
प्लेटफॉर्म ने सरकार के राजस्व संग्रह को भी बढ़ाया है. अपने लॉन्च के बाद से, पोर्टल ने रॉयल्टी, सेग्नोरेज शुल्क, श्रम उपकर और जीएसटी योगदान सहित ₹92.88 करोड़ की कर कटौती की सुविधा प्रदान की है.
अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए प्लेटफॉर्म में ऑडिट और उपयोग प्रमाणपत्रों को एकीकृत करने की योजनाएं चल रही हैं. टैक्स कटौती डेटा और मोबाइल निरीक्षण जैसी सुविधाओं के साथ, ई-पंचायत बिहार पोर्टल शासन के लिए डिजिटल तकनीक का लाभ उठाने के लिए बिहार की प्रतिबद्धता का उदाहरण है.
यह पहल बिहार में डिजिटल शासन को बढ़ावा देने के साथ-साथ पंचायती राज संस्थाओं में जवाबदेही बढ़ाने और वित्तीय प्रबंधन की दक्षता बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है.