कोलकाता: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कोलकाता में काफी अहम मानी जाने वाली पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और ओडिशा के गृह राज्य मंत्री तुषारकांति बेहरा ने अपने-अपने राज्यों का प्रतिनिधित्व किया.
बैठक में गृह मंत्रालय और सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी भी मौजूद थे.
केंद्रीय गृह मंत्री और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का ऐसे समय में आमना-सामना हुआ है जब ममता और उनकी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की तरफ से टीएमसी के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के ‘दुरुपयोग’ का आरोप लगाते हुए शाह पर लगातार हमला बोला जा रहा है. ममता ने अक्टूबर में सूरजकुंड में शाह की अध्यक्षता में राज्य के गृह मंत्रियों की सुरक्षा बैठक से यह कहते हुए किनारा कर लिया था कि उन्हें पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों में हिस्सा लेना है.
शनिवार को सुबह 11 बजे राज्य सचिवालय में बैठक शुरू हुई, जिसमें सभी राज्य प्रतिनिधियों की तरफ से तमाम मुद्दे गृह मंत्री के समक्ष उठाए गए.
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने ‘100 दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार’ का फंड अटकने का मुद्दा पूरी जोरदारी से उठाया, जिस पर शाह ने जवाब दिया कि कुछ अनियमितताओं के कारण फंड ब्लॉक कर दिया गया है. पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने 100 दिनों की गारंटी वाली मजदूरी योजना के लिए धन मुहैया कराने के संबंध में केंद्र सरकार को लिखे पत्रों और अनियमितताओं का विवरण सामने रखा.
बैठक में मौजूद रहे बिहार के एक अधिकारी ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि ममता ने शाह के साथ ‘तीखे सुर’ में बातें कीं. अधिकारी ने यह भी कहा कि ‘एक समय पर तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री अपना आपा ही खो बैठीं और उनकी गृह मंत्री के साथ तीखी नोकझोंक की स्थिति आ गई.’
ममता ने राज्य को सूचित किए बिना दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) द्वारा पानी छोड़े जाने पर भी नाराजगी जताई. हालांकि, डीवीसी अधिकारियों ने इस दावे का खंडन किया, जिसे लेकर काफी तीखी बहस हुई. गृह मंत्री ने इस मुद्दे को हल करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश दिया, जिसमें केंद्र सरकार, राज्य और डीवीसी के प्रतिनिधि शामिल होंगे.
ममता बनर्जी ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में आने वाली अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर मवेशियों की तस्करी बढ़ने का मुद्दा भी उठाया. यह मसला ऐसे समय उठा, जब टीएमसी नेता पश्चिम बंगाल में कथित तौर पर पशु तस्करी को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच के दायरे में हैं. इसी मामले में टीएमसी नेता अनुब्रत मंडल को गिरफ्तार किया गया था.
यह पहला मौका था जब ममता और शाह ने राज्य सचिवालय नबन्ना में बंद कमरे में अलग से भी बैठक की. बैठक ऐसे समय हुई जब टीएमसी नेताओं पर केंद्रीय एजेंसियों—सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)—का शिकंजा लगातार कस रहा है. केंद्रीय एजेंसियां कई हाई प्रोफाइल मामलों की जांच कर रही हैं जिसमें पार्टी नेताओं के खिलाफ कथित पशु तस्करी मामला, कोयला स्मगलिंग और स्कूल सेवा भर्ती अनियमितताओं आदि में जांच चल रही है.
हालांकि, अधिकारियों ने दावा किया कि यह दोनों नेताओं के बीच शिष्टाचार मुलाकात थी.
यह भी पढ़ेंः मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गृह मंत्री शाह को उपहार दिए, केंद्र से बकाया राशि का मुद्दा उठाया
वामपंथी उग्रवाद, मादक द्रव्यों के मुद्दे पर हुई चर्चा
पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक करीब ढाई घंटे तक चली, उसके बाद लंच हुआ. वहीं अमित शाह की ममता के साथ आमने-सामने की बैठक लगभग 20 मिनट तक चली जो पहले से निर्धारित नहीं थी.
परिषद की बैठक के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने वामपंथी उग्रवाद के बारे में बात की और बताया कि देश के पूर्वी क्षेत्र से इसका लगभग सफाया हो गया है. उन्होंने कहा कि अब जरूरत है कि इस पर इसी तरह नियंत्रण बनाए रखा जाए ताकि ताकि वामपंथी उग्रवाद से मुक्त कराए गए राज्यों में यह फिर सिर न उठा सके और उन राज्यों में भी देश के अन्य हिस्सों की तरह विकास हो सके.
पीआईबी की एक प्रेस रिलीज के मुताबिक, अमित शाह ने मुख्यमंत्रियों से एनसीओआरडी (नेशनल नारकोटिक्स कोऑर्डिनेशन पोर्टल) तंत्र का एक जिला-स्तरीय ढांचा तैयार करने और ‘मादक पदार्थों की रोकथाम के लिए’ इसकी नियमित बैठकें सुनिश्चित करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि देश में ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई अब एक महत्वपूर्ण चरण में है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से ड्रग्स के खिलाफ अभियान को तेज करने की जरूरत है.
उन्होंने बैठक में मौजूद मुख्यमंत्रियों से यह आग्रह भी किया कि वे अगले वर्ष विभिन्न राज्यों में आयोजित होने वाले जी-20 से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान अपने-अपने राज्यों की सांस्कृतिक विविधता और पर्यटन स्थलों की जानकारी दुनिया के सामने रखें.
इस बीच, अमित शाह शनिवार को जब नबन्ना में क्षेत्रीय परिषद की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे, तब टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी नादिया में एक राजनीतिक रैली को संबोधित करते हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे थे. उन्होंने कहा, ‘केंद्र का सीएए लोगों को मूर्ख बनाने का एक साधन है. बिल पास हुए तीन साल हो गए हैं लेकिन आज तक नियम नहीं बने हैं. यह हमारे देश के लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए भाजपा का एक हथियार है.’
गृह मंत्री ने काफी पहले सीएए लाने का वादा किया था लेकिन यह अब तक लागू नहीं हुआ है. राज्य भाजपा ने भी 2021 के बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान किए गए वादे पर अमल के लिए गृह मंत्रालय पर दबाव बना रखा है. गौरतलब है कि शाह ने खुद पश्चिम बंगाल के ठाकुरनगर, जहां मतुआ मुख्यालय है, में एक चुनावी रैली के दौरान मतुआ समुदाय से सीएए लागू करने का वादा किया था.
(संपादनः शिव पाण्डेय । अनुवादः रावी द्विवेदी)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ेंः केन्द्र जबरन विधेयक पारित करा रहा है; संसदीय लोकतंत्र के भविष्य को लेकर डर : ममता बनर्जी