लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सरकार की नई जल नीति और तकनीकी नवाचारों को अपनाने के बाद राज्यभर के 826 विकास खंडों में से 566 में भूजल स्तर में सुधार हुआ है.
सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई.
बयान के अनुसार, इस पहल से लखनऊ, बलरामपुर, गोंडा, बहराइच, बाराबंकी, रायबरेली समेत 29 जिलों का भूजल स्तर बेहतर हुआ है.
बयान में कहा गया कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार की जल नीति का असर इस रूप में सामने आया है कि प्रदेश के कुल 826 विकासखंडों में से 566 अब सुरक्षित श्रेणी में पहुंच गए हैं.
इसमें कहा गया है कि वर्ष 2017 में जहां 82 विकासखंड अतिदोहित श्रेणी में थे, वहीं अब यह संख्या घटकर केवल 50 रह गई है. इसके अलावा तमाम जिलों में कई ऐसे विकासखंड जो पहले अर्धदोहित (सेमी-क्रिटिकल) श्रेणी में थे, अब सुरक्षित श्रेणी में पहुंच गए हैं.
भूजल स्तर की सटीक निगरानी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले एक वर्ष में 500 नए पीजोमीटर और 690 डिजिटल वॉटर लेवल रिकॉर्डर (डीडब्ल्यूएलआर) लगाए हैं. इन उपकरणों के माध्यम से जलस्तर की निरंतर और पारदर्शी निगरानी की जा रही है, जिससे समय रहते बेहतर निर्णय लिए जा सकें.
भूगर्भ जल विभाग (नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग) ने प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में भूजल के स्थायी प्रबंधन के लिए विस्तृत योजना बनाई है. भूजल सूचना प्रणाली को लगातार विकसित किया जा रहा है, जिससे भूजल के दोहन, उपयोग और संवर्धन का प्रभावी रूप से प्रबंधन किया जा सके.