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Monday, 4 November, 2024
होमदेशब्राहमणवाद विरोधी पोस्टर ने ‘ट्विटर बॉस’ की ट्विटर पर मुश्किल खड़ी कर दी

ब्राहमणवाद विरोधी पोस्टर ने ‘ट्विटर बॉस’ की ट्विटर पर मुश्किल खड़ी कर दी

आभासी दुनिया में होने वाला युद्ध वास्तविकता से कोसों दूर रहता है. ये बात ट्विटर के सीईओ जैक डोरसी को हाल की भारत यात्रा में समझ आ गई होगी.

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ट्विटर के सीईओ जैक डोरसी युवाओं को 2019 के चुनावों में वोट देने के लिए प्रेरित करने भारत आए थे. #पावर ऑफ18 नाम के कैंपेन के बाद उन्हें भारत में ट्विटर की पहुंच का अहसास हो ही गया होगा. वे अपनी एक तस्वीर को लेकर विवादों में ऐसे घिरे कि अब ट्विटर को सफाई भी देनी पड़ रही है.

जैक डोरसी आईआईटी गए थे, मोदी और राहुल से मिले थे, शाहरुख खान के साथ ध्यान लगाया और फिर महिला पत्रकारों से भारत में ट्विटर अनुभव की चर्चा की जिसमें उनकी एक तस्वीर वायरल हो गई और विवादों में भी घिर गई. तस्वीर में जैक डोरसी के हाथ में एक प्लेकार्ड है जो कहता है ब्राहमणवादी पितृसत्ता को खत्म करो. वे पत्रकार बरखा दत्त, अन्ना एम वेटिकाड, निलांजना रॉय आदि के साथ इस तस्वीर में नज़र आते है.

जैक डोरसी के प्रोजेक्ट मुक्ति नामक संस्थान के पोस्टर को उठाने के बाद ट्विटर पर बवाल मच गया. प्रोजेक्ट मुक्ति दलित बहुजन, आदिवासी, अल्पसंख्यक महिलाओं का संगठन है जो सोशल मीडिया से जाति भेदभाव खत्म करना चाहता है.

अब आरोप लग रहे हैं कि जैक डोरसी स्वयं घृणा फैलाने को बढ़ावा दे रहे हैं और एक अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाना जैक डोरसी के असली राजनीतिक निष्ठा दिखाता है.

विवाद गहराता देश ट्वीटर के भारत में विधि प्रमुख विजय गद्दे ने माफी मांगते हुए कहा – ये (पोस्टर) हमारे विचार नहीं दर्शाता है.

दक्षिणपंथी विरोध

दक्षिणपंथी विचारकों को तो मानो इस तस्वीर ने बहुत ज़्यादा उद्वेलित किया. एन्ना वेटिकाड के तस्वीर वाले ट्वीट पर मोहनदास पाई ने सरकारी अधिकारियों का डॉर्सी के खिलाफ़ कार्यवाई करने का आह्वान कर दिया. उनका कहना था कि डोरसी ब्राहमण समाज से माफी मांगे क्योंकि वे नफरत भरे पोस्टर और नफरत की मुहिम के साथ खड़े दिखते है. उन्होंने वेटिकाड को विदेशी के साथ मिलकर ब्राह्मणों का डर फैलाने का आरोप लगाया और भारतीय समाज को कलंकित करने का आरोप लगाया.

फिर जो ट्वीट का बाज़ार गर्माया कि वो थमने का नाम ही नहीं ले रहा. स्वराज्य की कॉलम्निस्ट शेफाली वैद्य, शेषाद्री चारी आदि ने ट्वीट कर दिया. आईएएस अधिकारी संजय दीक्षित ने कहा कि डोरसी को ‘स्मैश चर्च पेट्रियार्की’ या चर्च की पितृसत्ता को तोड़ने का पोस्टर उठाना चाहिए. चारी को शक था कि डॉर्सी पोस्टर का मतलब भी जानते हैं? उनका कहना था कि जैक डोरसी माफी मांगे या स्पष्टीकरण दें.

इस बीच उदारवादियों के स्वर जैक डोरसी के समर्थन में भी उठे. पत्रकार वसुधा वेणुगोपाल ने कहा काहे हो रहा है विरोध- शुद्धि, अशुद्ध और समाज में श्रेणियों की परिकल्पना का विरोध तो हो रहा है. इतिहासकार आड्रे त्रुश्के कहती हैं कि ट्विटर पर बवाल बेमानी है चर्चा इस बात पर होनी चाहिए कि भारत में जातिभेद और लिंग भेद एक यथार्थ है.

इस सारे घटनाक्रम ने एक बार फिर सोशल मीडिया की पहुंच पर ध्यान आकृष्ट किया है. जहां हर चीज़ बड़े विवाद का रूप ले सकती है. बहस की दिशा और दशा​ ट्विटरवासी तय करते हैं. तथ्य और आंकड़ों का कोई मतलब नहीं है और कुछ भी कभी भी विवादित हो सकता है. जैक डोरसी को जो सीख अपनी उच्च स्तरीय बैठकों में भी न मिली वो शायद उनको ट्विटर के भारत के इस एक्सपीरियंस से मिल गई होगी.

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