ट्विटर के सीईओ जैक डोरसी युवाओं को 2019 के चुनावों में वोट देने के लिए प्रेरित करने भारत आए थे. #पावर ऑफ18 नाम के कैंपेन के बाद उन्हें भारत में ट्विटर की पहुंच का अहसास हो ही गया होगा. वे अपनी एक तस्वीर को लेकर विवादों में ऐसे घिरे कि अब ट्विटर को सफाई भी देनी पड़ रही है.
जैक डोरसी आईआईटी गए थे, मोदी और राहुल से मिले थे, शाहरुख खान के साथ ध्यान लगाया और फिर महिला पत्रकारों से भारत में ट्विटर अनुभव की चर्चा की जिसमें उनकी एक तस्वीर वायरल हो गई और विवादों में भी घिर गई. तस्वीर में जैक डोरसी के हाथ में एक प्लेकार्ड है जो कहता है ब्राहमणवादी पितृसत्ता को खत्म करो. वे पत्रकार बरखा दत्त, अन्ना एम वेटिकाड, निलांजना रॉय आदि के साथ इस तस्वीर में नज़र आते है.
During Twitter CEO @jack's visit here, he & Twitter's Legal head @vijaya took part in a round table with some of us women journalists, activists, writers & @TwitterIndia's @amritat to discuss the Twitter experience in India. A very insightful, no-words-minced conversation ? pic.twitter.com/LqtJQEABgV
— Anna MM Vetticad (@annavetticad) November 18, 2018
जैक डोरसी के प्रोजेक्ट मुक्ति नामक संस्थान के पोस्टर को उठाने के बाद ट्विटर पर बवाल मच गया. प्रोजेक्ट मुक्ति दलित बहुजन, आदिवासी, अल्पसंख्यक महिलाओं का संगठन है जो सोशल मीडिया से जाति भेदभाव खत्म करना चाहता है.
अब आरोप लग रहे हैं कि जैक डोरसी स्वयं घृणा फैलाने को बढ़ावा दे रहे हैं और एक अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाना जैक डोरसी के असली राजनीतिक निष्ठा दिखाता है.
विवाद गहराता देश ट्वीटर के भारत में विधि प्रमुख विजय गद्दे ने माफी मांगते हुए कहा – ये (पोस्टर) हमारे विचार नहीं दर्शाता है.
दक्षिणपंथी विरोध
दक्षिणपंथी विचारकों को तो मानो इस तस्वीर ने बहुत ज़्यादा उद्वेलित किया. एन्ना वेटिकाड के तस्वीर वाले ट्वीट पर मोहनदास पाई ने सरकारी अधिकारियों का डॉर्सी के खिलाफ़ कार्यवाई करने का आह्वान कर दिया. उनका कहना था कि डोरसी ब्राहमण समाज से माफी मांगे क्योंकि वे नफरत भरे पोस्टर और नफरत की मुहिम के साथ खड़े दिखते है. उन्होंने वेटिकाड को विदेशी के साथ मिलकर ब्राह्मणों का डर फैलाने का आरोप लगाया और भारतीय समाज को कलंकित करने का आरोप लगाया.
@smritiirani @rsprasad @PMOIndia @narendramodi @arunjaitley Govt of India should take this up and ask @Twitter and CEO @jack to apologise to theBrahmin community for this hate poster and being party to a hate campaign.Unacceptable for a overseas CEO to come to India and malign https://t.co/bWU0eBo9yG
— Mohandas Pai (@TVMohandasPai) November 19, 2018
फिर जो ट्वीट का बाज़ार गर्माया कि वो थमने का नाम ही नहीं ले रहा. स्वराज्य की कॉलम्निस्ट शेफाली वैद्य, शेषाद्री चारी आदि ने ट्वीट कर दिया. आईएएस अधिकारी संजय दीक्षित ने कहा कि डोरसी को ‘स्मैश चर्च पेट्रियार्की’ या चर्च की पितृसत्ता को तोड़ने का पोस्टर उठाना चाहिए. चारी को शक था कि डॉर्सी पोस्टर का मतलब भी जानते हैं? उनका कहना था कि जैक डोरसी माफी मांगे या स्पष्टीकरण दें.
Explains why people like me are shadowbanned by @TwitterIndia and out reach is restricted!! https://t.co/bbNhXA3HUM
— Shefali Vaidya (@ShefVaidya) November 19, 2018
इस बीच उदारवादियों के स्वर जैक डोरसी के समर्थन में भी उठे. पत्रकार वसुधा वेणुगोपाल ने कहा काहे हो रहा है विरोध- शुद्धि, अशुद्ध और समाज में श्रेणियों की परिकल्पना का विरोध तो हो रहा है. इतिहासकार आड्रे त्रुश्के कहती हैं कि ट्विटर पर बवाल बेमानी है चर्चा इस बात पर होनी चाहिए कि भारत में जातिभेद और लिंग भेद एक यथार्थ है.
How about Smash Church Patriarchy? Shameless Hindu hating group. Hello Brahmins, prosecution under S 295 A is fully in order. Time to smash this hateful narrative by Evangelists. https://t.co/3eUyuMa4cP
— Sanjay Dixit संजय (@Sanjay_Dixit) November 19, 2018
इस सारे घटनाक्रम ने एक बार फिर सोशल मीडिया की पहुंच पर ध्यान आकृष्ट किया है. जहां हर चीज़ बड़े विवाद का रूप ले सकती है. बहस की दिशा और दशा ट्विटरवासी तय करते हैं. तथ्य और आंकड़ों का कोई मतलब नहीं है और कुछ भी कभी भी विवादित हो सकता है. जैक डोरसी को जो सीख अपनी उच्च स्तरीय बैठकों में भी न मिली वो शायद उनको ट्विटर के भारत के इस एक्सपीरियंस से मिल गई होगी.