लखनऊ: वाराणसी के कोइरीपुर गांव में घास खा रहे मुसहर जाति के लोगों की खबर दिखाने पर डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट (डीएम) कौशल राज शर्मा ने पत्रकार को ही कारण बताओ नोटिस भेज दिया और खबर का खंडन छापने को कहा है. पिछले साल मिर्जापुर जिले में मिड-डे मील में खामियां उजागर करने वाले पत्रकार पर मुकदमे के बाद अब बनारस के पत्रकार को मिला नोटिस चर्चा का विषय बना हुआ है.
जनसंदेश टाइम्स के पत्रकार विजय विनीत और मनीष मिश्रा के मुताबिक अनुसूचित जाति में आने वाले मुसहर खेतों से चूहे पकड़कर खाने के लिए जाने जाते हैं लेकिन अभी लाॅकडाउन में खेतों में भी आने जाने पर रोक है और भूखे रहने का संकट है. इस पर जब वाराणसी के स्थानीय अखबार के पत्रकार ने स्टोरी की तो डीएम ने अखबार के प्रधान संपादक सुभाष राय व विजय विनीत को खबर के खंडन का नोटिस भेजा.
डीएम कौशल राज शर्मा की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया कि उन्होंने एडीएम स्तर के अधिकारी से मामले की जांच करवाई है जिससे पता चला है कि घास खाने की ख़बर झूठी है. वे फसल के साथ उगने वाली अंकरी घास (अखरी दाल) व चने की बालियां खा रहे हैं जो पौष्टिक आहार है. स्थानीय मीडिया से बातचीत में डीएम ने कहा कि सेंशेसनेलाइज़ करने के लिए एक स्थानीय अखबार ने इस खबर को लिखा है. इसी कारण नोटिस भेजा गया. इसके अलावा डीएम ने ख़ुद अपने बेटे को ऑफिस में बैठाकर अंकरी घास खिलाकर भी दिखाया. डीएम ने इसके बाद बेटे के साथ सोशल मीडिया पर एक फोटो भी साझा की.
@svaradarajan Yesterday DM and his son eating Athari daal which u called grass. pic.twitter.com/zysyVWHNlr
— DM VARANASI (@dmvaranasi2016) March 27, 2020
पत्रकार ने कहा- खबर सच्ची, पीछे नहीं हटूंगा
दिप्रिंट से बातचीत में खबर लिखने वाले पत्रकार विजय विनीत ने कहा कि उन्होंने सच दिखाया है. विजय के मुताबिक, ‘मेरे पास खबर के सारे फोटो व वीडियो हैं जिन्हें मैं डीएम साहब को भी भिजवा चुका हूं. कोइरीपुर गांव में मुसहरों की हालत पिछले तीन-चार दिनों से खराब थी, लाॅकडाउन के कारण वे कहीं जा नहीं पा रहे थे और उनके पास पैसे भी नहीं थे. न ही सरकार की ओर से कोई सुविधा पहुंच रही थी. वे घास खाने को मजबूर थे तो मैंने 26 मार्च को स्टोरी पब्लिश की जिस पर डीएम ने नोटिस भेज दिया लेकिन उनकी खबर का ये असर हुआ कि प्रशासन उसी दिन इस गांव में मुसहर परिवारों के लिए आनन-फानन में भोजन लेकर पहुंचा और आसपास के गांव वाले भी इनकी मदद में लग गए.’
विजय के मुताबिक, वह अपनी स्टोरी पर कायम हैं. उनका कहना है कि डीएम पहले उन परिवारों की मदद के बजाए खुद को कृषि एक्सपर्ट साबित करने में लगे थे. घास की कैटेगरी बता रहे थे और ट्वीटर पर अपने बेटे के साथ अंकरी घास की फोटो डाल रहे थे. इससे प्रशासन की लापरवाही साफ दिखती है.
‘बनारस के कोइरीपुर में घास खा रहे मुसहर’ शीर्षक वाली इस स्टोरी में लिखा है कि घरों में अन्न का दाना न होने के चलते मुसहर गेहूं के खेतों से अंकरी घास निकाल कर खा रहे हैं. विजय विनीत के मुताबिक, मुसहरों ने घर में रखे खाली बर्तन और अंकरी घास को भी दिखाया था जिससे उनका जीवन चल रहा है. इसके वीडियो भी उनके पास हैं. विजय ने बताया कि वह लगभग 30 साल से पत्रकारिता कर रहे हैं. उन्होंने चंदौली के गांव में भूखे मर गए तीन लोगों पर स्टोरी की थी जिसका जिक्र यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव संसद में कर चुके हैं. इसके अलावा भी वे मानवीय संवेदनाओं से जुड़ी कई स्टोरीज़ कर चुके हैं.
कांग्रेस ने उठाए नोटिस पर सवाल
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने भी बयान जारी कर इस मुद्दे को उठाया है. लल्लू के मुताबिक बनारस के पत्रकार विनीत ने लॉक डाउन के बाद हो रही समस्याओं को उजागर किया, प्रशासन और शासन को तो उनका शुक्रगुजार होना चाहिए लेकिन अब उनके ऊपर ही नोटिस भेजा गया है जोकि निंदनीय है.
अजय लल्लू के मुताबिक, डीएम कौशलराज शर्मा अकड़ी घास को दाल बता रहे हैं और अपने बेटे के साथ उसको खाते हुए तस्वीर खिंचवाई है. यह तो और ही ज्यादा अमानवीय है. अकड़ी घास अगर कोई खा रहा है तो उत्तर प्रदेश शासन व प्रशासन को शर्म आनी चाहिए और डीएम कौशल राज शर्मा को तत्काल माफी मांगनी चाहिए.