बेंगलुरू: बेंगलुरू में रहने वालों के लिए 21 वर्षीय दिशा रवि एक जाना पहचाना चेहरा है.
क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग द्वारा 2018 में शुरू किए गए पर्यावरण आंदोलन फ्राइडे फॉर फ्यूचर के इंडियन चैप्टर की संस्थापक सदस्य दिशा रवि स्टील फ्लाइओवर बेडा कैंपेन (स्टील फ्लाइओवर के खिलाफ) जैसे विरोध प्रदर्शनों में नियमित रूप से शामिल होती रही हैं. मौजूदा समय में वह जलवायु परिवर्तन पर लेक्चर देने के अलावा झील की सफाई और वृक्षारोपण जैसे अभियानों से भी जुड़ी थीं.
दिशा रवि, जिन्हें पुलिस ने भारत में जारी किसान आंदोलन पर थनबर्ग द्वारा साझा किए गए ‘टूलकिट‘ को ‘प्रचारित’ करने के आरोप में गिरफ्तार किया है, ने 2019 में एफएफएफ के इंडियन चैप्टर को लॉन्च करने में मदद की थी. वह उस टीम में शामिल थी जिसने देशभर से करीब 20,000 वालंटियर एफएफएफ के साथ जोड़े हैं.
इससे जुड़े होने के कारण ही वोग और ऑटो रिपोर्ट अफ्रीका जैसी कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में 21 वर्षीय दिशा के बारे में लेख प्रकाशित हुए.
पिछले साल सितंबर में द गार्जियन ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ आवाज उठाने वाले युवाओं के संदर्भ में एक पीस उस पर भी प्रकाशित किया. इसमें दिशा को यह कहते उदधृत किया गया, ‘हम सिर्फ अपने भविष्य के लिए नहीं लड़ रहे हैं, हम अपने वर्तमान के लिए लड़ रहे हैं. हम, सबसे अधिक प्रभावित लोग जलवायु परिवर्तन पर होने वाली वार्ताओं का रुख बदलने जा रहे हैं और ऐसी योजना का नेतृत्व करने जा रहे हैं जो सीधे तौर पर लोगों को लाभ पहुंचाए न कि हमारी सरकार को.’
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‘दिशा रवि जेन गुडाल से प्रेरित’
कॉलेज के दोस्तों ने दिप्रिंट को बताया कि बेंगलुरू के माउंट कार्मेल कॉलेज से बीबीए स्नातक दिशा रवि ने बतौर एक्टिविस्ट काम करना 19 साल की उम्र में ही शुरू कर दिया था और वह प्राइमेटोलॉजिस्ट जेन गुडॉल से प्रेरित हैं.
उन्होंने आगे बताया कि वह पारिस्थितिक संरक्षण और उसके उद्धार में अपना कैरियर आगे बढ़ाने चाहती थी. अक्सर गले की चेन में एक कछुए वाला पेंडेंट पहने नजर आने वाली दिशा का सपना कछुए और समुद्री जीवों के लिए काम करने का रहा है.
एक मित्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘उसे जलवायु परिवर्तन के लिए जारी संघर्ष की अच्छी समझ है. जब भी उसके दादा-दादी मैसुरु स्थित अपने फार्म में जाते हैं तो वह उनके साथ ही रहती है. एक किसान परिवार के तौर पर उन्होंने सूखे और बाढ़ की वजह से काफी नुकसान उठाए हैं. इसने ही उसे जागरूकता फैलाने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया.’
नाम न देने की शर्त पर एक अन्य कॉलेज मित्र ने कहा, ‘वह जलवायु परिवर्तन को लेकर काफी उत्साही है और अपने कॉलेज के दिनों में भी वह हमेशा दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के बारे में बात करती रहती थी.’
दिशा रवि बेंगलुरु में अपनी मां, जो एक गृहिणी हैं, के साथ रहती है और परिवार में कमाने वाली एकमात्र सदस्य है. दिप्रिंट जब एबिगेरे, चिक्काबनवारा स्थित उसके घर पहुंचा तो मां मंजुला ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. कुछ पड़ोसियों ने दिप्रिंट को बताया कि दिशा एक ‘मृदुभाषी’ लड़की है, जो अपने जर्मन शेफर्ड के साथ यहां टहलती थी.
दिशा जिस गैर-सरकारी संगठन झटका में काम करती थी और जो जमीनी स्तर के आंदोलनों के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी की सुविधा मुहैया कराता है, उसके एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये कार्यकर्ता किस तरह से आर्थिक समस्याओं का सामना कर रही थी. अधिकारी ने कहा, ‘वह अपनी आय थोड़ी बढ़ाने के लिए सुबह और शाम संगठन के लिए काम करती थी.’
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‘कुछ गलत नहीं किया’
कई करीबी लोग दिल्ली पुलिस द्वारा उस पर लगाए गए आरोपों के खिलाफ जलवायु कार्यकर्ता का बचाव कर रहे हैं.
दिल्ली पुलिस ने उसे भारत में जारी किसान आंदोलन को लेकर थनबर्ग की तरफ से साझा किए गए ‘टूलकिट’ के प्रसार के लिए राष्ट्रद्रोह, आपराधिक साजिश और नफरत फैलाने के आरोपों में मामला दर्ज किया है.
इनवायरनमेंट कैंपेनर तारा कृष्णास्वामी, जो रवि के साथ काम कर चुकी हैं, ने दिप्रिंट को बताया कि संगठित विरोध प्रदर्शनों के मामले में टूलकिट असामान्य नहीं हैं. ‘टूलकिट आखिर है क्या? यह एक ऐसी बुकलेट से ज्यादा कुछ भी नहीं है, जिसका उपयोग किसान आंदोलन पर ज्यादा से ज्यादा जानकारी मुहैया कराने के लिए किया जा रहा है.’
कृष्णास्वामी ने कहा, ‘टूलकिट एक गूगल डॉक्यूमेंट है जिसे एडिट किया जा सकता है. यह अभी जिस व्यक्ति के पास होगा वह यह नहीं जान पाएगा कि इसे पहले किसने संपादित किया था.’
एफएफएफ के एक वालंटियर युवान एवेस ने पुलिस के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि दिशा रवि ने ‘खालिस्तानी समर्थक’ संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ मिलकर कथित तौर पर राष्ट्र के खिलाफ असंतोष फैलाने की कोशिश की है.
एवेस ने कहा, ‘युवा (एफएफएफ) वालंटियर को अलगाववादियों और खालिस्तानियों के साथ जोड़ना हास्यास्पद है. एफएफएफ और खालिस्तानी समर्थक आंदोलन के बीच कोई संबंध नहीं है.’
एवेस ने आगे कहा, ‘हमारे कई वालंटियर स्कूली बच्चे हैं जो समुद्र तट की सफाई करते हैं और वृक्षारोपण अभियान चलाते हैं. भारत में कुछ हजार एफएफएफ वालंटियर ही हैं. यह कोई संगठित आंदोलन नहीं है.’
हालांकि, एफएफएफ पहले भी कई मौकों पर पुलिस कार्रवाई का शिकार बना है. जुलाई 2020 में दिल्ली पुलिस ने एफएफएफ इंडिया की वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया था और कथित तौर पर आपत्तिजनक सामग्री और शांति, सौहार्द व संप्रभुता के लिए खतरा बनने गैरकानूनी गतिविधियों या आतंकवादी कृत्यों को लेकर इसके सदस्यों को नोटिस भेजे था. पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) भी लगाया था, लेकिन बाद में नोटिस वापस ले लिया.
एफएफएफ के वालंटियर ने पिछले साल जब पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना के मसौदे पर पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के इनबॉक्स को स्पैम करने की कोशिश की थी तब भी उन्हें एक नोटिस भेजा गया था.
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