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Sunday, 22 December, 2024
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धामी ने लिया वनाग्नि की स्थिति का जायजा, लापरवाही बरतने वाले 17 वनकर्मियों पर कार्रवाई

गढ़वाल के मुख्य वन संरक्षक नरेश कुमार ने बताया कि अदवाणी और चोरकंडी के जंगलों में लगी आग बुझाने के लिए वायुसेना के एमआई 17 हेलीकॉप्टर से पानी का छिड़काव किया गया.

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देहरादून: उत्तराखंड में विकराल रूप धारण करने वाली वनाग्नि को बुझाने के लिए बुधवार को भी हेलीकॉप्टर सहित सभी प्रकार के प्रयासों के जारी रहने के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मौजूदा स्थिति का जायजा लिया जबकि आग बुझाने के कार्य में लापरवाही बरतने के आरोप में 10 वनकर्मियों के निलंबन के साथ ही कुल 17 के खिलाफ कार्रवाई की गयी.

प्रदेश में पिछले 24 घंटों में वनाग्नि की 40 नयी घटनाएं सामने आयीं, जिनमें 69.73 हेक्टेअर वन क्षेत्र जल गया. हालांकि, वन विभाग ने दावा किया कि पिछले दो दिनों से वनाग्नि की घटनाओं में लगातार कमी आ रही है और लगातार जारी प्रयासों के फलस्वरूप जल्द ही आग पर पूरी तरह से काबू पा लिया जाएगा.

गढ़वाल के मुख्य वन संरक्षक नरेश कुमार ने बताया कि अदवाणी और चोरकंडी के जंगलों में लगी आग बुझाने के लिए वायुसेना के एमआई 17 हेलीकॉप्टर से पानी का छिड़काव किया गया.

उन्होंने पौड़ी में संवाददाताओं को बताया कि बुधवार को तीसरे दिन भी हेलीकॉप्टर ने अदवाणी तथा चोरकंडी जंगल में लगी आग बुझाई. हेलीकॉप्टर ने अलकनंदा नदी से बांबी बकेट में सात राउंड में 35 हजार लीटर पानी भरकर जंगलों और आसपास के प्रभावित क्षेत्रों में छिड़काव किया. कुमार स्वयं मौके पर मौजूद रहकर वनाग्नि बुझाने से संबंधित कार्यों की निगरानी कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में जंगल में आग फैलने से रोकने के लिए फायर लाइन बनाने तथा इसमें जनप्रतिनिधियों को भी शामिल करने के निर्देश दिए.

उन्होंने वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए प्रदेश में सचिवों को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी देने को भी कहा जो प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण कर इस दिशा में प्रभावी कदम उठायेंगे.

धामी नवे वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए जिलाधिकारियों को जनजागरूकता के अलावा जनसहयोग लेने को भी कहा.

उन्होंने वनाग्नि की सूचना मिलने और उस पर कार्रवाई करने के बीच के रिस्पांस टाइम को कम से कम करने को भी कहा.

मुख्यमंत्री ने वनों में आग लगने के एक मुख्य कारण पिरूल (चीड़ के पेड़ की सूखी पत्तियां) को एकत्रित करने के लिए एक प्रभावी योजना बनाने तथा पिरूल संग्रहण केंद्र बनाने को भी कहा. उन्होंने अधिकारियों से जानबूझकर जंगलों में आग लगाने की घटनाओं में संलिप्त लोगों पर कठोर कार्रवाई करने को भी कहा.

बाद में मुख्यमंत्री रूद्रप्रयाग पहुंचे और जंगल में बिखरी पिरूल की पत्तियों को एकत्रित कर जनता को इससे जुड़ने का संदेश दिया.

मुख्यमंत्री ने इस संबंध में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ”मेरा प्रदेश की समस्त जनता से अनुरोध है कि आप भी अपने आसपास के जंगलों को बचाने के लिए युवक मंगल दल, महिला मंगल दल और स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर बड़े स्तर पर इसे अभियान के रूप में संचालित करने का प्रयास करें.”

उन्होंने यह भी बताया कि वनाग्नि को रोकने के लिए सरकार ‘पिरूल लाओ-पैसे बचाओ’ मिशन पर भी कार्य कर रही है जिसके तहत पिरूल 50 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदा जाएगा.

धामी ने कहा कि इस मिशन का संचालन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड करेगा जिसके लिए 50 करोड़ रुपये का कार्पस फंड पृथक रूप से रखा जाएगा.

मुख्यमंत्री के निर्देश पर वनाग्नि को रोकने में लापरवाही बरतने वाले वन विभाग के 10 कार्मिकों को निलंबित कर दिया गया, पांच को कार्यालयों से संबद्ध किया गया जबकि दो अन्य को कारण बताओ नोटिस दिया गया है .

दैनिक वनाग्नि बुलेटिन के अनुसार, प्रदेश में पिछले 24 घंटों के दौरान वनाग्नि की 40 नयी घटनाएं सामने आयीं जिनमें से 25 कुमांउ, 13 गढ़वाल और दो वन्यजीव क्षेत्रों में हुईं .

उधर, वन विभाग ने दावा किया कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में वनाग्नि की बड़ी घटनाओं में पिछले दो दिनों से लगातार कमी आ रही है और अगले कुछ दिनों में इन पर पूर्णत: नियंत्रण कर लिया जाएगा.

यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, छह मई को प्रदेश में वनाग्नि की 125 बड़ी घटनाएं सामने आयीं जबकि सात मई को इनकी संख्या 46 थी. उन्होंने बताया कि बुधवार को वनाग्नि की बड़ी घटनाओं की संख्या घटकर 15 हो गयी.

विभाग ने उम्मीद जाहिर की कि वनाग्नि नियंत्रण की व्यापक कार्रवाई के फलस्वरूप अगले कुछ दिनों में इस पर पूरा काबू पा लिया जाएगा.


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