अयोध्या: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या के मंदिर शहर के विकास को इस रूप में बढ़ावा दे रहे हैं कि वो ‘हमारी सर्वश्रेष्ठ परंपराओं और सर्वश्रेष्ठ विकासात्मक परिवर्तनों’ को दर्शाएगा लेकिन राम मंदिर निर्माण जिसके इर्द-गिर्द ये केंद्रित है उत्तर प्रदेश के तीर्थ नगर में स्थित धार्मिक समूहों के बीच विवादों और अंदरूनी लड़ाई में उलझा हुआ है.
कुछ दिन पहले अयोध्या की तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के नाम पर बने बहुत से संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के स्वीकृत उद्देश्य के लिए पिछले कई दशकों में काफी पैसा जमा किया था. उन्होंने ये भी सवाल किया कि इसी उद्देश्य के लिए पिछले साल श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास का गठन किए जाने के बाद भी वो इस काम को क्यों जारी रखे हुए हैं.
दास ने अब कहा है कि इन समूहों ने उनसे इस मामले को अब आगे न बढ़ाने का अनुरोध किया है.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘मेरे पत्र के बाद इन संगठनों ने मुझसे संपर्क किया और कहा कि मैं इस मामले को आगे न बढ़ाऊं. लेकिन मैंने अपना काम कर दिया है. मैंने प्राधिकारियों को आगाह कर दिया है. अब ये प्रशासन के ऊपर है कि वो इसकी जांच कराए’.
अपने पत्र में जिसकी प्रतिलिपि उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अयोध्या जिला मजिस्ट्रेट अनुज झा को भी भेजी गई, दास ने इन संगठनों पर ‘श्रद्धालुओं से धोखाधड़ी’ का आरोप लगाया और अनुरोध किया कि इन संगठनों द्वारा एकत्र की गई राशि को राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास को स्थानांतरित किया जाए.
महंत ने आगे कहा, ‘मैं अभी भी दोहराता हूं कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर न्यास और रामालय ट्रस्ट जैसे कुछ संगठन बरसों से निर्माण के लिए चंदा जमा करते रहे हैं. जब मंदिर निर्माण के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र पहले ही गठित किया जा चुका है, तो फिर ये संगठन अब भी चंदा क्यों बटोर रहे हैं? ये अभी भी क्यों मौजूद हैं?
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जिन संगठनों पर दास ने ‘धोखाधड़ी’ का आरोप लगाया है उन्होंने न केवल आरोपों का खंडन किया है बल्कि कुछ ने तो मंदिर निर्माण कार्य में दास के योगदान (या उसके न होने पर) पर भी सवाल खड़े किए हैं.
ये पहली बार नहीं है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मामले में धोखाधड़ी या उसके लिए एकत्र किए गए धन के दुरूपयोग के आरोप लगाए गए हैं.
2017 में राम मंदिर विवाद के एक पक्ष निर्मोही अखाड़े ने वीएचपी पर अयोध्या मंदिर के नाम पर 1,400 करोड़ रुपए के ग़बन का आरोप लगाया था.
इसी साल दूसरे लोगों ने भी अतीत में एकत्र किए गए पैसे के बारे में सवाल खड़े किए थे, जबकि मंदिर निर्माण के लिए पूरे देश से लगातार पैसा जमा किया जा रहा था. श्री राम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान के नाम से 14 जनवरी को 45 दिन का चंदा अभियान शुरू किया गया था जिसके दौरान लगभग 2,100 करोड़ रुपए जमा किए गए.
फिर जून में ये आरोप सामने आए कि मंदिर से जुड़ी परियोजनाओं के लिए ज़मीन ख़रीद में घोटाला किया गया है.
शाह को पत्र और प्रत्यारोप
दिप्रिंट से बात करते हुए दास ने सवाल किया, ‘वो प्रेस वार्त्ताएं कर रहे हैं, वो सोना भी स्वीकार कर रहे हैं. अंतिम बात तो मैंने ये सुनी कि 2 से 5 लाख रुपए में वो पदाधिकारियों के पदों की भी पेशकश कर रहे हैं. इससे क्या संकेत मिलता है?’
लेकिन जानकी घाट के महंत और श्री राम जन्मभूमि मंदिर न्यास के संस्थापक जन्मेजय शरण ने दास के लगाए सभी आरोपों का खंडन किया और कहा: ‘मेरा ट्रस्ट 2008 से पंजीकृत है. मैं जांच के लिए तैयार हूं. एजेंसियां (मेरे ट्रस्ट के) बैंक खातों की जांच क्यों नहीं कर लेतीं.
उन्होंने आगे कहा: ‘आरोप लगाने वाला भी फर्जी है और आरोप भी. गृह मंत्री को हिसाब देखना है तो देख लें’.
दास पर मंदिर निर्माण के लिए कुछ भी दान न देने का आरोप लगाते हुए, उन्होंने दास को चुनौती दी कि वो दुनिया को बताएं कि राम मंदिर कार्य के लिए उन्होंने कितना दान दिया है.
शरण के अनुसार दास ने उन्हें फोन करके उनके ट्रस्ट के बारे में आरोप लगाने के लिए माफी भी मांगी है.
लेकिन दास ने कहा, ‘चूंकि न्यासों ने मुझसे संपर्क करके मामले को नहीं बढ़ाने का अनुरोध किया है, इसलिए मैं अब इस केस को आगे नहीं ले जाउंगा’.
2022 के आगामी असैम्बली चुनावों और नतीजों को प्रभावित करने वाले मुद्दों का उल्लेख करते हुए दास ने आगे कहा: ‘बीएसपी और एसपी दोनों पार्टियां परशुराम के नाम पर चुनाव लड़ेंगी जबकि बीजेपी राम मंदिर मुद्दे से समर्थन हासिल करेगी. मैं चंदों पर सवाल नहीं उठाना चाहता क्योंकि न्यासों पर अविश्वास के नतीजे में बीजेपी से विश्वास उठ सकता है. इससे 2022 के चुनाव प्रभावित हो सकते हैं’.
इस बीच एक अन्य धार्मिक संगठन रामदल ट्रस्ट दास के समर्थन में उतर आया है.
ट्रस्ट के संस्थापक कलगी राम ने दिप्रिंट से कहा: ‘रामालय सनातन धर्म के खिलाफ काम कर रहा है. पूरा अयोध्या यही चाहता है. वो केवल पैसा एकत्र कर रहे हैं. हम प्राधिकारियों से आग्रह करते हैं कि इसकी जांच करें. परमहंस के आरोप सही हैं और उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए’.
दिप्रिंट ने रामालय न्यास प्रमुख अभिमुक्तेश्वरानंद से फोन पर संपर्क करना चाहा लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया.
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