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Saturday, 21 December, 2024
होमदेश‘गीता प्रेस को पुरस्कार मिलने पर विरोध करने वाले एक्सीडेंटल हिंदू के वंशज’, योगी का कांग्रेस पर हमला

‘गीता प्रेस को पुरस्कार मिलने पर विरोध करने वाले एक्सीडेंटल हिंदू के वंशज’, योगी का कांग्रेस पर हमला

गीता प्रेस गोरखपुर को साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने गीता प्रेस को पुरस्कार देने की तुलना सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने से की थी.

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए गीता प्रेस का चयन करने के केंद्र के फैसले की आलोचना करने पर कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा, “गीता प्रेस गोरखपुर को दिए गए सम्मान को ‘एक्सीडेंटल हिंदू के वंशज’ पचा नहीं पा रहे हैं.”

सीएम ने बिना किसी का नाम लिए बगैर कहा, “गीता प्रेस को मिले सम्मान को ‘एक्सीडेंटल हिंदू के वंशज’ पचा नहीं पा रहे हैं. गीता प्रेस एक सदी से सनातन हिंदू धर्म की सेवा कर रहा है. सनातन हिंदू धर्म और मानवता का कल्याण के लिए गीता प्रेस ने वर्षों से अपनी सेवाएं दी है. यह गौरव का विषय है कि गीता प्रेस को प्रतिष्ठित गांधी शांति पुरस्कार प्राप्त हुआ है.”

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस के लिए अपनी विरासत के प्रति इतना गंदा रवैया रखना ‘बेशर्मी’ की बात है.

योगी ने कहा, “गीता प्रेस पिछले 100 वर्षों से धार्मिक साहित्य का प्रकाशन कर रहा है. गीता, वेद, रामायण, रामचरितमानस सहित सभी प्रकार के धार्मिक साहित्य के प्रकाशन का यह मुख्य केंद्र रहा है. बिना किसी सरकारी सहयोग के सस्ते दाम पर धार्मिक साहित्य को आम जनमानस तक पहुंचाता रहा है.” 

संस्कृति मंत्रालय ने रविवार को कहा था कि 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर के गीता प्रेस को अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया जाएगा.

गांधी शांति पुरस्कार 2021, मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान देने के लिए गीता प्रेस को देने की घोषणा की गई. 1923 में स्थापित, गीता प्रेस दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है, जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें 16.21 करोड़ श्रीमद भगवद गीता शामिल हैं.

संस्कृति मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली ज्यूरी ने सर्वसम्मति से गांधी शांति पुरस्कार के लिए गीता प्रेस, गोरखपुर का चयन करने का फैसला किया.

बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली ज्यूरी द्वारा गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित करने के केंद्र सरकार के फैसले को लेकर कांग्रेस ने निशाना साधा था.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस फैसले को “उपहास” बताया था और इसकी तुलना “सावरकर और गोडसे को पुरस्कृत करने” से की थी. 

उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था, “2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया गया है, जो इस वर्ष अपनी शताब्दी मना रहा है. अक्षय मुकुल द्वारा इस संगठन की 2015 की एक बहुत ही बेहतरीन जीवनी है जिसमें वह महात्मा के साथ इसके तूफानी संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चल रही लड़ाइयों का पता लगाता है. यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और गीता प्रेस को पुरस्कार देने का फैसला सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.”

कांग्रेस नेता की टिप्पणी पर भारतीय जनता पार्टी के असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह कहते हुए कांग्रेस की आलोचना की कि उन्होंने भारत के सभ्यतागत मूल्यों और समृद्ध विरासत के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है.

सरमा ने ट्वीट कर कहा, “कर्नाटक में मिली चुनावी जीत के घमंड में चूर होकर कांग्रेस अब भारतीय संस्कृति पर खुला प्रहार कर रही है. वह चाहे धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करना हो या फिर गीता प्रेस की आलोचना करना; भारत की जनता निश्चित रूप से दोगुनी शक्ति के साथ कांग्रेस के ऐसे प्रयासों को नाकाम करेगी.”


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