scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेश'नान और उम्मीद पर जिंदा'- दिल्ली के हौज़ रानी में फंसे विदेशियों का एक अधूरा रमज़ान

‘नान और उम्मीद पर जिंदा’- दिल्ली के हौज़ रानी में फंसे विदेशियों का एक अधूरा रमज़ान

हौज़ रानी की तंग गलियों में अस्थायी रूप से इराक, ईरान, अफगानिस्तान, नाइजीरिया और सोमालिया के कई विदेशी नागरिक रहते हैं जो प्रतिष्ठित निजी अस्पतालों में इलाज के लिए ज्यादातर दिल्ली आते हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: इस साल की शुरुआत में, सोमालिया निवासी अब्दुल्लाही को बताया गया था कि उसकी आंखों के इलाज के लिए उसे भारत में दो हफ्ते के लिए रहना होगा. 36 वर्षीय अब्दुल्लाही ने उसी हिसाब से अपना सामान बांधा और दक्षिणी दिल्ली के हौज़ रानी इलाके की संकरी गलियों के अंदर एक किराये के कमरे में अपने ठहरने का बंदोबस्त किया.

सोमालिया के रहने वाले अब्दुल्लाही, हौज़ रानी के एक छोटे से कमरे में रह रहे हैं/फोटो: मनीषा मोंडल/ दिप्रिंट
सोमालिया के रहने वाले अब्दुल्लाही, हौज़ रानी के एक छोटे से कमरे में रह रहे हैं/फोटो: मनीषा मोंडल/ दिप्रिंट

वह 16 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के ठीक दो हफ्ते पहले आया और अब दो महीने से अधिक समय से फंसा हुआ है.

उन्होंने कहा, ‘मुझे यहां दो हफ्ते रुकना था लेकिन अब दो महीने से ज्यादा हो गए हैं. मैं अकेला रह रहा हूं, सब कुछ खुद से संभाल रहा हूं. पर जब आप परदेस में होते हैं, जहां की ना आपको भाषा आती है न संस्कृति, गुज़ारा करना बहुत मुश्किल हो जाता है.’

अब्दुल्लाही इकलौता ऐसा नहीं है जो बाहर से आकर यहां फंस गया है. हौज़ रानी की तंग गलियों में अस्थायी रूप से इराक, ईरान, अफगानिस्तान, नाइजीरिया और सोमालिया के कई विदेशी नागरिक रहते हैं जो प्रतिष्ठित निजी अस्पतालों में इलाज के लिए ज्यादातर दिल्ली आते हैं.

इनमें से कई विदेशी, जो केवल सीमित समय के लिए आए थे, उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि उनके पैसे ख़त्म हो गए हैं और वो स्थानीय लोगों की मदद से गुज़ारा कर रहे हैं.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

साकेत के मैक्स अस्पताल के पास स्थित घनी आबादी वाला हौज रानी दिल्ली सरकार द्वारा जारी की गयी कन्टेनमेंट जोन की सूची में शामिल है. यहां की गलियां इतनी संकरी हैं और इमारतें इतनी तंग हैं कि इसके कुछ छोटे हिस्सों में ही पर्याप्त धूप पहुंचती है.

दिल्ली के हौज रानी को दिल्ली सरकार ने कंटेनमेंट ज़ोन में शामिल किया गया था फोटो: मनीषा मोंडल | दिप्रिंट
दिल्ली के हौज रानी को दिल्ली सरकार ने कंटेनमेंट ज़ोन में शामिल किया गया था फोटो: मनीषा मोंडल | दिप्रिंट

एक और अफगानिस्तान निवासी अब्दुल हमद रहीमी, जो मानसिक बीमारी से पीड़ित था, इस साल की शुरुआत में इलाज के लिए अपने परिवार के साथ भारत आया था. लेकिन 29 वर्षीय रहीमी फरवरी में हौज रानी से लापता हो गया. उसके चचेरे भाई मोहम्मद सदाक ने कहा, ‘अब हम उसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं. हम उसे लिए बिना वापस नहीं जा सकते.’

सदाक ने यह भी कहा कि उन्होंने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करा दी है.


यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में किसान न्याय योजना की शुरुआत पर बोलीं सोनिया गांधी- यह राजीव गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि


अस्पताल के कर्मचारियों और मरीजों के परिवार के बीच बातचीत में मदद करने वाले एक अनुवादक हईस ने बताया कि वो कई ऐसे परिवारों को जानता है जो घर वापस जाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन वे असहाय हैं. उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि मैं भी कमाने में असमर्थ हूं क्योंकि नए मरीज नहीं आ रहे हैं.’

उनके पास यूएनएचआरसी शरणार्थी कार्ड है और वो रोजगार के अवसरों की तलाश में तीन साल पहले भारत आए थे. उनके जैसे अनुवादक कई विदेशियों के लिए आवास और अन्य व्यवस्थाएं का इंतजाम कर देते हैं.

‘वीजा की अवधि समाप्त हो चुकी है’

हौज़ रानी सिर्फ इलाज के लिए दिल्ली आने वाले लोगों के लिए घर नहीं है. कई अन्य जो लॉकडाउन से पहले छोटी व्यक्तिगत यात्राओं पर आए थे, वे भी फंसे हुए हैं.

कुछ विदेशी नागरिक विशेष रूप से व्यवस्थित उड़ानों के माध्यम से घर वापस जाने में सक्षम हुए, लेकिन कई अन्य फंसे हुए हैं क्योंकि उनके वीजा की अवधि समाप्त हो गई है.

एक तुर्कमेनिस्तान के नागरिक ने गोपनीयता की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि उनके देश के लगभग 100 लोग यहां फंसे हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने दूतावास से संपर्क किया लेकिन हमारे पास अभी तक कोई उड़ान नहीं है और हमें बताया गया है कि लॉकडाउन समाप्त होने तक हमें इंतजार करना होगा.’

उन्होंने यह भी कहा कि वह नान खाकर जीवित रहे हैं और इस महीने का किराया देने में असमर्थ हैं.

दिप्रिंट ने तुर्कमेनिस्तान के दूतावास से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन इस रिपोर्ट के लिखने तक संपर्क नहीं हो पाया है.

अफगानिस्तान के एक सेवानिवृत्त सैनिक मेहताबबुद्दीन तालाबंदी की घोषणा से ठीक पहले अपनी बेटी तबस्सुम और पत्नी सोना के साथ भारत में एक शादी में शामिल होने आए थे. वे तब से अपने बेटे अब्दुल्ला के साथ हौज रानी में रह रहे हैं जो दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बीबीए का छात्र हैं.

हमारे वीजा की अवधि समाप्त हो गई है, हमें दूतावास से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है. तबस्सुम ने कहा, ‘हम भोजन और पैसों के मामले में बहुत कठिनाई का सामना कर रहे हैं.’


यह भी पढ़ें: कोविड संकट का इस्तेमाल कर येदियुरप्पा ने न केवल विपक्ष बल्कि भाजपा के आलोचकों को भी चुप करा दिया


चार लोगों का ये परिवार हौज़ रानी के एक कोने में एक छोटी सी इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल के एक कमरे में रह रहा है. इसमें एक छोटा रसोईघर और बगल में एक बाथरूम है. तबस्सुम ने अपनी पीड़ा ज़ाहिर करते हुए कहा, ‘तापमान बढ़ रहा है और गर्मी असहनीय हो रही है.’

मेहताबुद्दीन हॉज रानी के छोटे से कमरे में हिंदी फिल्म देखकर अपना समय काट रहे हैं/फोटो: मनीषा मंडल/दिप्रिंट

एक अलग रमज़ान

अपने परिवारों से दूर और कम पैसे के साथ, रमजान का पाक महीना यहां के लोगों के लिए पूरी तरह से अलग है. उनमें से ज्यादातर अपने घरों तक ही सीमित रहते हैं और केवल तभी निकलते हैं जब इफ्तारी (रोज़ा तोड़ने) का समय होता है.

ब्रेड बनाने वाले अब्दुल वहीद, जो अफगानिस्तान से हैं, लेकिन पिछले तीन साल से हौज़ रानी में रह रहे हैं, ने बताया कि कम से कम 200 से 300 विदेशी हर रोज़ नान खरीदने के लिए उनकी दुकान पर आते हैं. वहीद ने कहा, ‘वे वास्तव में व्यथित हैं और अक्सर अपनी चिंताओं को मुझसे साझा करने की कोशिश करते हैं. मैं टूटी फूटी अंग्रेजी में उन्हें दिलासे के दो शब्द कह देता हूं’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments