नई दिल्ली : दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को आड़े-हाथों लिया है. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि उसने इस समस्या से निपटने के लिए अब तक क्या किया है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार के ऑड-ईवन फार्मूले को लागू करने की भी आलोचना की है.
वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह जीवन के मौलिक अधिकार का घोर उल्लंघन है. विभिन्न राज्य सरकारें और नागरिक निकाय अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहे हैं.’ सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, ‘कारें कम प्रदूषण पैदा करती हैं. इस ऑड-ईवन से आपको (दिल्ली) क्या मिल रहा है?’
Supreme Court on air pollution: This is a gross violation of fundamental right to life. Various state governments and civic bodies have failed to discharge their duties. https://t.co/YcsvLkncc4
— ANI (@ANI) November 4, 2019
अरुण मिश्रा ने सख्त लहजे में कहा कि हम राज्य के मुख्य सचिव को तलब करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि जो ग्राम प्रधान, स्थानीय अधिकारी, पुलिस पराली के जलाने पर नियंत्रण नहीं कर पाते हैं, उन्हें उनके पोस्ट से हटा दिया जाना चाहिए.
Supreme Court on air pollution: Justice Arun Mishra says, will summon the States' chief secretaries. Gram pradhans, local officials, police who do not control burning should be removed from their posts. pic.twitter.com/hQW5XgZ1G4
— ANI (@ANI) November 4, 2019
मिश्रा ने दिल्ली सरकार से कहा कि ऑड-ईवन योजना के पीछे क्या लॉजिक है? डीजल कारों पर प्रतिबंध लगाना समझ में आता है, मगर इस ऑड-ईवन का क्या मतलब है.
Supreme Court on air pollution: Justice Arun Mishra to Delhi Government – What is the logic behind odd-even scheme? Banning diesel vehicles we can understand, but what is the point of odd-even scheme pic.twitter.com/xNrKuzdazs
— ANI (@ANI) November 4, 2019
कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली हर साल घुट रही है और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं. हर साल ऐसा हो रहा है और 10-15 दिनों तक जारी रहता है. सभ्य देशों में ऐसा नहीं होता है. जीवन का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘यह वह तरीका नहीं है जिससे हम रह सकते हैं.’ कोर्ट ने कहा, ‘केंद्र सरकार और राज्य सरकार को कुछ करना चाहिए’ पर कुछ किया नहीं जा रहा. ये कुछ ज्यादा हो गया. कोई भी कमरा इस शहर में रहने के लिए सुरक्षित नहीं है, यहां तक कि घरों में भी. हम इसके कारण अपने जीवन के बहुमूल्य वर्ष खो रहे हैं.
Supreme Court on air pollution: 'It is not the way we can live. "Centre should do.. state should do" cant go on. This is too much. No room is safe to live in this city, even in homes. We are losing precious years of our lives due to this.” https://t.co/GXEzwdMhLv
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्थिति गंभीर है, केंद्र और दिल्ली सरकार क्या करना चाहती हैं? इस प्रदूषण को कम करने के लिए क्या करने का इरादा है? सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा से भी कहा है कि वे पराली जलाना कम करें.